सुनील ग्रोवर के शो का हिस्सा नहीं बनेंगे कीकू शारदा

मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा इन दिनों अपनी खराब हेल्थ और शो के ऑफएयर होने की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. कपिल शर्मा से विवाद के बाद सुनील ग्रोवर एक बार फिर छोटे पर्दे पर वापसी करने के लिये तैयार हैं. साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि अली असगर और सुंगधा मिश्रा के साथ कॉमेडियन कीकू शारदा भी सुनील ग्रोवर के नये शो का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इन खबरों पर कीकू शारदा ने चुप्पी तोड़ते हुए कपिल शर्मा के शो का हिस्सा बने रहने की बात कही है.

बता दें कि कीकू शारदा ने कपिल शर्मा के सबसे मुश्किल वक्त में भी उनका साथ दिया है और वह ‘द कपिल शर्मा शो’ के ऑफएयर होने तक इसका हिस्सा बने रहे. कीकू शारदा ने सुनील ग्रोवर के नये शो का हिस्सा बनने की बातों को अफवाह बताया है. कीकू ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ”मैं सब टीवी के नये शो का हिस्सा बन रहा हूं पर मैं पहले की तरह ‘द कपिल शर्मा शो’ का हिस्सा भी बना रहूंगा.”

रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि सुनील ग्रोवर एक बार फिर सोनी टीवी पर नये शो के साथ वापस आने के लिये तैयार हैं. बताया जा रहा है कि उनका नया शो ‘ड्रामा कंपनी’ को रिप्लेस करेगा. वैसे कपिल शर्मा भी यह साफ कर चुके हैं कि वह अपनी तबीयत ठीक होते ही शो को वापस ला रहे हैं.

नरायणा गुरू परिनिर्वाण दिवसः दक्षिण में ब्राह्मणवाद पर करारा प्रहार किया

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लगभग सौ वर्ष पहले ट्रावनकोर और कोचीन (वर्तमान केरल राज्य) ऐसा क्षेत्र था जहां निम्न जाति वालों के लिये मंदिर, विद्यालय और सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश वर्जित था. कुंओं का इस्तेमाल वे कर नहीं सकते थे. इस जाति के मर्द और औरतों के लिये कमर से ऊपर कपड़े पहनना तक बड़ा गुनाह था. गहने पहनने का तो सवाल ही नहीं था. इन्हें अछूत तो समझा जाता ही था, उनकी परछाइयों से भी लोग दूर रहते थे. तथाकथित बड़े लोगों से कितनी दूर खड़े होना है वह दूरी भी जातियों के आधार पर निर्धारित थी. यह 5 फुट से 30 फुट तक था. कुछ जातियों के लोगों को तो देख भर लेने से छूत लग जाती थी. उन्हें चलते समय दूर से ही अपने आने की सूचना देनी पड़ती थी, वे लोग जोर – जोर से चिल्लाते जाते थे –“ मेरे मालिकों, मै इधर ही आ रहा हूं, कृपया अपनी नजरें घुमा लें.” ये लोग अपने बच्चों के सुन्दर और सार्थक नाम भी नहीं रख सकते थे. नाम ऐसे होते थे जिनसे दासता और हीनता का बोध हो. ऐसे किसी भी सामाजिक नियम का उल्लंघन करने पर मौत की सजा निर्धारित थी. भले ही उल्लंघन गलती से हो गया हो. इन सारे अत्याचारों के बीच एक शख्स ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया था, जिसने पूरे समाज को ही बदल दिया. इस स्थिति के खिलाफ संघर्ष करने वाले और दलितों को इस गुलामी से बाहर निकालने वाले महापुरुष का नाम था नरायणा गुरू. उनका जन्म इसी केरल में 26 अगस्त 1854 को हुआ, जिन्होंने अपने अटल निश्चय से समाज की सूरत बदल दी और मनुवादी व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी.

