दलित पुलिस अधिकारी बी.पी. अशोक ने भेजा राष्ट्रपति को इस्तीफा!

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नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए संशोधन की आग अब दलित आंदोलनकारी, समाज के सामान्य वर्ग से होता हुए अब पुलिस महकमें तक में पहुंच गया है. इस बदलाव से आहत जाने-माने पुलिस अधिकारी और बहुजन मूवमेंट में बड़ा नाम डॉ. बी.पी अशोक ने इस्तीफे की पेशकश की है.

पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) डॉ. बीपी अशोक ने सोमवार को राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने 7 मांगों को मानने या इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है, “इस परिस्थिति में मुझे बार-बार यही विचार आ रहा है कि अब नहीं तो कब, हम नहीं तो कौन.” उन्होंने पत्र की एक प्रति पुलिस महानिदेशक को भी भेजी है.

डॉ. अशोक ने पत्र में लिखा है कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए. रूल ऑफ़ जज, रूल ऑफ़ पुलिस की जगह पर रूल ऑफ़ लॉ का सम्मान किया जाए. उन्होंने आगे लिखा है कि अभी तक महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. उच्च न्यायालयों में एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी महिलाओं को अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है. प्रमोशन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. श्रेणी 1 से 4 तक इंटरव्यू युवाओं में आक्रोश पैदा करते हैं. सभी इंटरव्यू खत्म किए जाएं और जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए. हालांकि उन्होंने पत्र में आक्रोशित दलित युवकों से शांति की अपील भी की है.

गौरतलब है कि बहुजन आंदोलन में बी.पी. अशोक एक जाना माना नाम है. बसपा शासन में वह एएसपी सिटी लखनऊ (पूर्वी) के रूप में तैनात थे. बसपा शासन में ही अखिलेश यादव को गिरफ्तार कर इन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थी. डॉ. अशोक के पिता भी आईपीएस रहे हैं. हाल ही में डॉ. अशोक की बेटी और दामाद भी सिविल सर्विस की परीक्षा में चयनित हुए हैं.

भारत बंद से जुड़ी देश भर से 50 खबरें

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नई दिल्ली। भारत बंद का असर पूरे देश में देखा गया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी अधिनियम में बदलाव के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग. सबसे बड़ी बात यह रही कि एससी-एसटी समाज के लोग बिना किसी राजनीतिक संगठन के सड़कों पर उतरे थे. बंद के दौरान दिन भर तमाम शहर सुलगते रहें. आइए एक नजर डालते हैं देश भर में बंद से जुड़ी 50 बड़ी खबरों पर… 1. बंद में शामिल होने के लिए सरकारी कर्मचारियों ने लिया सामूहिक अवकाश 2. बंद में महिलाओं ने भी जमकर हिस्सा 3. दिल्ली में तमाम इलाकों में सड़कों पर खड़ी रहीं डीटीसी की बसें 4. दलित संगठनों ने दिल्ली के मंडी हाउस पर इकट्ठा होकर किया प्रदर्शन 5. बिहार के गोपालगंज में जय भीम फाउंडेशन के बैनर तले अम्बेडकरवादियों ने किया प्रदर्शन. गोपालगंज में अम्बेडकरवादियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए संसोधन के खिलाफ नारे लगाएं. 6. आगरा में एत्मद्दौला के टेढ़ी बगिया पर 2 घंटे से ज्यादा हाइवे जाम रहा. आक्रोशित लोगों ने पुलिस बूथ पर किया कब्जा. दुकानों में तोड़-फोड़. 7. बिहार के छपरा में भी सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी 8. बिहार के हाजीपुर में प्रदर्शनकारियों ने किया चक्का जाम. हाजीपुर में आंदोलनकारियों ने ट्रेन भी रोकी. 9. बिहार के अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में भीम सेना के लोगों ने रेल रोकी और सड़कों पर जाम लगा दिया. 10. मोतिहारी में प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में कई गाड़ियों में तोड़-फोड़ की, वहीं कई जगह टायर जलाकर विरोध जताया गया. 11. यूपी के गोरखपुर में भी दिखा बंद का व्यापक असर 12. प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद भी नहीं मानें अम्बेडकरवादी 13. हापुड़ में बंद से जन-जीवन अस्त व्यस्त 14. दिल्ली आने वाली सड़कों को दो घंटे तक जाम रखा 15. हापुड़ में आगजनी और गोलीबारी की भी खबर 16. हरियाणा में भी बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरें हजारों अम्बेडकरवादी 17. उत्तराखंड के हल्द्वानी में एससी-एसटी शिक्षक अवकाश लेकर बंद में हुए शामिल 18. काली पट्टी बांधकर और एकजुट होकर बंद को दिया समर्थन 19. दलितों की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य पंजाब में बंद को लेकर काफी गहमा-गहमी रही. 20. सिर्फ लुधियाना शहर में 4000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए. पुलिस ने स्कूल, कॉलेज, मोबाइल और इंटरनेट सब बंद किया. 21. मध्य प्रदेश में भारत बंद का खासा असर रहा. यहां कई क्षेत्रों में हिंसा की खबरे हैं. 22. मध्य प्रदेश के लहार, गोहद, मेहगांव और भिंड में कर्फ्यू की खबर है. 23. भोपाल और इंदौर में जुलूस निकाले गए. 24. सागर और ग्वालियर में झड़प के बाद धारा 144 लगा दी गई. 25. प्रदेश के मुरैना स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में तोड़फोड़ और ट्रेन के शीशे तोड़ने की खबर है. पुलिस द्वारा फायरिंग की भी खबर है. 26. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई है. जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया. 27. मध्यप्रदेश के ही ग्वालियर में प्रदर्शन कर रहे दो समूहों के भिड़ने पर दो लोगों की मौत होने की खबर है. जबकि भिंड में भी एक मौत की खबर है. 28. पिछले कुछ समय से चर्चा में आए सहारनपुर में भी बंद का खासा असर रहा. 29. सहारनपुर के बेहट तहसील के बबैल में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. 30. राजस्थान के बाड़मेर में करणी सेना और दलित संगठन के प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव हुआ. इसके बाद कई गाड़ियों को फूंक दिया गया. 31. करणी सेना के लोग बंद का विरोध कर रहे थे, जिसके बाद अम्बेडकरवादियों के साथ उनकी झड़प हो गई. 32. राजस्थान के अलवर में आंदोलन उग्र होने पर पुलिस की फायरिंग में 3 युवक जख्मी हो गए हैं. 33. पुष्कर शहर में भी हिंसा की खबर है. यहां करीब 25 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. 34. मामला बिगड़ने के बाद हालत पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. 35. राजस्थान के सांचौर में सोशल साइट पर भारत बंद को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट के बाद मामला बिगड़ गया. 36. नीम का थाना, सीकर, बीकानेर में भी दलित संगठनों ने जमकर प्रदर्शन किया. 37. पंजाब के अमृतसर में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. 38. अमृतसर में बंद को देखते हुए भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया गया. प्रदर्शनकारियों ने पठानकोट अमृतसर नेशनल हाईवे को ब्लॉक कर दिया. 39. बंद का असर स्कूलों पर भी पड़ा है. पंजाब में 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा पोस्टपोन कर दी गई है. 40. झारखंड की राजधानी रांची में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुए. इसमें कई लोगों के घायल होने की खबर. 41. रांची के विमेंस कॉलेज के साइंस ब्लॉक में पुलिस और छात्र-छात्राओं के बीच जमकर हंगामा हुआ. छात्रों ने पत्थरबाजी की. पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. 42. महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, अमरावती समेत औरंगाबाद में दलित संगठनों ने जुलूस निकाले. मुंबई में कई जगह रेल रोके जाने की खबर है. 43. ओडिशा के संबलपुर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोक दिया, जिसके कारण कई ट्रेंने प्रभावित हुई हैं. 44. मुजफ्फरनगर के नई मंडी थाने पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की. जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की. 45. गाजियाबाद में रेलवे ट्रैक पर बड़ी तादाद में दलित प्रदर्शनकारी जमा हुए. जिसके चलते इस रूट से आने वाली तमाम ट्रेन रुकी हुई हैं. 46. मेरठ में दिल्ली-देहरादून हाइवे पूरी तरह से बंद हो गया है. इसके अलावा 2 बसों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. 47. हाजीपुर में लोगों ने नरेन्द्र मोदी और स्थानीय सांसद और मंत्री रामविलास पासवान का पुतला दहन किया. हाजीपुर के लोगों ने रामविलास पासवान पर जाति का गद्दार होने का आरोप लगाया. 48. जयपुर में बंद समर्थकों ने अम्बेडकर चौक पर इकट्ठा होकर नारे लगाएं. 49. उज्जैन में प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. पूरा शहर नीले झंडों से पटा रहा. 50. बिहार के रोहतास जिले के कोचस में भी बंद को लेकर सुबह से ही उत्साह रहा. सबसे खास बात यह रही कि यहां एससी-एसटी समाज के साथ पिछड़ा समाज और अल्पसंख्यक समाज भी बंद में शामिल हुआ.

एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ देश भर में भयंकर प्रदर्शन

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नई दिल्ली। एससी-एसटी कानून में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बदलाव के विरोध में देश भर में व्यापक प्रदर्शन हो रहा है. दिल्ली के साथ-साथ बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित तमाम राज्यों में अम्बेडकरवादियों ने जमकर प्रदर्शन किया. कई शहरों से रेल रोकने की खबरें भी मिल रही हैं. तो तमाम शहरों में आंदोलनकारियों ने सड़क को जाम कर दिया है. “दलित दस्तक” को विभिन्न शहरों से उसके संवाददाताओं से मिली रिपोर्ट कुछ यूं है- 1. पंजाब दलित संगठनों के बंद से सहमा रहा. सिर्फ लुधियाना शहर में 4000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए. पुलिस ने स्कूल, कॉलेज, मोबाइल और इंटरनेट सब बंद किया. 2. मध्य प्रदेश में भी दलित संगठनों का भारत बंद हिंसक हो उठा. लहार, गोहद और मेहगांव के बाद भिंड में कर्फ्यू लगाया गया. 3. बिना किसी राजनीतिक संगठन के सड़कों पर उतरे लोग 4. दिन भर तमाम शहर सुलगते रहें. 5. बंद में महिलाओं ने भी लिया जमकर हिस्सा 6. बंद में शामिल होने के लिए सरकारी कर्मचारियों ने लिया सामूहिक अवकाश 7. दिल्ली में तमाम इलाकों में सड़कों पर खड़ी रहीं डीटीसी की बसें 8. दलित संगठनों ने दिल्ली के मंडी हाउस पर इकट्ठा होकर किया प्रदर्शन 9. बिहार के गोपालगंज में जय भीम फाउंडेशन के बैनर तले अम्बेडकरवादियों ने किया प्रदर्शन 10. पूरे शहर में घूम-घूम कर किया प्रदर्शन 11. बिहार के छपरा में भी सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी 12. बिहार के हाजीपुर में प्रदर्शनकारियों ने किया चक्का जाम 13. हाजीपुर में आंदोलनकारियों ने ट्रेन भी रोकी 14. यूपी के गोरखपुर में भी दिखा बंद का व्यापक असर 15. प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद भी नहीं मानें अम्बेडकरवादी 16. हापुड़ में बंद से जन-जीवन अस्त व्यस्त 17. दिल्ली आने वाली सड़कों को दो घंटे तक जाम रखा 18. हापुड़ में आगजनी और गोलीबारी की भी खबर 19. हरियाणा में भी बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरें हजारों अम्बेडकरवादी 20. उत्तराखंड के हल्द्वानी में एससी-एसटी शिक्षक अवकाश लेकर बंद में हुए शामिल 21. काली पट्टी बांधकर और एकजुट होकर बंद को दिया समर्थन 22. मध्य प्रदेश के सागर और ग्वालियर में झड़प के बाद धारा 144 लगाईं गई. 23. मुरैना स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में तोड़फोड़, ट्रेन के शीशे तोड़े, पुलिस फायरिंग हुई. 24. सहारनपुर की बेहट तहसील के बबैल में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प. 25. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर किया लाठीचार्ज.  

कांग्रेस में भारी फेरबदल, राहुल गांधी ने इस नेता को बनाया सबसे खास

नई दिल्ली। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में सबसे बड़ा बदलाव किया है. राहुल गांधी ने बड़ा फेरबदल करते हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पार्टी का संगठन महासचिव बनाया गया है. अब तक इस जिम्मेदारी को जनार्दन द्विवेदी देख रहे थे. जनार्दन द्विवेदी सोनिया गांधी के बेहद करीबी और भरोसेमंद हैं और लंबे वक्त तक इस पद पर रहें.

अशोक गहलोत को यह बड़ी जिम्मेदारी देने के पीछे दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन को माना जा रहा है. चुनाव के वक्त गहलोत पार्टी के गुजरात प्रभारी थे. काफी शांत स्वभाव के गहलोत 1998-2003 और फिर 2008-2013 तक दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे हैं. यह महत्वपर्ण जिम्मेदारी देने से पहले कांग्रेस ने गहलोत से गुजरात के प्रभारी की जिम्मेदारी वापस ले ली थी. पिछले साल कांग्रेस ने गुजरात चुनावों से पहले अप्रैल में गहलोत को एआईसीसी का महासचिव बनाया था.

गहलोत की जगह राजीव सातव को गुजरात का प्रभारी बनाया गया. राजीव सातव यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और राहुल गांधी के करीबी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह को ओडिशा का प्रभारी नियुक्त किया गया है. वह बीके हरिप्रसाद की जगह लेंगे. यह जगह हरिप्रसाद के इस्तीफे के बाद खाली थी. इसके अलावा लालजी देसाई को अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल का मुख्य आयोजक नियुक्त किया है, वह महेंद्र जोशी की जगह लेंगे.

कर्नाटकः दलितों के कार्यक्रम में अमित शाह का भारी विरोध

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amit-shahमैसूर। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस का विजय रथ रोकने के लिए प्रदेश में दौरा कर रहे अमित शाह शुक्रवार को बुरी तरह फंस गए. दलितों के एक कार्यक्रम में अमित शाह को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. मामला इतना बढ़ गया कि दलित समाज के लोग अमित शाह का विरोध करते हुए सम्मेलन से बाहर चले गए.

घटना मैसूर की है. अमित शाह मैसूर में दलितों के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इसी बीच एक शख्सक ने उठकर अमित शाह से सवाल पूछा कि केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े संविधान बदलना चाहते हैं, फिर भी अब तक उनकी कैबिनेट में जगह क्यों् बरकरार है. उस शख्सो ने कहा कि या तो आप अनंत कुमार को बाहर का रास्ता दिखाइये या बताइये क्याो बीजेपी अनंत कुमार के बयान से सहमत है?

जाहिर है कि अमित शाह के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. फिर वही हुआ जो अक्सर ऐसी सभाओं में होता है. उस दलित शख्सव द्वारा सवाल पूछने के तुरंत बाद उससे माइक छीन लिया गया और सिक्यूरिटी वालों ने उसे चारो तरफ से घेर लिया. इसके तुरंत बाद ही उसे कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया. सिक्युबरिटी द्वारा शख्स को बाहर निकालने पर हंगामा मच गया. लोगों ने इसका जमकर विरोध किया. वहां मौजूद लोग उस शख्स की बात से सहमत थे और अमित शाह से जवाब चाह रहे थे. लेकिन शाह ने चुप्पी साध ली. इस दौरान मंच पर मौजूद कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार और एक स्थानीय नेता ने मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. बाद में कई दलित सदस्या अपनी सीटों से उठकर बाहर चले गए और अमित शाह का कार्यक्रम फ्लॉप हो गया.

गौरतलब है कि कर्नाटक में अमित शाह अपनी चुनावी सभाओं में एक के बाद एक गलतियां कर रहे हैं. हाल में कर्नाटक में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने कांग्रेस के सीएम सिद्धारमैया की जगह अपनी ही पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा सरकार को भ्रष्ट बता दिया था. तो वहीं एक कार्यक्रम में शाह की किरकिरी तब हुई, जब अमित शाह के भाषण को गलत ट्रांसलेट करते हुए बीजेपी सांसद प्रह्लाद जोशी ने कह दिया था कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीब, दलित और पिछड़ों के लिए कुछ भी नहीं करेंगे. वो देश को बर्बाद कर देंगे. आप उन्हें वोट दीजिये.” अमित शाह की ऐसी गलतियों पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने चुटकी लेते हुए कहा है कि अमित शाह के मुंह से वही निकल रहा है जो सच है.

जहां तक दलितों के कार्यक्रम में अमित शाह के विरोध की बात है तो इस घटना से साफ हो गया है कि अनंत हेगड़े के बयान से कर्नाटक के दलितों में भारी गुस्सा है और वो चुनाव में भाजपा से इसका बदला लेने के लिए तैयार हैं.

बाबासाहेब के नाम पर राजनीति के खिलाफ बसपा प्रमुख मायावती ने खोला मोर्चा

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लखनऊ। यूपी सरकार द्वारा बाबासाहेब के नाम को लेकर राजनीति करने पर बसपा प्रमुख कु. मायावती ने भाजपा को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने इसे बीजेपी की सस्ती और बनावटी राजनीति करार दिया है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने कहा कि बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ख़ासकर दलितों व पिछड़ों के वोट की ख़ातिर केवल सांकेतिक व दिखावटी काम करके सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहती है, जबकि बाबा साहेब के करोड़ों अनुयाइयों को देशभर में अन्याय, अत्याचार व शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. साथ ही उनके संवैधानिक अधिकारों को एक-एक करके या तो छीना जा रहा है या फिर उन्हें निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाया जा रहा है.

