नई दिल्ली। अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव अभियान की शुरूआत करन के लिए बसपा ने पूरी तरह से कमर कस लिया है. बसपा प्रमुख मायावती ने अपने जनाधार को वापस लाने के लिए पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के दिन को चुना है.
9 अक्टूबर को कांशीराम की 12वीं पुण्यतिथि को राजधानी लखनऊ में बसपा विशाल रैली आयोजित कर रह रही है. लखनऊ के कांशीराम इको गार्डन में होने वाली रैली में मायावती शक्ति प्रदर्शन करके विपक्ष दलों को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती है. इसके बाद प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अलग-अलग तारीख में रैली करने की योजना बनाई गई है.
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा के लिए औपचारिक प्लेटफॉर्म तैयार करने की गरज से यह रैली काफी अहम मानी जा रही है. इसीलिए बसपा के मंडल प्रभारियों को निर्देश दिए गए है. प्रत्येक जोनल कोऑर्डिनेटर को अपने मंडल से 15 से 20 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं को लाने के लिए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा ने निर्देश दिया है.
कुशवाहा ने बताया कि कांशीराम इको गार्डन में होने वाली रैली में दो लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का अनुमान है. हर मंडल के पदाधिकारी को रैली को सफल बनाने के लिये अपने क्षेत्र से लोगों को लाने के दिशा निर्देश दिये गये है.
उन्होंने बताया कि इस मौके पर पार्टी प्रमुख के मौजूद रहने की पूरी संभावना है. हालांकि उनके शामिल होने की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की जा रही है.
बता दें कि बसपा के संस्थापक कांशीराम का निधन अक्टूबर 2006 को हुआ था. बसपा अध्यक्ष मायावती उनकी याद में करीब हर साल लखनऊ में एक बड़ी रैली करती रही आ रही हैं. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के लिहाज से बसपा की रैली काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
बसपा ने इस रैली को सफल बनाने के लिए काफी तैयारियां कर रखी हैं. लोगों की भीड़ जुटाने के लिए करीब एक दर्जन ट्रेन, 210 बसें बुक की गई हैं. इसके अलावा पार्टी नेताओं से छोड़ी गाड़ियों के जरिए भी पहुंचने के लिए कहा गया है.
बता दें कि मौजूदा समय में बसपा के एक भी सांसद नहीं है. जबकि इससे पहले पार्टी के पास 21 सांसद थे. 2017 के विधानसभा चुनाव बसपा का पूरी तरह से सफाया हो गया था. महज 19 विधायक की जीत सके थे, लेकिन राज्य के हुए उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद से बदले समीकरण में एक बार फिर बसपा की राजनीतिक अहमियत बढ़ी है.
माना जा रहा है कि बसपा 2019 में यूपी में सपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतर सकती है. हालांकि मायावती ने खुद ही कहा है कि अगर सम्मानजनक सीटें मिलेंगी तभी वह गठबंधन करेंगी.
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