नरायणा गुरु जैसे महान युगपुरुष को देश के कई हिस्सों के लोगों द्वारा ज्यादा नहीं जानना दुर्भाग्यपूर्ण है. नरायणा गुरु का जन्म दक्षिण (केरल) के एक साधारण परिवार में हुआ था. समाज की दशा को देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ. केरल में नैयर नदीं के किनारे एक जगह है अरुविप्पुरम. तब यहां घना जंगल था. नरायणा गुरु यहीं एकांतवास में आकर रहने लगे. उसी दौरान गुरुजी को एक मंदिर बनाने का विचार आया. नारायण गुरु एक ऐसा मंदिर बनाना चाहते थे जिसमें किसी किस्म का कोई भेदभाव न हो. जाति, धर्म, मर्द और औरत का कोई बंधन न हो. अरुविप्पुरम में उन्होंने एक मंदिर बनाकर एक इतिहास रचा. अरुविप्पुरम का मंदिर इस देश का शायद पहला मंदिर है, जहां बिना किसी जातिभेद के कोई भी पूजा कर सकता था. नरायणा गुरु के इस क्रांतिकारी कदम से उस समय जाति के बंधनों में जकड़े समाज में हंगामा खड़ा हो गया था. वहां के ब्राह्माणों ने इसे महापाप करार दिया था. दरअसल वह एक ऐसे धर्म की खोज में थे जहां समाज का हर आदमी एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस कर सके. वह एक ऐसे ‘बुद्ध’ की खोज में थे जो सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखे. वह ढ़ोगी समाज द्वारा निम्न ठहरा दी गई जातियों के लोगों को स्वाभिमान से जीते देखना चाहते थे.

लोगों ने शिकायत की कि उनके बच्चों को स्कूलों में नहीं जाने दिया जाता, उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के लिये स्कूल स्वयं बना लो और इतनी अच्छी तरह चलाओ कि वे भी तुम्हारे स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने को इच्छुक हो जाएं. लोगों ने कहा कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता, उन्होंने कहा कि न तो जबरदस्ती प्रवेश करने की जरूरत है और न प्रवेश की अनुमति के लिये गिड़गिड़ाने की आवश्यकता है.

गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उनसे मिलने के बाद कहा था- ‘मैंने लगभग पूरी दुनिया का भ्रमण किया है और मुझे अनेक संतों और महर्षियों से मिलने का सौभाग्य मिला है. लेकिन मैं खुलकर स्वीकार करता हूं कि मुझे आजतक ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला जिसकी आध्यात्मिक उपलब्धियां स्वामी श्री नरायणा गुरु से अधिक हों, बल्कि बराबर भी हो.’ नरायणा गुरु अपने धुन के पक्के थे. नारायण गुरु के कार्यों की सफलता से प्रभावित महात्मा गांधी उनसे मिलकर बातचीत करने को बहुत इच्छुक हुए और उन्होंने पूछा कि क्या गुरुजी अंग्रेजी जानते हैं, गुरुजी ने पलटकर पूछा कि क्या गांधीजी संस्कृत में बातचीत करेंगे? नरायणा गुरु ने हमेशा अपने अनुयायियों को शिक्षा के माध्यम से जानकार और जागरूक बनने, संगठित होकर मजबूत बनने और कठिन परिश्रम से समृद्धि प्राप्त करने की शिक्षा दी.

प्रो कबड्डी लीग: पटना ने बेंगलुरू को दी 36-32 से शिकस्त

रांची। आखिरी पलों में कप्तान रोहित कुमार का जुझारू प्रदर्शन भी बेंगलुरू बुल्स को जीत नहीं दिला सका. उसे मंगलवार को प्रो कबड्डी लीग के सीजन-5 में मेजबान टीम पटना पाइरेट्स ने चार अंकों के अंतर हरा दिया. हरिवंश ताना भगत इंडोर स्टेडियम में पटना ने बेंगलुरू को 36-32 से मात दी. पूरे मैच में पिछड़ती दिखी मेहमान टीम को कप्तान ने किनारे लगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे.

रोहित ने 14 रेड अंक लिए. पटना के कप्तान प्रदीप नरवाल ने 11 अंक लिए, मोनू ने 12 अंक अपने खाते में डाले. पहले हाफ से ही बेंगलुरू प्रदीप और मोनू के दबाव में दिख रही थी. पाचवें मिनट तक आते-आते उसने 5-2 की बढ़त ले ली थी. खेल जैसे आगे बढ़ता गया बेंगलुरू पिछड़ती चली गई. प्रदीप और मोनू ने उसे बैकफुट पर ढकले दिया. इन दोनों को पकड़ने के प्रयास में बेंगलुरू ने हड़बड़ी की और अंक लुटाए.

दूसरे हाफ में पटना ने 25-13 की बढ़त ले ली थी. पटना ने यहां से अपने स्कोरबोर्ड को लगातार चालू रखा और 34-17 की बढ़त ले ली. अंतिम बचे तीन मिनट में बेंगलुरू ने पटना को ऑल आउट कर स्कोर 28-36 कर वापसी की उम्मीद जगाई. रोहित ने यहां सफलता हासिल करते हुए अंक लिए लेकिन बेंगलुरू अंत में चार अंकों के अंतर से हार गई.

