बौद्ध दर्शन पर व्याख्यान: आर्य सत्य, अनात्मवाद, प्रतीत्यसमुत्पाद, और अष्टांगक पर चर्चा

लखनऊ। “द बेसिक कांसेप्ट ऑफ अर्ली बुद्धिस्ट फिलासफी एंड थ्री रोल्स इन वियतनामी कल्चर ट्रेडिशन” पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. रजनी श्रीवास्तव ने किया।

तान ने अपने व्याख्यान का शीर्षक “द बेसिक कांसेप्ट ऑफ अर्ली बुद्धिस्ट फिलासफी एंड थ्री रोल्स इन वियतनामी कल्चर ट्रेडिशन” रखा। उन्होंने बौद्ध दर्शन की मूलभूत अवधारणाओं जैसे चार आर्य सत्य, अनात्मवाद, प्रतीत्यसमुत्पाद, और अष्टांगक मार्ग पर गहन चर्चा की। उनका मुख्य फोकस यह था कि ये अवधारणाएँ किस प्रकार वियतनामी संस्कृति को प्रभावित करती हैं।

तान ने बताया कि बौद्ध दर्शन की ये अवधारणाएँ वियतनामी शैक्षिक, सांस्कृतिक, और पर्यावरणीय प्रथाओं में कैसे समाहित हैं। उन्होंने अपने देश की सांस्कृतिक विविधता को बताया कि किस प्रकार बौद्ध धर्म ने वियतनामी जीवन शैली को आकार दिया है।

प्रोफेसरों ने साझा किए विचार

संगोष्ठी में डॉ. रजनी श्रीवास्तव ने तान के व्याख्यान का सारांश प्रस्तुत किया और उसकी महत्ता को बताया । इसके अलावा विभाग के अन्य शिक्षक डॉ. राजेन्द्र वर्मा और डॉ. प्रशांत शुक्ला भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस ज्ञानवर्धक सेमिनार में अपनी विशेषज्ञता साझा की। इसके साथ ही उन्होंने वियतनाम की शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय प्रथाओं की भी चर्चा की।

सेमिनार के कोऑर्डिनेटर विभाग की शोध छात्रा निशी कुमारी रही। सेमिनार के सफलता पूर्वक समापन में विभाग के अन्य शोध छात्रों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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