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे भाजपा का दलित कार्ड करार देते हुए कहा है कि-

डा. भीमराव अम्बेडकर आज से नहीं बल्कि उनके जीवनकाल से ही वे ’’बाबा साहेब डा. अम्बेडकर’’ के रूप में करोड़ो-करोड़ लोगों के दिल में बसते है. डा. अम्बेडकर के प्रति उनकी श्रद्धा व सम्मान इतना ज्यादा है कि लोग उन्हें उनके नाम से ज्यादा ’’बाबा साहेब’’ कहकर पुकारते हैं. बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों को इससे उसी प्रकार से तकलीफ होती है जैसे मुझे लोगों द्वारा ’’बहनजी’’ कहकर सम्बोधित करने से उनके पेट में दर्द शुरु हो जाता है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह सब उनकी जातिवादी मानसिकता नहीं तो और क्या है?

बाबासाहेब को लेकर राजनीति कर रही भाजपा की पोल खोलते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि-

वैसे तो बीजेपी व इनकी सरकार दलितों व पिछड़ों के वोट के स्वार्थ की खातिर, अपने दिलों पर पत्थर रखकर, आजकल बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का नाम लेते रहते हैं और इनके नाम पर तरह-तरह की नाटकबाजी भी करते रहते हैं, परन्तु कोई उनसे पूछे कि बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी की राजनीति हमेशा ही बाबा साहेब के प्रति काफी जातिवादी व जहरीली क्यों रही है, जो कि आज भी उनके करोड़ों अनुयाइयों के प्रति लगातार जारी है.

उन्होंने यूपी सरकार के उस तर्क को भी खारिज किया कि बाबासाहेब अपने नाम में अक्सर रामजी लगाते थे. मायावती जी ने कहा कि बाबासाहेब अपना नाम ज्यादातर बी. आर. अम्बेडकर ही लिखा करते थे. इसी नाम से वे अधिकांश पत्र-व्यवहार करते थे और दिनांक 27 सितम्बर सन् 1951 को देश के पहले कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिये जो पत्र उन्होंने लिखा है, उसमें भी बी. आर. अम्बेडकर ही अंकित है.

भाजपा पर हमला बोलते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों की असली समस्या यह है कि उनके बीच से सर्वसमाज के लिये बाबसाहेब जैसा महापुरुष इतने वर्षों बाद भी सामने नहीं आ पाया है. इसमें किसी और की नहीं बल्कि स्वयं उनका ही दोष है.

भाजपा के इस कदम पर सवाल खड़ा करते हुए बीएसपी प्रमुख ने कहा है कि जिस प्रकार गाँधीजी को कोई उनके पूरे नाम “मोहनदास करमचन्द गाँधी” से सम्बोधित नहीं करता और खुद भाजपा वाले सरकारी विज्ञापनों आदि में श्री नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम ’’नरेन्द्र दामोदरदास मोदी’’ नहीं लिखते हैं तो फिर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के नाम पर स्वार्थ की राजनीति क्यों?

यूपी में ठाकुरवाद का आतंक, ब्राह्मणों की भी खैर नहीं

उत्तर प्रदेश में ठाकुरवाद का आंतक अपने चरम पर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ठाकुर बिरादरी से होने के कारण प्रदेश का हर ठाकुर खुद को सीएम समझने लगा है. आतंक का आलम यह है कि दलितों और पिछड़ों की कौन कहे योगीराज में ब्राह्मणों की भी खैर नहीं है.

सीएम योगी के करीबी डुमरियागंज से विधायक और हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह के भाई जगदंबा सिंह का एक कथित आडियो वायरल हुआ है. इस आडियो में खुद को राघवेंद्र प्रताप सिंह का भाई बताने वाला जगदंबा सिंह एक ब्राह्मण कारोबारी को धमकी दे रहा है और अपने भाई को सीएम योगी के बाद असली डिप्टी सीएम बता रहा है. उसके हौंसले इतने बढ़े हुए हैं कि उसे न तो डीएम की फिक्र है न कानून व्यवस्था का डर. वह साफ-साफ कह रहा है कि डीएम हमसे है, हम डीएम से नहीं. यूपी में ठाकुरवाद का आतंक, ब्राह्मणों की भी खैर नहींYOUTUBE LINK

असल में मामला एक शराब की दुकान से जुड़ा हुआ है. ऑडियो क्लिप के मुताबिक शराब करोबारी भवानी शुक्ल ने विधायक के पैतृक गांव भानपुर तहसील के भिरिया गांव में शराब के दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था. उसे लाइसेंस मिल भी गया. अब यही लाइसेंस उसके लिए मुसीबत बन गया है. योगी के करीबी विधायक का भाई भिरिया गांव में भवानी शुक्ला की शराब की दुकान नहीं खुलने दे रहा है. और ठाकुर बहुल गांव में उसके आतंक से गांव का कोई भी व्यक्ति भवानी शुक्ला को दुकान किराये पर नहीं दे रहा है. भवानी शुक्ला विधायक के भाई से दुकान चलने देने के लिए गिड़गिड़ा रहा है, लेकिन बाहुबली गुंडागर्दी में हंस रहा है.

पिछले फाइनेंसियल इयर में यह लाइसेंस विधायक से जुड़े लोगों के पास था. इस साल यह भवानी शुक्ला को मिल गया है, जिससे विधायक खेमा खार खाए हुए है. उसने अपने गांव में यह घेराबंदी कर दी है कि कोई भी पंडित को दुकान न दे, जिससे वह अपनी दुकान वहां चला नहीं पाएंगे.

मामले का एक रोचक पहलू यह भी है कि यूपी में ठाकुरवाद से परेशान ब्राह्मण कारोबारी विधायक के भाई के सामने गिड़गिड़ा रहा है और कह रहा है कि वह भी ठाकुर बन जाएगा क्योंकि योगी राज में ब्राह्मणों को तो वो जीने नहीं देंगे.

पीड़ित भवानी शुक्ला इतना डरा है कि सामने आकर कुछ भी कहने से बच रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. लेकिन इस पूरे मामले में ठाकुरवाद के कब्जे में कराह रहे यूपी सरकार की कलई खुल गई है. मोदी-योगी के गला फाड़ू नारे लगाने वाले ब्राह्मणों ने भी यह नहीं सोचा होगा कि भाजपा राज में उनकी यह हालत हो जाएगी.

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने किया बड़ा घोटाला

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मुंबई। भाजपा की महाराष्ट्र सरकार पर एक बड़े घोटाले का आरोप लगा है. कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में रोजाना 18,500 कप चाय की खपत है. मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) का हवाला देते हुए कहा कि पिछले तीन साल में सीएमओ में चाय की खपत पर खर्च में भारी वृद्धि हुई है.

आरटीआई के अनुसार, 2017-18 में सीएमओ में 3,34,64,904 रुपये की चाय पी गई. जबकि यह आंकड़ा वर्ष 2015-16 में 57,99,150 रुपये था. उन्होंने कहा, चाय पर हुआ खर्च चौंकाने वाला है. सीएमओ में रोजाना 18,591 कप चाय की खपत है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर यह कैसे संभव है? निरुपम ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि, “सीएम किस प्रकार की चाय पीते हैं, क्योंकि मैंने सिर्फ ग्रीन टी, येलो टी और इसी तरह के कुछ नाम सुने हैं.

निरुपम ने चुटकी लेते हुए कहा कि लगता है सीएम और सीएमओ इतना बड़ा बिल बनाने के लिए कुछ बेहद खर्चीली गोल्डन टी का उपयोग करते हैं. विडंबना है कि महाराष्ट्र में रोज किसानों की मौत हो रही है लेकिन सीएमओ चाय पर करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. इस दौरान निरुपम ने चूहा घोटाले पर भी सवाल किया. उन्होंने कहा कि क्या मंत्रालय के चूहे चाय पीते हैं. उनका इशारा पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे के उस बयान की तरफ था जिसमें उन्होंने महज एक सप्ताह में मंत्रालय के 319,400 चूहों को मारने का दावा किया था.

करन

सेक्स वर्कर से भी बदतर होती हैं कुछ हीरोईन

तमिल फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने प्रोड्यूसर गनानवल राजा की पत्नी नेहा ने एक विवादास्पद बयान दिया है. सिंघम 3 और थाना सेरंधा कोट्टम जैसे प्रोजेक्ट से मशहूर निर्देशक राजा की पत्नी नेहा ने ट्वीटर पर कई ट्वीट किए, जिनमें उन्होंने कुछ हीरोइन्स को घर तोड़ने वाला बताया. उन्होंने लिखा कि एक्ट्रेस प्रोड्यूसर्स का पीछा करती हैं. नेहा ने ऐसी एक्ट्रेसेस को सेक्स वर्कर्स से भी बुरा बताया.

उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस बात को यूं ही नहीं कह रहीं, बल्कि् कुछ एक्ट्रेसेस पर उनकी बात सटीक बैठती है. नेहा ने आरोप लगाया है कि ऐसी हीरोइन्स खास तौर पर शादीशुदा पुरुषों को निशाना बनाती हैं और उन्हें हम बिस्तर होने को कहती हैं. नेहा ने यह भी कहा कि वे जल्द ऐसी हीरोइन्स की लिस्ट सामने लाएंगी. नेहा ने सवाल किया कि क्या वाकई ऐसी महिलाओं के पास’न’ कहने का विकल्प नहीं होता. क्या वे एडजस्टमेंट की बात पर इस सब से बाहर नहीं निकल सकतीं. क्या एडजस्टमेंट जैसी चीज होती है. हम महिला अधिकार और नारीवाद की बात करते हैं,लेकिन ये कड़वा सच है कि महिला ही महिला की दुश्मन है. गौरतलब है कि नेहा फिल्म इंडस्ट्री में नई नहीं हैं, वे सिंघम 3 में कॉस्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर काम कर चुकी हैं.

बाबासाहेब के नाम के साथ ‘रामजी’ जोड़ेगी यूपी सरकार

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babasahebलखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम बदलने जा रही है. भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ अब उनके पिता ‘रामजी मालोजी सकपाल’ का नाम भी जोड़ा जाएगा. राज्यपाल राम नाइक की सलाह के बाद इस फैसले को लिया गया है. अब उनका नाम ‘डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर’ होगा. बताया जा रहा है कि राज्यपाल रामनाइक ने इसको लेकर 2017 में एक कैंपेन चलाया था. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खत लिखा था.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में भी उनके नाम के साथ पिता का नाम जोड़ा जाता है. इस मामले में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दे दिए हैं, जिसके बाद आधिकारिक रूप से नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर हो जाएगा.

सरकार ने रिकॉर्ड्स में सभी जरूरी बदलावों के निर्दश भी दे दिए हैं. राम नाइक नाम में बदलाव के लिए पिछले एक साल से अभियान चला रहे थे. उन्होंने नाम में बदलाव के लिए उस दस्तावेज का भी हवाला दिया था, जिसमें भीमराव अंबेडकर के हस्ताक्षरों में ‘रामजी’ नाम शामिल था.

रामनवमी की हिंसा पर मायावती की भाजपा को खरी-खरी

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नई दिल्ली। रामनवमी को हथियारबंद प्रदर्शन और उसके बाद पश्चिम बंगाल में फैली हिंसा पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भाजपा को आरे हाथों लिया है. बसपा प्रमुख ने एक बयान जारी कर कहा है कि बिना उचित सरकारी अनुमति के अवैध यात्रा व हथियारबंद प्रदर्शन करने को भाजपा के नेताओं ने अपना नया फैशन बना लिया है. यह अनुचित और गैरकानूनी है. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी के कासगंज में भी इसी कारण सांप्रदायिक दंगा भड़काया गया था.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि शान्ति व कानून-व्यवस्था को खराब करने वाली ऐसी गैर-कानूनी हरकतों को रोकने के बजाय बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार दोहरा मापदण्ड अपना कर इसे प्रश्रय व बढ़ावा देने का गलत प्रयास कर रही है. ममता बनर्जी का पक्ष लेते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि ऐसे मामलों में बिहार व पश्चिम बंगाल के विरूद्ध दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है क्योंकि बिहार में इनकी गठबंधन सरकार है तथा बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार. उन्होंने कहा कि ऐसी कानूनी कार्रवाई करने पर बंगाल सरकार को कठघरे में खड़ा करने की केन्द्र सरकार का षडयंत्र निन्दनीय है, जबकि बिहार में ऐसे ही मामले में बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री के पुत्र को वहाँ की सरकार बचाने का काम कर रही है और उसकी गिरफ्तारी से बच रही है. बसपा प्रमुख ने सवाल उठाया कि केन्द्र सरकार का कानून-व्यवस्था, अमन-चैन व सौहार्द के मामले में ऐसा दोहरा मापदण्ड क्यों. कासगंज हिंसा का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि ऐसे ही बिना उचित कानूनी अनुमति के ही तिरंगा यात्रा निकालने के कारण उत्तर प्रदेश के कासगंज में साम्प्रदायिक दंगा भड़का था और योगी सरकार का दामन पर भी दंगा के दाग लग गया था. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे किसी की भी हो कानून से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जानी चाहिये, परन्तु बीजेपी द्वारा बात-बात पर यात्रा व हथियारबंद अवैध प्रदर्शन एक फैशन बन गया है जिसे सख्ती से निपटने की जरूरत है. यह तभी संभव है जब केन्द्र सरकार तटस्थ व निष्पक्ष होकर व्यवहार करेगी जोकि अभी तक देखने को नहीं मिल रहा है.

DELHI DALIT BUDGET ANALYSIS 2018-19

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Finance Minister of Delhi, Manish Sisodia presented the budget for NCT on March, 22nd 2018. This is the second budget presented by the government in the merged scenario. The Minister presented a budget of Rs.53000Cr.

The financial year of 2018-19 has proved to be a very crucial year from the viewpoint of Scheduled Caste and Scheduled Tribes. In light of the merger of the plan and non-plan aspect of budget, many of the state governments have done away with the nomenclature of Scheduled Caste Sub plan and Tribal Sub plan (henceforth SCSP-TSP), we highly appreciate that the Delhi Government has continued with the policy of presenting SCSP statement in a separate code. It is also commendable that the Delhi government has introduced number of specific schemes that have potential of providing targeted benefits to the members of the marginalised communities. If these schemes like scholarships for SC & ST students in higher education along with the coaching scheme for the post matric students are implemented in participatory and transparent manner, then this has the potential for providing direct benefits to the most deserving youth from the weaker sections of the society. It is also very pertinent that for the first time in the budget of Delhi government, separate allocation has been made for the members of Scheduled Tribe community, although in a minimal way.

TABLE – 1

Delhi Budget 2018-19                                 in Rs Cr.
 Items FY 2018-19
Total Delhi Budget 53000.00
Total % of SC Population 16.8%
Total Due share @ 7.43% [*] (post merger scenario) 3937.9
Total allocation 1327.01
% of Allocation 2.50
Denied allocation 2610.89
% of denied allocation 5.00

                                 Source: Detailed Demand for Grants, FY 2018-19.

The analysis of Delhi Budget from the point of view of the Dalit community reveals that the policy of sub-plan has unfortunately continued to be overlooked in terms of allocation and planning. According to the SCSP guidelines, the budget allocations have to be made in proportional percentage of the SC population. In the merged scenario of Plan and Non-Plan estimates, keeping the Jadhav guidelines imply allocating at least 7.43% under SCSP. The analysis of 2018-19 budget shows that the due share of SC as per the policy should have been Rs. 3937.9Cr. i.e. 7.43 % of the total BE of the state. However, as per the budget presented by the Finance Minister, the total allocation for SCSP only amounts for Rs. 1327.0 Cr. i.e. 2.50% , clearly denying Rs. 2610.89Cr to the community. This is a huge gap of allocation and denial of justified resources for the Scheduled Caste community. Similarly, the allocation for Scheduled Tribes amounts to only Rs. 1.01 Cr. that can be understood as “nominal” at its best.

The Delhi Government announced a much-demanded new scheme, titled, “Jai Bhim Mukhyamantri Pratibha Yojna”, with an aim for providing subsidised coaching for SC students from economically weaker sections. The new scheme received an  an allocation of Rs.24Cr. This is highly appreciable and awaited step. However this scheme for effective implementation must increase its coverage to increase parental income ceiling from the proposed Rs 2 lakhs per-annum to Rs 5 lakhs per annum so that more SC students can benefit from this programmes. In addition, the allocated amount, is inadequate in A comparison to the eligible students from SC community.

The other new schemes, which are appreciable, are the financial assistance, which proposes fixed deposit for students under the age of 18 years, and this scheme needs a larger allocation.

Keeping in mind the ill-effects of unwarranted evictions, GST and demonetisation, which has adversely affected the most poor of the SC community, there was an urgent need to rejuvenate the small and micro enterprises and address the growing unemployment among the SC & ST youth, but it has been quite disappointing that no measure to this end have been announced in the budget of 2018-19.