सरकार ने नहीं मानी मांगे तो आदिवासी करेंगे अलग राज्य की मांग

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सर्व आदिवासी समाज

बस्तर। बस्तर के आदिवासी केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर सकते हैं. आदिवासियों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार आदिवासियों से जुड़े संवैधानिक अधिकारों को लागू करने में असफल साबित हुई है. ‘सर्व आदिवासी समाज’ ने राज्य और केंद्र सरकार को अगले छह महीने में आदिवासियों से जुड़े संवैधानिक अधिकारों को लागू करने की समयसीमा दी है. आदिवासियों का कहना है कि अगर सरकारें इस निश्चित समय में आदिवासियों की मांगें नहीं मानती है तो अलग बस्तर राज्य के लिए आंदोलन शुरू होगा.

दरअसल, आदिवासियों पर सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा हो रहे है अत्याचार और शोषण के खिलाफ ‘सर्व आदिवासी समाज’ के सदस्यों ने कमिश्नर दिलीप वासनीकर और आईजी विवेकानंद के साथ बैठक की. आदिवासी समाज ने सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा हो रहे अत्याचारों की शिकायत की. कई घटनाओं को भी बताया.
  • पालनार घटनाः 31 जुलाई 2017 को दंतेवाड़ा जिला के पालनार कन्या आश्रम में रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में कुछ आदिवासी छात्राओं के साथ सुरक्षा बल के कुछ जवानों पर छेड़छाड़ करने का आरोप है. मामले में दो आरोपी जेल में हैं. इस घटना को लेकर आदिवासियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
  • परलकोट घटनाः 9 अगस्त 2017 को विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी समाज की रैली और सभा में एक समुदाय विशेष के लोगों ने खलल डाला था. जिसे लेकर आदिवासी समाज ने आज भी काफी आक्रोशित है.
  • विनिवेशः नगरनार में निर्माणाधीन स्टील प्लांट के विनिवेश के केन्द्र सरकार के फैसले का आदिवासियों ने विरोध किया है. आदिवासियों का कहना है कि विनिवेश का फैसला बस्तर और यहां के आदिवासियों के साथ धोखा है.
  • कानून लागू करनाः पांचवी अनुसूची और पेशा कानून का कड़ाई से पालन नहीं करने का अरोप भी आदिवासी समाज का मुख्य मुद्दा है. इसके अलावा कई और छोटी-बड़ी मांगे समाज ने शासन-प्रशासन के समक्ष रखी है.

कमिश्नर कार्यालय सभागार में प्रशासन और आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के बीच चली बैठक के बाहर निकलकर मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने आदिवासियों की बातों को रखा. अरविंद नेताम ने कहा कि पहली बार प्रशासन ने आदिवासी समाज के साथ संवाद स्थापित करने का प्रयास किया है जिसका वे लोग स्वागत करते हैं. अब बारी समाज के द्वारा सामने लाए गए विषयों पर कार्रवाई करने की है.

सोहन पोटाई ने कहा कि कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र बंगीय समुदाय के ऐसे लोग जिन्हें शरणार्थी के रूप में सरकार ने बसाया है उनसे उन लोगों को कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन बीते तीन-चार दशक में काफी संख्या में अवैध रूप से भी इस समुदाय के लोग घुसपैठ कर स्थापित हो चुके हैं. ऐसे सभी लोगों को चिन्हित कर परलकोट क्षेत्र से बाहर निकाला जाए.

पोटाई ने कहा कि पालनार, परलकोट जैसी घटनाओं ने समाज को आहत किया है. नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण का फैसला बस्तर के साथ धोखा है. उन्होंने कहा कि छह माह के भीतर समाज के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ठोस कार्रवाई नहीं होने पर अलग बस्तर राज्य की मांग ही ‘सर्व आदिवासी समाज’ के लिए अंतिम विकल्प होगा.

युवराज सिंह की माँ ने टीम में शामिल न करने पर जताई निराशा

युवराज सिंह को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में भारतीय टीम में न शामिल किए जाने को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच उनकी माँ ने कप्तान विराट कोहली का बचाव किया है. युवराज सिंह की माँ शबनम सिंह ने कहा कि भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने हमेशा ही उनके बेटे युवराज सिंह की मदद की है और अगर फिटनेस को लेकर उनकी जागरूकता सराहनीय है. हालांकि शबनम सिंह ने अपने बेटे को टीम में नहीं लिये जाने से हुई निराशा भी जाहिर की. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि युवराज सिंह को फिटनेस टेस्ट में खरे न उतरने की वजह से ही टीम में नहीं लिया गया.

