राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी बारीकियों को यहां समझे, जाने कैसे चुना जाता है देश का राष्ट्रपति

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चुनाव आयोग ने देश में नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर तारीख का एलान कर दिया है। 18 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि  भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है? इस वीडियो में हम आपको राष्ट्रपति के चुने जाने की प्रक्रिया, उनके अधिकार और योग्यता सहित तमाम जानकारी देंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायक का क्या महत्व होता है।

 कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव

राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है। इसके सदस्य  लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य के अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। यानी राष्ट्रपति के मतदान में लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद और राज्यों के विधायकों को वोट करने का अधिकार होता है। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति चुनाव में एमएलसी यानी विधान परिषद के सदस्यों और लोकसभा एवं राज्यसभा में नामित सदस्यों को वोट का अधिकार नहीं होता।

हर राज्य के विधायकों की वैल्यू अलग-अलग होती है

दिलचस्प बात यह है कि इन सभी के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के वोट का मूल्य एक समान होता है और विधानसभा के सदस्यों का अलग होता है। विधायकों के वोटों का मूल्य राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है।

वर्ष 1952 में हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य 494 था। तब से अलग-अलग परिस्थियों में यह बढ़ता रहा। इस चुनाव में एक सांसद के वोटों की वैल्यू 700 होगी। इसके पहले यह 708 था, लेकिन जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश होने से और वहां विधायक नहीं होने से वोटों का मूल्य घट गया है। एक समय यह 702 भी रह चुका है।

जहां तक विधायकों के वोटों के मूल्य का सवाल है तो यह प्रदेश की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होता है। जैसे देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। इसी तरह बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 है। तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र सात। यानी की अगर यूपी का एक विधायक वोट डालेगा तो उसकी गिनती सीधे 208 होगी और वहीं सिक्किम का एक विधायक वोट डालेगा तो उसकी गिनी सात होगी। इसी आधार पर आप राज्य के विधायकों के मूल्य का आंकलन कर सकते हैं। मतदान के वक्त बैलेट पेपर पर पहली, दूसरी और तीसरी पसंद का जिक्र किया जाता है। इसके बाद जिसकी जीत होती है उसकी घोषणा की जाती है।

क्या कार्यकाल खत्म होने के बाद राष्ट्रपति का राजनीतिक जीवन थम जाता है

राष्ट्रपति के बारे में एक धारणा यह भी है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। वो चाहे तो किसी भी तरह से राजनीतिक जीवन में रह सकते हैं। लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद स्वाभाविक है कि वो सांसद या विधायक या राज्यपाल बनना पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि ये सब तो राष्ट्रपति के नीचे के पद हैं।

राष्ट्रपति के अधिकार

राष्ट्रपति के अधिकारों की बात करें तो भले वह सरकार के कैबिनेट और प्रधानमंत्री की मंजूरी से काम करते हैं लेकिन  कोई भी अधिनियम उनकी मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता। वो वित्त बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं। राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है। फौज के प्रमुखों की नियुक्ति भी वो करते हैं।

राष्ट्रपति उम्मीदवार की योग्यता

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की उम्र और योग्यता की बात करें तो राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को भारत का नागरिक होना चाहिए। उनकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए। और इसके साथ इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।

राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है

राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है। इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं। इसके बाद महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है। अब तक हुए राष्ट्रपति चुनावों को देखें तो नीलम संजीव रेड्डी अकेले राष्ट्रपति हुए जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए।

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