हैदराबाद। भारत के मंदिरों में दलितों को घुसने तक नहीं दिया जाता है तो ऐसे में एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. हां, थोड़ी देर के लिए हैरानी हो सकती है लेकिन सच तो यही है. हैदराबाद में एक पुजारी अपने कंधे पर दलित भक्त को मंदिर में ले जाकर दर्शन कराएगा. गुंटूर जिला के पुजारी ने भी फैसला किया है कि वह एक बुजुर्ग दलित भक्त को अपने कंधे पर बैठाकर मंदिर का दर्शन कराएंगे. हालांकि इस तरह की पहल की शुरूआत कहीं ओर से हुई थी जो कि आगे पता चलेगा.
फिलहाल रंगराजन पुजारी कल्याणपुरम विजय कुमार 14 जून को गुंटूर के मोहन रंगानायक स्वामी मंदिर में 70 वर्षीय कुल्लाई चिन्ना नरसिंहुलु दलित बुजुर्ग को अपने कंधों पर जुलूस में ले जाने का फैसला किया है. इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है. साथ ही लोगों का कहना है कि इससे हमारे समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा और भेदभाव खत्म होगा. इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री और गुंटूर जिले के टीडीपी के एक प्रमुख दलित नेता मणिका वाराप्रसाद राव ने शहर के मोहन रंगानायक स्वामी मंदिर में गुरुवार के समारोह का आयोजित करने की बात कही.
जातिवाद मिटाने के लिए पंडित की पहल…
इस पहल को 16 अप्रैल को प्रसिध्द बालाजी मंदिर के पुजारी सीएस रंगराजन ने आरंभ किया था. जिंहोंने चिल्कुर में 16 अप्रैल को दलित आदित्य परासरी को रंगनाथ मंदिर ले गये और युवक ने पूजा की थी. इसके बाद कई पुजारियों ने इस प्रकार के आयोजन में रुचि दिखाई. रंगराजन ने कहा कि कई पुजारियों की रूचि देखकर पहल सार्थक हो रहा है. इससे समानता व समरसता का संदेश फैल रहा है. संभावना है कि पूरे भारतवर्ष में ऐसी परंपरा लागू होगी और लोग जातिवाद को मिटाने के लिए आगे आएंगे.
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