टीवी चैनल आज तक को दिए इंटरव्यू में शबनम सिंह ने कहा, “विराट ने युवराज की हमेशा मदद की है. और जब उनकी तरह फिट आदमी नेतृत्व कर रहा हो तो जाहिर है कि वो चाहेगा कि उसके आसपास भी वैसा ही माहौल हो और ये अच्छी बात है. उम्र युवी के आड़े आ रही है लेकिन मुझे भरोसा है कि वो अपनी मेहनत से इसे हासिल कर लेगा.” शबनम सिंह ने कहा कि युवराज सिंह की फिटनेस पहले से बेहतर हुई है और टीम के मौजूदा फिटनेस स्तर को जल्द हासिल कर लेंगे. शबनम सिंह ने कहा की जाहिर है कि युवी टीम में न लिए जाने से निराश हैं, लेकिन फिटनेस के नियम सबके लिए एक जैसे हैं. शबनम सिंह ने कहा, “वो आसानी से हार नहीं मानता और मुझे उम्मीद है कि वो इसे चुनौती की तरह लेगा. आपने पिछले कुछ सालों में इस पर गौर किया होगा.”

ई-कॉमर्स कंपनियों की फेस्टिव सेल में कंज्यूमर्स को होगा फायदा

ई-कॉमर्स कंपनियों की सालाना फेस्टिव सेल लग रही है, जिसमें सबसे अधिक प्रॉडक्ट्स और मोस्ट एक्सक्लूसिव ऑफर्स के दावों के साथ भारी डिस्काउंट और कैशबैक दिए जा रहे हैं. बुधवार से शुरू होने वाली सेल में ग्राहकों को कम दाम में सामान खरीदने का मौका मिलेगा.

वहीं इंडस्ट्री ऐनालिस्टों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में ऑनलाइन रीटेल कंपनियां 15,000 करोड़ रुपये के सामान बेच सकती हैं.

इस सेगमेंट में सबसे बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट है. उसने अपने अधिकारियों को प्रतिद्वंद्वी ऐमजॉन इंडिया के मुकाबले में 70-30 की बढ़त बनाने का लक्ष्य दिया है तो अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि फ्लिपकार्ट को इस साल ‘दो ऐमजॉन’ से मुकाबला करना पड़ेगा. फेस्टिव सेल के इस महा-मुकाबले में अलीबाबा का पेटीएम मॉल, शॉपक्लूज और स्नैपडील जैसी कंपनियां भी शामिल होंगी.

20 से 24 सितंबर तक चलने वाली फ्लिपकार्ट की बिग बिलियन सेल में मोबाइल की भी सेल रखी गई है. हालांकि, कंपनी इसे कल यानि 21 सितंबर से डिस्काउंट के साथ बेचेगी. इस सेल में सैमसंग गैलेक्सी एस 7 की कीमत 29,900, 32 जीबी इंटरनल मेमोरी और 3 जीबी रैम के साथ आने वाले रेडमी 4 ए को 6,999 रुपये में बेचा जाएगा.

1 अक्टूबर से सस्ती हो सकती हैं कॉल दरें

► जियो को फायदा, बाकी ऑपरेटरों को झटका, ग्राहकों को मिल सकती हैं सस्ती कॉल ► आईयूसी को 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे प्रति मिनट किया ► नई दर 1 अक्टूबर से लागू होगी ► 1 जनवरी, 2020 से नहीं लगेगा कॉल टर्मिनेशन शुल्क ► जियो को होगा फायदा, पुरानी दूरसंचार कंपनियों की आय पर चोट

दूरसंचार नियामक ट्राई ने इंटर कनेक्शन उपयोग शुल्क (आई.यू.सी.) को 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे प्रति मिनट कर दिया. नियामक के इस कदम से काल दरें घटने की राह खुल सकती है. आई.यू.सी. वह शुल्क होता है जो कोई दूरसंचार कम्पनी अपने नेटवर्क से दूसरी कम्पनी के नेटवर्क पर कॉल के लिए दूसरी कम्पनी को देती है.

ट्राई ने कहा कि 6 पैसे प्रति मिनट का नया कॉल टर्मिनेशन शुल्क 1 अक्तूबर, 2017 से प्रभावी होगा और 1 जनवरी, 2020 से इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि आई.यू.सी. को लेकर हाल ही में खासा विवाद रहा है और इसमें कटौती का ट्राई का आज का फैसला भारती एयरटैल जैसी प्रमुख दूरसंचार कम्पनियों के रुख के विपरीत है जोकि इसमें बढ़ौतरी की मांग कर रही थीं. एक अन्य कदम में नियामक ने दूरसंचार क्षेत्र में व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए एक परामर्श पत्र आज जारी किया है. इस परिपत्र में समयबद्ध मंजूरियों, शुल्कों को युक्ति संगत बनाए जाने व श्रेणीबद्ध जुर्माने का प्रस्ताव है.