In regards to of making school education and health sector inclusive, some very important steps have been initiated by the Budget of 2018-19, especially through schemes such as Sarvodaya schools and Mohalla clinics. But at the same time, the community demands for special high quality residential schools for SC children was ignored and there was no targeted schemes towards Basti development in Bastis with large number of SC population. Despite efforts being made by the government in the last year towards setting up of Mohalla clinics and opening of classrooms to aid access to education, all steps towards social justice, yet the Finance Minister in his speech did not mention Dalit community of allocations for them.

It is commendable that a scheme for SC/ST/OBC and Minority students on the lines of “Ladli scheme” has been proposed in the budget and allocation under this scheme is Rs. 10 Crs for girls. Overall allocations for Dalit women amounted to Rs. 82.23Cr. i.e. 6.20% of the entire SCSP allocation. Considering Dalit women form 50% of the Dalit population in the city and a government that claims to be committed towards welfare and social justice, these allocations are inadequate to achieve gender equity.

Examples of notional/general schemes under SCSP

  1. Senior Citizen Pension Scheme (Expansion of Old Age Assistance)

Allocation for 2018- 19: Rs.150 Cr

Profile: Provide social security by way of financial assistance (Rs 1,000 per month) to destitute, old and disabled persons above 60 years of age without any means of subsistence.

Besides SCs, the SCSP amount is being used for others also. This is a violation of policy guidelines.

  1. Grants-in-aid to DUSIB for construction of pay and use Jan Suvidha Complexes

Allocation for 2018-19: Rs.80Cr.

Profile: The scheme aims to address environmental problems arising from slum dwellers defecating in the open. As per a survey done by the Food & Civil Supplies Department, as on January 31, 1990, there were 9.5 lakh dwellers in notified slums and 13 lakh dwellers then staying on encroached public land, and the scheme was to cover them.

SCSP guidelines don’t allow the usage of SCSP funds in a way that benefits all.

  1. Total Fund allocation for dispensary/health centre/Hospital

Allocation for 2018 – 19: Rs. 275.72 Cr.

Profile: The Directorate of Health Services is responsible for planning and building dispensaries and hospitals in Delhi.

These services will be available for all and not just for SCs, which violates policy guidelines.

  1. Construction of school buildings

Allocation for 2018 -19: Rs.20Cr

Profile: The Department of Education, through the Finance (Budget) Infrastructure Desk, has the mandate to construct school buildings. The scheme is good, but it targets everyone and not just SCs,

  1. Grants to DUSIB for construction of houses for weaker section (JNNURM)

Allocation for 2018-19: Rs.2.1Cr

Profile: The Delhi Urban Shelter Improvement Board is the nodal agency for relocation/rehabilitation of slum dwellers.

Since the scheme does not conform to policy guidelines to provide benefits to SCs only, it is notional in nature.

  1. Grants to DUSIB for environmental improvement in urban slums

Allocation for 2018 – 19: Rs.22.Cr

Profile: Provide basic amenities in slum clusters, including internal lanes/drains, community toilets and Shishu Vatika for children.

The scheme is being implemented in a way that doesn’t ensure direct benefits to the target group.

  1. Improving infrastructure (roads, localities, street lights, etc) in each assembly constituency

Allocation for 2018 – 19: Rs. 55 Cr.

Profile: Launched as the MLALAD scheme in 1994-95, it gives Rs. 4 Cr to every MLA every year.

Examples of good schemes benefiting SCs directly

  1. Grants-in-aid to DUSIB for financial assistance to SC slum dwellers under Rajiv Ratan Awaas Yojana

Allocation for 2018 – 19: Rs.0.01Cr

Profile: Provides subsidy/reimbursement to SC slum dwellers chosen for relocation under a DUSIB scheme. The assistance is equivalent to the beneficiary contribution required under the relocation scheme.

Allocation to such a good scheme that provides direct benefit is very low. It should be increased to enable a slum-free city.

  1. Scholarship/merit scholarship to SC/ST/OBC/minority students

Allocation for 2018 – 19: Rs.70 Cr

Profile: A student can avail the scholarship, either under the State Plan Scheme or under Centrally Sponsored Scholarship Scheme, whichever is beneficial to him/her. They need to inform the awarding authority through the head of the institution by mode of a declaration.

  1. Post Matric Scholarship for SC students: Rs. 21 Cr.

Allocation to such a direct benefitting scheme should be increased.

  1. Loan to DSFDC for Delhi Swarozgar Yojana for SC/ST/OBC/minorities

Allocation for 2018 -19: Rs.2 Cr.

Profile: This Corporation aims to bring all-round economic development and upliftment of SCs in the NCT of Delhi.

It’s a good scheme with direct benefit. However, unfortunately, the implementing agency has a poor image and is now defunct. It should be made fully functional, with adequate funding.

  1. Free supply of textbooks

Allocation for 2018 -19: Rs. 88.19 Cr

Profile: Provide free supply of textbooks to students from nursery to Class XII.

  1. Improvement of SC bastis

Allocation for 2018-19: Rs. 65 Cr

Profile: Aims to improve living conditions in bastis habituated mostly by SCs by carrying out civil works such as repair of chaupals, construction of common bathrooms and community latrines, repair/relaying of drains and pavements, construction of bituminous roads or CC flooring approach roads or kharanjas as per requirement, repair of SC dharamshalas, etc.

One of the most popular schemes under this sector, it has improved living conditions in SC clusters, both authorised and unauthorised. A good scheme, it should be scaled up to cover bastis that come under the 11 reserved districts of Delhi.

  1. Allocation under Ladli Schemes: Rs. 10 Cr.
  2. Hostel for Scheduled Caste Girls

Allocation for 2018-19: Rs. 0.73 Cr

Profile: Provide hostel facilities to SC girls for a congenial study environment.

  1. Training SC labourers through short-term courses for self-employment

Allocation for 2018 -19: Rs. 0.10 Cr

Profile: Provides special training/coaching to SCs to prepare them for jobs in the private sector or to turn entrepreneur. There is a proposal to include various categories of skill development programmes.

It’s a good initiative, but the allocation is token and needs to be increased.

RECOMMENDATION UNDER SCSP FOR DELHI:

  1. SCSP allocation should be made proportionate to the population.
  2. The schemes must be designed to directly target SC community and be finalised in consultation with SC communities & their leaders.
  3. 50% of the total outlay, proportionate to the SC women population to be set aside for targeted programmes for the welfare and development of SC Women and children.
  4. Appointment of an exclusive Finance Secretary, called Secretary Finance (Sub Plans) located in the Department for the Welfare of SC/ST/OBC/Ministry to perform the functions relating to budget formulation.
  5. A “Gender Unit” within the nodal agency shall prepare the SCSP plan with schemes targeting SC women and children
  6. The nodal department to be given sufficient funds resources, human resources and full administrative power to execute the responsibilities as per the SCSP guidelines.
  7. To formulate schemes not merely survival-oriented but, focus on acquisition and generation of knowledge, building of durable assets, accessing skills development for gainful and professional occupation, engaging in entrepreneurship and business enterprises, political capacitating and empowerment that are critical for bridging the development gap.
  8. Re-appropriate all Diverted, Notionally allocated & Denied Funds under SCSP. The nodal department shall make a pool of fund of unutilised amount.
  9. SCSP fund shall be non-lapsable and non-divertible.
  10. SCSP fund shall not be allocated to General Schemes that are accessible to all including the Scheduled Castes.
  11. State government bureaucrats responsible for implementing SCSP schemes and projects to be made accountable to the SCs community in their respective municipalities as regards information, activity report and assessment data concerning SCP schemes and projects;
  12. The Comptroller and Auditor General or Auditor General shall have statutory independence from the Executive, and that access to information and appropriate resources to audit and report publicly on the use of SCSP funds be mandated accordingly.
  13. Make efforts to bring legislation for SCSP along the line of Karnataka & AP regarding planning, allocation, utilisation and audit of expenditures at the state level.
  14. As per the, 2010 Revised Guidelines on SCSP, Planning Commission of India has suggested that, the State Govt. may constitute a “Scheduled Castes Development Council” under the Chief Minister, to perform the functions assigned to it.

