मणिपुर को लेकर लंबी चुप्पी के पीछे यह है भाजपा की साजिश!

लेखक- बिलक्षण रविदास। मणिपुर में हो रही हिंसा पर लंबी चुप्पी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तब जुबान खोली, जब दो महिलाओं के साथ हैवानियत हुई और सरकार की थू-थू होने लगी। इसके बाद अब बीजेपी के दो सांसद और सरकार के मंत्रियों अनुराग ठाकुर और स्मृति ईरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मणिपुर में महिलाओं के साथ की गई हिंसा, बलात्कार और हत्या को लेकर अपनी पार्टी का बचाव करने सामने आ गए। उनका कहना था कि मणिपुर के साथ-साथ राजस्थान और बंगाल में भी महिलाओं के साथ बलात्कार और निर्वस्त्र करने की घटनाएं हुई हैं। लेकिन सभी पार्टियों द्वारा बातें केवल मणिपुर की जा रही हैं। ऐसा कहकर दोनों मंत्रियों ने अपने प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा दिए गए बयान को ही दुहराया है।

यह सच है कि भारत के सभी राज्यों में महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी अपराधिक घटनाओं के जिम्मेदार अपराधियों पर शीघ्र ही कार्रवाई की जाती रही हैं और अपराधियों को गिरफ्तार कर सजा भी दी जाती रही हैं। ऐसी घटनाओं में राज्य सरकार या किसी पार्टी विशेष द्वारा संरक्षण देने की भूमिका नहीं रही हैं।

लेकिन मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई बर्बरता अलग किस्म की हैं जिसमें अपराधियों के साथ भाजपा की केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन की संलिप्तता उजागर हो चुकी हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो पीड़िता के द्वारा एफआईआर दर्ज कराते ही अपराधियों की गिरफ्तारी हो गई होती। न कि एक महीने बाद फिर से एफआईआर दर्ज की जाती और न 77 दिनों बाद सोशल मीडिया पर ऐसी घटनाओं से सम्बंधित वीडियो वायरल होने के बाद अपराधियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती।  महिलाओं के प्रति भाजपा का क्या आचरण रहा है ये बातें पहलवान महिलाओं के साथ हो रही घटनाएं, राम-रहीम की सारी परिघटनाएं, गुजरात, यूपी, मध्य प्रदेश आदि राज्यों की एक दर्जन से ज्यादा ही घटनाएं गवाह हैं।

दरअसल मणिपुर में प्राकृतिक खनिजों पर कब्जा करने और पूंजीपति मित्रों को बेचने के लिए वोट पाना और सत्ता सरकार में बने रहना आवश्यक है। इस लक्ष्य को पाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 371 का बंटाधार करना जरूरी कदम है। इसके लिए गैर-जनजाति समुदाय मैतेई को जनजाति सूची में शामिल करने का षड्यंत्रकारी कानूनी कार्रवाई की गई।

इस समुदाय को जनजाति में शामिल कर अपना वोट बैंक बनाने की कोशिश गई है जिसके विरोध में वहां की जनजातियां संघर्ष कर रही हैं। इसलिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के निर्देशन में मणिपुर में सामुदायिक दंगे गत 78 दिनों से जारी हैं, जिसमें अपार जन धन की हानि होती जा रही हैं। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसलिए ही मोदी जी एवं उनके उपर्युक्त दोनों मंत्रियों ने 76 दिन तक चुप्पी साधे रखी। यह भाजपा की सबसे निंदनीय और राष्ट्र विरोधी घृणित कार्य है, जिसे इतिहास में काला अध्याय के रूप में लोग जानेंगे।


नोट- लेखक भागलपुर विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर पद से रिटायर्ड हैं। यह लेखक के अपने निजी विचार है। संस्थान का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है।

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