भारत सरकार नहीं जानती कब और कैसे हुई बाबासाहेब की मृत्यु?

नई दिल्ली। दलित हितैषी होने का दावा करने वाली भारत सरकार एक बार फिर विवादों में फंस सकती है. क्योंकि भारत सरकार को बाबासाहेब अम्बेडकर बारे में कोई जानकारी नहीं है. सरकार को नहीं पता कि संविधान निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर की मृत्यु कब और कैसे हुई थी? सरकार की इस नासमझी का खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से हुआ है.

अलीगढ़ के चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रतीक चौधरी एडवोकेट ने दिनांक 29 मई 2017 को जनसूचना अधिकारी गृह मंत्रालय, भारत सरकार से सूचना के अधिकार के तहत तीन बिंदुओं पर सूचना मांगी थी कि डा. भीमराव अम्बेडकर की मृत्यु कब हुई?, किन हालात में हुई?, स्वाभाविक हुई या हत्या की गई?. अगर हत्या की गई तो हत्यारोपी का नाम, पद, एफआईआर और पोस्टमॉर्टम की कॉपी भी मांगी गई. इस पर भारत सरकार ने क्या कार्यवाई की.

ये भी पढ़ेंः दलित महिला सरपंच पर जातिवादी गुंड़ों ने किया जानलेवा हमला

डा. अम्बेडकर प्रतिष्ठान, भारत सरकार ने इसका हास्यास्पद जबाव दिया. सरकार ने 14 जुलाई 2017 को भेजे गए पत्र में लिखा कि डा. अम्बेडकर प्रतिष्ठान, भारत सरकार के पास डा. भीमराव अम्बेडकर की मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

इस उत्तर के खिलाफ प्रतीक चौधरी एड्वोकेट ने अपीलीय अधिकारी ग्रह मंत्रालय, भारत सरकार को दिनांक 14 अगस्त 2017 को अपील भेजी है और अब वह केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि प्रतीक को यकीन है कि भारत सरकार इस बार भी सूचना नहीं देगी.

प्रतीक चौधरी का कहना कि आज बाबासाहेब की मृत्यु के बारे में तमाम तरह की अफवाहें समाज मे फैली हुई हैं. संसद भवन के अंदर भरतपुर के सांसद जाट राजा बच्चू सिंह के द्वारा डा. अम्बेडकर की हत्या की बात कही जाती है. जबकि डा. अंबेडकर की मृत्यु स्वाभाविक थी और केवल राजनीतिक हितों की पूर्ति हेतु ये अफवाह फैलाई गई. जिसके आधार पर आज जातिवाद की राजनीति हो रही है.

ये भी पढ़ेंः बाढ़ पीड़ित दलितों को अनुदान देने में भेदभाव कर रहे हैं सवर्ण अधिकारी-सरपंच

प्रतीक ने कहा कि भारत सरकार को भारत के महापुरुषों के जीवन चक्र के बारे में आमजन को जनजागरण द्वारा अवगत कराया जाना चाहिए. भारतीय नागरिक होने के नाते ये मेरा अधिकार है कि मैं जान सकूं की मेरे देश के संविधान निर्माता की मृत्यु किस तारीख को किस वजह से हुई. सरकार को ये सारी चीजें स्वयं ही सार्वजनिक कर देनी चाहिए परन्तु सरकार तो कानूनी तरीक़े से पूछने पर भी नहीं बता रही है.

प्रतीक ने आगे कहा कि दलित और पिछड़े वर्ग इस देश की बुनियाद हैं. इस बुनियाद में जो दरार राजनीति ने डाली है, मैं इस दरार को भर कर और दिलों को जोड़कर ही दम लूंगा. इसके लिए मुझे किसी भी न्यायालय या उच्चतम न्यायालय ही क्यों ना जाना पड़े.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.