DEMANDs FROM THE SC COMMUNITY

Departments and other agencies of the State shall, in particular with the consultation of SC and ST communities, give high priority to the following schemes:

  1. Provision of housing-sites and adequate houses with all facilities for all SC families;
  2. Residential schools of high quality to ultimately cover all SC boys and girls up to Class XII;
  3. Coaching schemes of high quality in the last years in school to equip the SC boys and girls to compete for selections to professional and other higher educational institutions
  4. Scholarships to all SC boys and girls studying professional education.
  5. Make efforts to bring legislation for SCSP along the line of Karnataka & Telangana regarding Planning, Allocation, Utilisation and audit of expenditures at the state level.
  6. Provision of civic amenities and facilities necessary for SC localities, potable drinking water facilities, adequate housing, sanitation facilities; community hall with 24×7 electricity and computers to be used as study centres for SC children and for other common developmental and welfare activities, internal roads, electricity, telephonic and digital links, postal and telegraph links,
  7. Quality Health care Schemes for reduction of neo-natal mortality, infant mortality, child mortality, maternal mortality, malnutrition, anaemia among SCs, especially SC children and women, and bringing them to the level of Socially Advanced Castes (SACs)
  8. Total liberation and comprehensive rehabilitation of manual scavengers.
  9. Measures for preventing fresh recruitment of manual scavengers and humanisation of other sanitation services such as introduction of modern machinery to clear sewages without human beings having to get into manholes.
  10. Schemes for skill development, entrepreneurship development, fulfilment of reservations and equipping SCs to compete successfully for open competition jobs and posts.
  11. Schemes for promoting and supporting NGOs from Scheduled Caste and to facilitate the SC community to access and monitor its rights and entitlements in the Act.
  12. Schemes that will benefit SCs directly and are related to Acquiring, Developing, Innovating and Producing Knowledge: doctoral and post-doctoral research within and outside the state and country, doing primary research projects in science and technology, attending conferences abroad, setting up private research institutes, fellowships for research projects and publications, etc.
  13. Sufficient funds to implement Scheduled Caste Scheduled Tribes Prevention of Atrocities act to address the growing violence

LIST OF SUGGESTIVE SCHEMES

Suggestive Schemes Under the SCSP for SCs in Delhi for FY 2018-19.
S. No. Category Concern Dept/Ministry. Name of Scheme* Proposed Budget (Rs. in Cr)
1 Education Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Construction of Buildings for Residential Schools. 100.00
2 Education Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Overseas Scholarship for Graduate and Post Graduate Students. 35.00
3 Education Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Hostel for SC Boys 100.00
4 Education Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Hostel for SC Girls. 100.00
5 Scholarship Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Scholarship for Colleges and University Students for SC/ST/month. (As per govt. rule Rs. 1620/- X 12 for Medical, Engineering and other technical courses.) 60.00
6 Health Dept. Of Health. Construction of Building for dispensary/ health centre/Basti. 50.00
7 Entrepreneurship Social Welfare-DSFDC Training to SC Labourers through short-term courses for self-employment. (Govt. rule, Under SJSRY, Rs. 10,000/- per person for Skill training.) 6.00
8 Entrepreneurship Social Welfare- DSFDC Margin Money Loan to DSFDC for Self-employment to ensure livelihood to promote Entrepreneurship. 10.00
9 Housing Dept. For the Welfare of SC/ST/OBC/Minor. Low Cost housing for SC families. 1200.00
10 Employment DSFDC Delhi Swarojgar Yojana for SC/ST/Minorities. (Govt. rule Rs. 200000/- to 500000/- under Self Employment Scheme for Educated Unemployed Youths of School & College Dropouts.) 100.00
TOTAL             Rs. in Cr. 1761.00

अब यज्ञों से होगी राष्ट्र और पर्यावरण की रक्षा

18 मार्च से दिल्ली के लाल किला के बाहर राष्ट्र रक्षा महायज्ञ शुरू हो चुका है. इस कथित यज्ञ में 2100 ब्राह्म्ण पुरोहित भारत की रक्षा के लिए हवन कर रहे हैं. स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस यज्ञ में अपनी सहभागिता प्रदर्शित की है. वहीं दूसरी ओर दिल्ली से बमुश्किल सत्तर किलोमीटर दूर मेरठ के भैंसाली मैदान में नौ दिवसीय कथित महायज्ञ जारी है, जहां वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच वहां बने 108 हवन कुंडों में आहुति देने की रस्म 350 ब्राह्मण अदा कर रहे  हैं. इस दौरान 500 क्विंटल आम की लकड़ी का हवन किया जा रहा है. इसके अलावा इस आयोजन में घी के कितने कनस्तर खाली होंगे, इसका अनुमान फिलहाल लगाया भी नहीं जा सकता.

मेरठ में होने वाले यज्ञ के बारे में ऐलान किया गया है कि इसका मकसद प्रदूषण को कम करना है. इसके लिए वेदों और अन्य धर्मशास्त्रों का हवाला दिया जा रहा है. कोई पूछ सकता है कि इन दिनों स्कूली किताबों में ‘पर्यावरण अध्ययन’भी यही बताया जाता है कि किस तरह लकड़ी का जलाना प्रदूषण को बढ़ावा देता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन्स भी यही कहती है. आप स्वयं भी महसूस कर सकते हैं कि ऐसी जगहों पर हम दम घुटता महसूस करते हैं, आंखें आंसू से भर जाती हैं.

राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्र रक्षा महायज्ञ यज्ञ अधिक विशाल, अधिक संसाधनों से संचालित है जहां केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार की अगले चुनावों में वापसी पर फोकस रहेगा. इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सत्ताधारी पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता भी हाजिरी लगाएंगे. मुताबिक देश के अलग-अलग हिस्सों से 2,100 पुरोहित जो सभी ब्राह्मण जाति के होंगे और 51,000 सहयोगी इसमें शामिल होंगे. इसका आगाज तो 14 फरवरी को ही हो गया था जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जल मिट्टी रथ यात्रा को दिल्ली में हरी झंडी दिखाई दी, जिसका मकसद था जगन्नाथ पुरी पहुंचकर वहां का पानी तथा गीली मिट्टी लाना, जिसका इस्तेमाल राष्ट रक्षा महायज्ञ के कुंडों के निर्माण के लिए होनेवाला था. महायज्ञ का सेट बॉलीवुड के एक मशहूर सेट डिजाइनर ने तैयार किया है.

हम देख सकते हैं कि भारत जैसे देश में, जहां अंधश्रद्धा का जबर्दस्त बोलबाला है और तर्कशीलों को गोलियां खानी पड़ रही हैं क्योंकि ये तर्कशील लोग लोगों को वैज्ञानिक चिंतन के रास्ते पर (जो संविधान की आत्मा है) चलने की सलाह दे रहे हैं. यह मेगा इवेंट जिसमे छद्म विज्ञान परोसा जाएगा, वह तर्कशीलता, कौतुहल के विकास को बाधित करेगा.

हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी से ऐसे सैकड़ों ंउदाहरण गिना सकते हैं जो इस बात की आवश्यकता स्पष्ट करते हैं कि भारत में वैज्ञानिक चिंतन को बढ़ावा देने की कितनी आवश्यकता है. दुर्भाग्य की बात तो यह है कि यहां आस्था के नाम पर विज्ञान के शिक्षक-प्राध्यापक भी इन बातों के आगे नतमस्तक ही नहीं हो जाते अपितु बढ़ावा देते पाए जाते हैं.

हकीकत यही है कि जब आस्था आप के चिंतन पर हावी होने लगती है तो आप आसानी से संदेह (जिसे ज्ञान की पहली सीढ़ी कहा गया है) को त्याग कर धर्मग्रंथों की वरीयता के सामने नतमस्तक होते जाते  हैं, आप किसी भी बात पर यकीन करने लगते हैं.

अगर राष्ट्ररक्षा यज्ञ से देश की रक्षा और पर्यावरण रक्षा होने लगे तो फिर क्या कहने? फिर सीमा पर हमारे जवानों को शहीद होने की आवश्यकता ही नहीं. प्रदूषण नियंत्रण भी इसी उपाय से किया जा सकता है.

एस सी भाऊरजार, सिवनी (मध्य प्रदेश)

सचिन और रेखा की सदस्यता खत्म, आखिरी दिन भी गायब रहें दोनों

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नई दिल्ली। राज्यसभा के 85 सांसदों का कार्यकाल आज खत्म हो गया. इसमें कई जाने-माने नाम शामिल हैं. इन नामों में क्रिकेट जगत के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और फिल्म जगत से रेखा भी शामिल हैं. इस मौके पर सांसदों के लिए विदाई समारोह रखा गया. लेकिन इस दौरान भी दोनों सदन में अपनी जगह पर मौजूद नहीं थे.

अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान दोनों ने संसद के हुए सभी सत्रों में महज एक या दो दिन सदन में मौजूद रहे. यह मौजूदगी इसलिए भी रहे जिससे उनकी राज्यसभा सदस्यता लगातार बनी रहे. लेकिन जहां तक संसद में किसी सांसद की जिम्मेदारी का सवाल उठता है तो दोनों इस मामले में फिसड्डी रहे.

राज्यसभा में बतौर सदस्य रेखा के 6 साल

राज्यसभा वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान रेखा ने एक भी सवाल नहीं पूछा. हालांकि ऐसा नहीं है कि संसद की तरफ से रेखा को सदन के कामकाज में शामिल करने की कोई पहल नहीं की गई. रेखा को सितंबर 2016 से फूड, कंज्यूमर अफेयर्स और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन की समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई.

