डीडी डेस्क- उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राज्य में विकास को दरकिनार कर धर्म की राजनीति को हवा दे दी है. दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य ने अयोध्या के राम मंदिर के बाद अब मथुरा में कृष्ण मंदिर बनाए जाने को लेकर एक ट्विट किया जिसके बाद से ट्वीटर पर हैशटैग सेव मथुरा मस्जिद ट्रेंड करने लगा है.
केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विट करते हुए कहा, “अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है मथुरा की तैयारी है” मौर्य के इस ट्विट पर उन्हें कड़ी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा.
हालांकि, चुनाव से पहले बीजेपी सरकार द्वारा ये हथकंडा अपनाना नया नहीं है. जहां एक तरफ यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जब विपक्षी पार्टियां किसान, महंगाई, गरीबी और रोजगार जैसे मुद्दे उठा रही है तो वहीं, बीजेपी का धर्म को लेकर वोट बटोरने की राजनीति, यूपी में हिंदू-मुस्लिम की आंधी को हवा देने का काम कर रही है.
अखिलेश ने साधा निशाना
वहीँ, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने केशव मौर्य के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा का गरीबों को लूटने और अमीरों की जेब भरने का एजेंडा है. हमेशा अमीर वर्ग को फायदा पहुंचाने का काम किया है. आगामी चुनावों में कोई रथ यात्रा या नया मंत्र भाजपा की मदद करने वाला नहीं है.”
मायावती ने किया तंज
उधर, केशव मौर्य के बयान को लेकर बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी तंज करते हुए उन्होंने ट्विट किया. उन्होंने ट्विट में लिखा, “यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा विधानसभा आमचुनाव के नजदीक दिया गया बयान कि अयोध्या व काशी में मन्दिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है, यह भाजपा के हार की आम धारणा को पुख्ता करता है. इनके इस आखिरी हथकण्डे से अर्थात् हिन्दू-मुस्लिम राजनीति से भी जनता सावधान रहे.”
गरीब यूपी के लिए मंदिर जरूरी!
नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट भले ही बता रही है कि उत्तर प्रदेश, भारत का तीसरा सबसे ग़रीब राज्य है. लेकिन यूपी सरकार में शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन, श्रम विभाग और सेवायोजन विभागों के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य गरीबी के बारे में नहीं बल्कि धर्म, मंदिर निर्माण के बारे में बात कर रहे हैं.
गरीबी मुद्दा नहीं..
हालांकि इस बार यूपी की जनता तेल के बढ़ते दामों, महंगे होते गैस सिलेंडर और बेरोजगारी से त्रस्त हैं. पिछले दिनों लीक हुए यूपीटीईटी के पेपर के तुरंत बाद जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ही महीने में दोबारा पेपर कराने की घोषणा की, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि योगी इन मुद्दों पर गच्चा खा सकते हैं. तो आखिर क्या कारण है कि योगी सरकार इन मुद्दों से भटक रही है?

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