देश के करोड़ों दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को संगठित कर उन्हें सत्ता हासिल करनेवाला बनाने के संघर्ष के महानायक मान्यवर कांशीराम के 89वें जयंती की धूम पूरे देश में रही। तमाम दलित-बहुजन संगठनों ने इस मौके पर मान्यवर को पूरे सम्मान के साथ याद किया और उनके बताए रास्ते पर चलते रहने का संकल्प लिया। मुख्य समारोह लखनऊ के बसपा स्थित प्रदेश कार्यालय में आयोजित हुआ, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी भाग लिया। इस मौके पर पार्टी के अनेक नेतागण व पदाधिकारी मौजूद थे।
इस मौके पर उन्होंने मान्यवर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद अपने संबोधन में उनके महान संघर्ष और अनंत कुर्बानियों को याद किया। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों, दलितों, आदिवासियों और अन्य उपक्षितों को लाचारी और मजलूमी की जिंदगी से निकालकर पैरों पर खड़ा करने के बसपा के संघर्ष में दृढ़ संकल्प के साथ लगातार डटे रहना ही मान्यवर कांशीराम को सच्ची श्रद्धांजलि देना है। उन्होंने मान्यवर के योगदानों को याद करते हुए कहा कि मान्यवर ने डॉ. आंबेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के मानवतावादी मूवमेंट को जीवंत बनाने के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष किया और अनंत कुर्बानियां दीं।
मौजूदा राजनीति के संदर्भ में मायावती ने कहा कि वास्तव में वर्तमान युग में जारी चमचा युग में बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के मिशनरी कारवां के प्रति तन, मन की लगन तथा धन्नासेठों के धनबल की जकड़ के बजाय अपने खून-पसीने से अर्जित धन के बल पर डटे रहना कोई मामूली बात नहीं। यह इस मूवमेंट की ही देन है और जिसके बल पर बसपा ने खासकर यूपी में कई ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। आगे भी हमें डटे रहना है।
इस मौके पर मायावती ने बसपा के कार्यकर्ताओं के प्रति अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आज की विषम परिस्थितियों से हम सभी वाकिफ हैं। जिस तरह से छल-बल की राजनीति की जा रही है, ऐसे वे सभी जो पूरी प्रतिबद्धता से अपने मिशन में मुस्तैदी से लगे हैं, उनके प्रति हम आभार प्रकट करते हैं।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।