संसद में उनकी मौजूदगी की बात करें तो अपने कार्यकाल में अगस्त 2017 तक हुए संसद के कुल 373 सिटिंग्स में वह सिर्फ 18 सिटिंग्स में शामिल रहीं. यानी पूरे कार्यकाल के दौरान उनकी कुल अटेंडेंस महज 5 फीसदी रही. रेखा ने सिर्फ एक बार सदन के सत्र में शामिल न होने के लिए एप्लीकेशन दी और न शामिल हो पाने की वजह फिल्म में काम करने की मजबूरी बताई. हालांकि कुछ सत्रों से वह बिना एप्लीकेशन दिए गायब रहीं.

संसद में सचिन 

जहां तक सचिन का सवाल है, सचिन के रिकॉर्ड में 22 सवाल दर्ज हैं, जिनका ब्यौरा राज्यसभा की वेबसाइट पर शामिल किया गया है. उनके सवाल रेलवे नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन, न्यू एजुकेशन पॉलिसी में स्पोर्ट्स को बतौर विषय शामिल करना और रेलवे सुरक्षा जैसे विषयों पर केन्द्रित रहे चीन के कार्यकाल में अगस्त 2017 तक संसद के कुल 373 सिटिंग्स में वह 25 सिटिंग्स में शामिल रहे हैं. यानि सचिन की अटेंडेंस कुल 7 फीसदी रही.

गोरखपुर के नए सांसद प्रवीण निषाद को सताने लगा सुरक्षा का डर

गोरखपुर। गोरखपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ल को हराकर सांसद बने प्रवीण निषाद को अपनी सुरक्षा का डर सताने लगा है. उनकी पार्टी निषाद पार्टी ने भी अपने सांसद के साथ सौतेला व्यवहार करने का भी आरोप लगाया है. पार्टी का कहना है कि जब मठ से महंत योगी आदित्यनाथ सांसद हुआ करते थे तो उनकी सुरक्षा में पुलिस फोर्स रहती थी लेकिन सांसद प्रवीण को केवल एक सरकारी गनर ही मिला है.

पार्टी का कहना है कि सुरक्षा को लेकर वर्तमान सरकार में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. जब सीएम योगी सदर सीट से सांसद हुआ करते थे, सरकार कोई भी हो उनके साथ पुलिस की एक जिप्सी चलती थी, लेकिन सांसद प्रवीण निषाद को केवल एक ही सरकारी गनर मिला है. पार्टी का कहना है कि यदि सांसद प्रवीण के साथ कोई अनहोनी होती है, तो उसके लिए राज्य सरकार और पुलिस विभाग जिम्मेदार होगी.

पार्टी के इस आरोप पर गोरखपुर के एसएसपी शलभ माथुर ने कहा कि यदि कोई खतरा होने के संबंध में सूचना दी जाती है, तो एलआईयू जांच कराई जाएगी. इसके बाद सांसद प्रवीण को जरूरत के आधार पर और सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. सांसद फिलहाल संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए दिल्ली में हैं.

क्या संघ से डरकर दिल्ली में घूम रही हैं ममता बनर्जी

एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी भाजपा विरोधी गठबंधन तैयार करने में जुटी है तो वहीं ममता बनर्जी भाजपा और कांग्रेस से इतर तीसरे मोर्चे की कवायद में दिल्ली में जमी हैं. असल में ममता बनर्जी ऐसा खुद को बचाने और भाजपा पर दबाव बनाने के लिए कर रही हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा और संघ ने जिस तरह से आक्रामक रणनीति अपनाई है, ममता उससे डरी हुई हैं.

इसकी झांकी रामनवमी की उस झांकी में देखने को मिली, जिसमें भाजपा ने हिदुत्व के झंडे तले एक बड़े वर्ग को एकजुट कर लिया था. अकेले कोलकाता में छह विशाल रैलियां निकाली गई. इसके अलावा प्रमुख शहरों और जिला मुख्यालयों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी उसी उत्साह से रैलियां देखी गई.

तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी दीदी के गढ़ पश्चिम बंगाल में अपने संगठन में बड़ा विस्तार कर लिया है. खबर है कि पिछले एक साल के भीतर आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में250 शाखा खोला है, जिनमें नियमित रूप से संघ की गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है.

संगठन का विस्तार सबसे ज्यादा उन इलाकों में हुआ है, जहां गरीबी या शिक्षा व्यवस्था की कमी लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है. आंकड़ों की बात करें तो आरएसएस ने सबसे ज्यादा विस्तार पश्चिम बंगाल के हुगली और दुर्गापुर जिलों में किया है. इन जिलों में संघ 2016 तक करीब1100 शाखाओं का संचालन करता था जिनकी संख्या अब 1350 के आंकड़े को भी पार कर चुकी है. जाहिर है इन पिछड़े इलाकों में लोगों से जुड़कर संघ उनकी इस दशा के लिए हालिया ममता बनर्जी की सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा.

संघ और भाजपा की यही घेराबंदी ममता बनर्जी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. ममता बनर्जी को डर है कि कहीं हिन्दुत्व की लहरों पर सवार और संघ की जमीनी घेराबंदी से 2019 लोकसभा चुनाव और फिर बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के हाथ से प्रदेश की सत्ता न निकल जाए. अपने दिल्ली दौरे से ममता बनर्जी भाजपा पर कितना दबाव बना सकती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा.

मायावती के लिए उमड़ा ममता बनर्जी का प्यार

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नई दिल्ली। तीसरे मोर्चे की संभावना को टटोलने के लिए ममता बनर्जी दिल्ली में हैं. तकरीबन दर्जन भर विपक्षी नेताओं से मिलने के बाद ममता के निशाने पर भाजपा के बागी नेता हैं. अपने दिल्ली दौरे के तीसरे दिन ममता बनर्जी ने भाजपा से रुठे दिग्गज नेता शत्रुघ्न सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी से मिलने की कवायद में जुटी रहीं. हालांकि इस बीच ममता बनर्जी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पर भी नजर बनाए हुए हैं.

ममता बनर्जी ने खुद मायावती की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. पिछले दिनों यूपी के राज्यसभा चुनाव के बाद मायावती ने भाजपा की जमकर खबर ली थी और अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन जारी रखने की बात कही थी. इसके बाद ही दीदी ने भी बंगाल से ही बहनजी के सुर में सुर मिलाया था. ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं मायावती जी द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का स्वागत करती हूं. इस मिशन में मैं भी उनके साथ हूं.’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, ‘मैं मायावती जी द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का स्वागत करती हूं. हम राष्ट्र के लिए मिशन में मजबूती के साथ उनके और अखिलेश यादव के साथ हैं.’ हालांकि दीदी की ममता पर बसपा प्रमुख ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन जिस तरह ममता बनर्जी तीसरे मोर्चे को लेकर गंभीर हैं, वह बिना सपा और बसपा के समर्थन के मुकम्मल नहीं हो सकता है, क्योंकि कोई भी मोर्चा उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों की अनदेखी नहीं कर सकता है. और अगर बात गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों की हो तो यूपी में सबसे बड़ी ताकत सपा और बसपा ही है.

लेकिन यहां देखने वाली बात यह होगी कि क्या मायावती भी ममता बनर्जी के साथ जाना चाहेंगी?असल में इसकी संभावना कम दिखती है, क्योंकि एनडीए से पहले संप्रग की सरकार को मायावती ने लगातार दस साल तक अपना समर्थन दिया था. हाल ही में सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी दलों की बुलाई गई बैठक में भी बसपा की ओर से सतीशचंद्र मिश्रा शामिल हुए थे. हालांकि बसपा प्रमुख मायावती ने भी खुलकर ममता बनर्जी के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा है.

देखिये ममता बनर्जी के तीसरे गठबंधन में कौन-कौन?

लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए गैर कांग्रेसी राजनीतिक दलों में थर्ड फ्रंट बनाने की चर्चा तेज हो गई है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थर्ड फ्रंट की संभावनाओं को तलाशने के लिए मंगलवार को दिल्ली पहुंची और संसद के सेंट्रल हॉल में कई दलों के नेताओं से मुलाकात की.

ममता बनर्जी ने जिन नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की उनमें शिवसेना के नेता संजय राउत, NCP चीफ शरद पवार, समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा, डीएमके नेता कनिमोझी, TDP के नेता वाईएस चौधरी और राम मोहन नायडू के अलावा मिसा भारती और जेपी यादव शामिलल हैं. एनसीपी चीफ पवार के साथ ममता बनर्जी की मुलाकात करीब एक घंटे तक चली.

टीडीपी सांसद, एनडीए से अलग हुए स्वाभिमान शेतकारी संगठन के राजू शेट्टी और राज्यसभा में बीजेडी सांसद अनुभव मोहंती  भी अपनी पत्नी के साथ ममता बनर्जी से मुलाकात की. इस मसले पर फारूक अब्दुल्ला ने ममता बनर्जी की तारीफ की है. साथ ही उनसे मुलाकात करने की बात कही है.

