महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में इतिहास विषय के पाठ्यक्रम में किया गया बदलाव

महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड (सेकेंडरी-हायर सेकेंडरी) ने सातवीं और नौंवी क्लास के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया है. राज्य शिक्षा विभाग और इतिहास विषय पर बनी समिति के सद्सयों का दावा है कि मुग़ल और पश्चिमी देशों का इतिहास मायने नहीं रखता है. अब सातवीं और नौंवी क्लास के नये पाठ्यक्रम में छात्रों को 1960 के बाद की भारतीय राजनीति के अलावा मराठा साम्राज्य और शिवाजी महाराज के इतिहास के बारे में पढ़ाया जाएगा.

एक अंग्रेज़ी दैनिक के अनुसार समिति के सदस्यों का कहना है कि किसी राजनीतिक फ़ैसले के तहत ये बदलाव नहीं किए गए हैं. विषय के विशेषज्ञों और शिक्षकों के साथ गहन विचार विमर्श के बाद ही बदलाव करने का फ़ैसला किया गया है. “नये पाठ्यक्रम में सातवी क्लास के लिए संदर्भ बिंदू मराठा साम्राज्य, महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी के पहले और बाद का भारत है. इसी तरह क्लास नौंवी के लिए संदर्भ बिंदू वे घटनाएं हैं जिनका भारतीय राजनीतिक परिद्रश्य पर प्रबाव पड़ा.”

समिति के अध्यक्ष सदानंद मोरे के अनुसार पहले इतिहास की किताबों में मुग़ल बादशाहों, उनके योगदान और फ़्रांस की क्रांति, यूनानी दर्शन तथा अमेरिका में आज़ादी की लड़ाई से संबंधित अध्याय थे. अब इन्हें या तो पूरी तरह हटा दिया गया है या फिर इनके बारे में चंद लाइने हैं.

मोरे ने कहा कि पाठ्यक्रम बदलने का मक़सद इसे महाराष्ट्र केंद्रित बनाना था ताकि ये राज्य बोर्ड के छात्रों के लिए और प्रसांगिक हो सके. हम महाराष्ट्र से हैं, हमें इस क्षेत्र के बारे में और जानने की ज़रुरत है. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ ग़लत है. कोई ये क्यों नहीं कह रहा कि सेंट्रल बोर्ड के स्कूलों और जिन स्कूलों में ICSE पाठ्यक्रम है, वहां हमारे राज्य के बारे में एक पेज भी नही है. बस शिवाजी के बारे कुछ लाइने हैं. जिन छात्रों को उन विषयों के बारे में जानना है वे बाद में उच्च शिक्षा के ज़रिये जान सकते हैं. फिलहाल ये प्रसांगिक नही हैं.

नये पाठ्यक्र की किताबों में मध्यकालीन भारतीय इतिहास का केंद्र बिंदू शिवाजी हैं. नयी किताबों में शिवाजी, उनके परिवार और मराठा जनरलों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें औरंगज़ेब के ख़िलाफ़ मराठाओं के 27 साल के संघर्ष पर विस्तृत अध्याय हैं.

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