नई दिल्ली। सिनेमाघरों में यूं तो हम सिर्फ मनोरंजन के लिए ही जाते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ फिल्में हमें जिंदगी के बेहद अहम सच से रूबरू करा देती हैं और निर्देशक नील माधव पांडा की फिल्म ‘कड़वी हवा’ एक ऐसी ही फिल्म है. आज रिलीज हुई फिल्म ‘कड़वी हवा’ में एक्टर संजय मिश्रा, रणवीर शौरी और तिलोत्तमा शोम मुख्य भूमिका में हैं. यह सच्चाई से जुड़ी एक ऐसी फिल्म है जिसमें आपको ज्यादा तामझाम देखने को नहीं मिलेगा.
इसका नाम और भारीभरकम विषय को देखते हुए हो सकता है आप पहले से ही इस फिल्म को न देखने का अपना मन बना चुके होंगे, लेकिन यह फिल्म आज के दौर की एक अहम सच्चाई दिखाती है और इसलिए इसे एक बार तो जरूर देखना चाहिए. ऐसी फिल्में हमें हमेशा अपने समय से जोड़ती नजर आती है.
‘कड़वी हवा’ की कहानी चंबल के रेतीले गांव से शुरू होती है. फिल्म में संजय मिश्रा एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति हेदु की भूमिका में हैं, जबकि उनके बेटे मुकुंद के रूप में भूपेश सिंह और हेदु की बहू पार्वती के किरदार में तिलोत्तमा शोम हैं. किसान हेदु गांव में अपने बेटे, बहू और दो पोतियां के साथ रहते हैं. हेदु एक गरीब किसान है और जैसे-तैसे कर के अपनी जिंदगी की गाड़ी आगे खींच रहा है. इस गांव की जमीन बंजर होने के कारण वहां का किसान कर्जा तो ले लेता है, लेकिन फसल पैदा न होने के चलते यह कर्जा चुना नहीं पाता है. ऐसे में कर्जे से दबे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला यहां आम हो जाता है. इन किसानों से कर्जा वसूलने का काम गुनु बाबू करते हैं और यह किरदार रणवीर शॉरी निभा रहे हैं.
वसूली का काम करने वाले गुनु को इस बीच काफी समस्या होती है, क्योंकि कभी कुछ किसान पैसे दे देते हैं तो कभी कुछ आनाकानी करते हैं, जिस वजह से गुनु चिंतित भी रहता है. यहां तक कि गांव के लोग गुनु को यमदूत के नाम से बुलाते हैं. इसी बीच जब हेदु और इस गुनु का आमना-सामना होता है, तो एक नया समीकरण सामने आता है.
हेदु और गुनु, दोनों ही मौसम के मारे हैं. इन दोनों के मिलने से क्या स्थितियां सामने आती हैं, इसी पर बनी है यह फिल्म. निर्देशक नील माधव पांडा ने अपनी इस फिल्म में संजीदगी के साथ हर सीन में बिगड़ते मौसम की भयानकता बिन कहे उकेर दी है. इस फिल्म में ऐसे-ऐसे संवाद हैं, जो आपके रोगंटे खड़े कर देंगे. इस बात में कोई शक नहीं है कि नील माधव पांडा ने अपने समय की एक बेहतरीन फिल्म बनाई है.

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