ममता बनर्जी जेडीयू के पूर्व संयोजक शरद यादव और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात करेंगी. हालांकि सोनिया गांधी से मुलाकात को लेकर उन्होंने तस्वीर साफ नहीं की है. फिलहाल माना जा रहा है कि यह गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस फ्रंट होगा. ऐसे में कांग्रेस के इसमें शामिल होने की उम्मीद नहीं हैं.

इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कोलकाता जाकर ममता बनर्जी से थर्ड फ्रंट बनाने की संभावना को लेकर चर्चा की थी, जिसके बाद दोनों नेताओं ने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी फ्रंट की बात पर जोर दिया था. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि ममता कांग्रेस नेताओं से भी मुलाकात करती हैं या सिर्फ दूसरे विपक्ष दलों के नेताओं से चर्चा कर वापस बंगाल लौट जाती हैं. अगर ऐसा होता है तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है.

यूपी पुलिस इनका एनकाउंटर कब करेगी? अखिलेश यादव ने  फोटो शेयर कर योगी सरकार से पूछा

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लखनऊ।उत्‍तर प्रदेश में लगातार हो रहे एनकाउंटर पर गैरसरकारी संस्‍थाओं के साथ ही विपक्ष भी योगी आदित्‍यनाथ पर हमलावर रही है. अब प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने अखबार की एक कटिंग ट्वीट कर पूछा है कि यूपी पुलिस इनलोगों का एनकाउंटर कब करेगी. दरअसल, यह घटना औरेया की है. बेटी के साथ हर दिन होनेे वाली छेड़खानी से तंग आकर पिता ने आरोपी के खिलाफ स्‍थानीय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मामला दर्ज कराने के कारण पीड़ि‍ता के पिता की हत्‍या कर दी गई. इसमें भाजपा के पूर्व मंडल अध्‍यक्ष समेत चार के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्‍य सरकार पर इसको लेकर सवाल उठाया है. उन्‍होंने ट्टीट किया, ‘चाहे चंडीगढ हो या औरेया, देश-प्रदेश में हर जगह सत्‍ताधारी नारी सम्‍मान से ऐसे ही छेड़छाड़ कर रहे हैं. उनके खिलाफ जो भी जाता है…अब तो उन गरीब-कमजोर, दलित, दमित लोगों भी भी हत्‍या हो रही है. यूपी की पुलिस इनका एनकाउंटर कब करेगी या फिर सत्‍तापक्ष के लोगों को अभयदान मिला हुआ है.’ पीड़ि‍ता के पिता का शव भट्ठे के पास से बरामद किया गया था.

बता दें कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अपराधियों के खिलाफ राज्‍यभर में अभियान छेड़ रखा है. आलम यह है कि अपराधी और गैंगस्‍टर एनकाउंटर के डर से खुद थाने में आत्‍मसमर्पण कर रहे हैं. यूपी पुलिस ने रविवार (25 मार्च) को नोएडा में एक वांछित अपराधी को मुठभेड़ में मार गिराया था. पुलिस ने बताया कि उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उसने एके-47 से गोली चला दी थी. उसकी पहचान श्रवण के तौर पर की गई थी. उसके सिर पर एक लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था. मालूम हो कि फरवरी में 15 हजार रुपये का इनामी बदमाश अंकित ने हापुड़ जिले के बाबूगढ़ थाने में जाकर आत्‍मसमर्पण कर दिया था. आरोपी का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उसने कहा था कि एनकाउंटर को देखते हुए उसके परिजनों ने सरेंडर करने की सलाह दी थी. प्रदेश के कई हिस्‍सों से अपराधियों द्वरा समर्पण करने की खबर आई थी. बताया जाता है कि अपराधियों में एनकाउंटर का खौफ बैठ गया है.

जो परिणाम आया, उससे ये लग रहा था कि कहीं वो नाराज तो नहीं हैं – अखिलेश यादव

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उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार की हार पर अखिलेश यादव ने ये कहा कि उनकी पहली ज़िम्मेदारी अपने पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की थी, बीएसपी उम्मीदवार के पक्ष में पर्याप्त वोट नहीं जुटा पाने की वजहों के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक धोखे का एहसास नहीं था.

बीबीसी हिंदी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने इस गठबंधन के भविष्य और 2019 के आम चुनाव को लेकर विपक्ष की चुनौतियों पर विस्तार से बातचीत की है. बीबीसी से साभार पेश है उसके प्रमुख अंश-

सवाल: मायावती जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उनकी पार्टी का सपा के साथ 2019 में भी गठबंधन बना रहेगाइस पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?

जवाब: जो परिणाम आया था, उससे ये लग रहा था कि कहीं वो नाराज़ तो नहीं हैं, लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है कि उन्होंने एक बार फिर से कॉन्फिडेंस बिल्ड अप कर दिया है कि एलाएंस हो. अगर कॉन्फिडेंस से ये एलाएंस होगा तो ये लंबा चल सकता है, जो मक़सद है वो पूरा होगा.

जो लोग सत्ता में बैठे हैं, जो ना तो संविधान को मान रहे हैं और ना क़ानून को मान रहे हैं, उन्हें हटाने में मदद मिलेगी. जो लोग करप्शन हटाने की बात कर रहे थे उन्होंने चुनाव जीतने के लिए किस तरह पैसे का इस्तेमाल किया है, आप देख लीजिए.

इसके अलावा उन्होंने कुछ सुझाव दिया है, उन्होंने राजनीति के बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. उन्होंने करीब से देखा है कि लोग किस तरह से बदल जाते हैं. राजनीति का लंबा रास्ता तय करने के लिए कहीं ना कहीं सावधान रहना पड़ेगा.

सवाल: आपने उन सुझावों पर विचार कियाजो उन्होंने आपको दिया है?

जवाब: अगर कोई सावधान करता है और वो सच्चाई के आस-पास है तो हमें समझना पड़ेगा कि धोखा क्या होता है, कोई किस तरह साज़िश कर सकता है.

हमारे सदस्यों को जेल से नहीं आने दिया गया, एक ही धरती पर दूसरे प्रदेश के लिए दूसरा क़ानून है, उत्तर प्रदेश के लिए दूसरा. पूरा प्रशासन लगा हुआ था कि हमारा विधायक वोट नहीं दे पाए. मुख्यमंत्री ने फिरोज़ाबाद का दौरा खासकर लगाया था ताकि हमारे विधायक को वोट डालने से रोका जाए. पर्सनल लेवल पर ज़िलाधिकारी तक को निर्देश दिए गए थे.

सवाल: इसके अलावा कोई और चूक जो आपसे रणनीतिक स्तर पर हुई हो?

जवाब: कोई किस सीमा तक साज़िश कर सकता है, इसका अंदाज़ा मुझे नहीं था. उन लोगों ने हमारे लोगों को तोड़ लिया. हमारे एक सांसद को तोड़ लिया, जिन्हें शराब में कौन-कौन से भगवान नज़र आ रहे थे.

हमने लोगों पर भरोसा किया लेकिन राजनीतिक तौर पर साज़िश करके हमारे दो विधायकों को वोट नहीं देने दिया, एक का वोट रद्द कर दिया. हर तरह के हथकंडे अपना कर विधायकों का वोट खरीदा गया.

सवाल: लेकिन आप चाहते तो ये बिसात बदल सकते थेआख़िरी समय में अगर आपने बीएसपी उम्मीदवार को पहले जिताने का फ़ैसला लिया होता तो शायद जया जी की सीट भी निकल आती?

जवाब: इस सवाल पर मेरा बस इतना कहना है कि मेरी ज़िम्मेदारी अपनी पार्टी की थी और मैं ये मानकर चल रहा था कि मुझे अच्छे वोट मिल रहे हैं, मुझे साज़िश का पता नहीं था. दो वोट कैंसिल हो जाएंगे, इसका अंदाज़ा भी नहीं था. लोग वोट अंदर जाकर दे रहे थे, तो हमें अंदाज़ा था कि हमारे पास पूरे वोट हो जाएंगे लेकिन उनकी साज़िश बड़ी थी और हम उसे पूरी तरह समझ नहीं पाए थे.

सवाल: लेकिन आपकी ग़लती को माफ़ करने के साथ-साथ मायावती जी गेस्ट हाउस कांड तक को भूलने की बात कर रही हैं?

जवाब: साज़िश से सावधान तो रहना ही होगा, ये हमने सीखा है. मायावती जी काफ़ी परिपक्व हैं,वो सब समझती हैं. जहां तक गेस्ट हाउस कांड की बात है, तो उसका सबसे बेहतरीन जवाब ख़ुद मायावती जी ने दे दिया है. मैं तो उस वक़्त था ही नहीं और वो भी उससे काफ़ी आगे बढ़ चुकी हैं.

प्रदीप कुमार