मैक्सिको में 7.1 तीव्रता का भूकंप, 250 की मौत

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  Mexico Earthquake

मैक्सिको। मेक्सिको में बुधवार को 7.1 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप से लगभग 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों की संख्‍या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. भूकंप का झटका इतना तेज था कि दर्जनों इमारतें जमींदोज हो गयी. राहतकर्मी मलबों में जीवित बचे लोगों को तलाशने का काम कर रहे हैं. भूकंप के बाद मेक्सिको सिटी एयरपोर्ट की सभी उड़ानें फिलहाल रोक दी गयी हैं.

मेक्सिको के राष्ट्रपति ने टीवी पर दिए एक संदेश में कहा कि सेना बुलाई गई है और बचाव और राहत कार्य रात में भी जारी रखा जाएगा. भूकंप के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुख जताते हुए अपने ट्विटर वॉल कर लिखा है कि हम आपके साथ हैं और हमेशा आपके साथ रहेंगे.

भूकंप की वजह से दहशत में आये लोग सड़कों पर निकल आये. मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. घनी आबादी वाली मैक्सिको सिटी और आसपास के राज्यों में भूकंप की वजह से देखते ही देखते कई इमारतें ध्वस्त हो गयी और हर ओर मलबा नजर आने लगा.

यह भूकंप 1985 के विनाशकारी भूकंप की 32वीं बरसी पर आया है. 1985 में मेक्सिको में इसी दिन एक भीषण भूकंप आया था, जिसमें 10,000 लोगों की मौत हो गई थी. आइए दुनिया के उन 10 बड़े भूकंप को एक नजर में जानें, जब भारी जान-माल का नुकसान हुआ था.

अपनी अलग पार्टी बनाएंगे मुलायम सिंह यादव?

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव जल्द ही नई पार्टी बनाने की योजना बना रहे हैं. उनके इस कदम का सीधा असर अखिलेश यादव पर होगा. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को ये खबर परेशान कर सकती है.

यूपी चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में हुई फूट को दूर करने वाले अखिलेश यादव के लिए एक बार फिर से बड़ी मुसीबत आने वाली है. उनकी मुश्किलें बढ़ाने की योजना कोई और नहीं बना रहा बल्कि उनके अपने पिता और चाचा ही हैं. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर के आखिर में सपा के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल यादव नई पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं.

अखिलेश यादव के चाचा और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने मई में ऐलान किया था कि वो नई पार्टी बनाएंगे. उन्होंने नई पार्टी का नाम ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ दिया था. उस समय उन्होंने ये भी कहा था कि समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव इस पार्टी के अध्यक्ष हो सकते हैं. उस समय शिवपाल यादव ने दावा किया था कि उनके नेतृत्व वाली नई पार्टी असली समाजवादी पार्टी है.

‘जन विकल्प’ पार्टी में शामिल हुए शंकर सिंह वघेला

अहमदाबाद। पूर्व कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला ने मंगलवार को गुजरात में एक तीसरे मोर्चे के गठन की घोषणा की. वाघेला ‘जन विकल्प’ के सदस्य बने हैं. यह पार्टी उनके समर्थकों ने बनाई है. वाघेला ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोग भाजपा और कांग्रेस से ऊब गए हैं और एक विकल्प के लिए बेताब हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वाघेला ने कहा कि यह कहना मिथक है कि गुजरात में कोई वैकल्पिक राजनीतिक बल काम नहीं कर सकता. हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह स्वयं चुनाव नहीं लड़ेंगे.

जनता की समस्याओं को लेकर वाघेला लगातार भाजपा व कांग्रेस को निशाने पर लेते रहे हैं. राजनीति के जानकार बताते हैं कि राज्य में भाजपा से नाराज वोट कांग्रेस के पाले में जाने से रोकने के लिए वाघेला यह सब कर रहे हैं.

गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व नेता शंकरसिंह वाघेला ने गुजरात विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान उनके साथ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी और कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे. वाघेला के इस्तीफा देने के समय भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी से उनके इस साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में वापसी के बारे में अटकलें शुरू हो गई थीं, जिस पर शंकर सिंह वाघेला ने आज तीसरे मोर्चे के गठन की बात कर विराम लगा दिया है.

गुजरात राज्यसभा चुनाव के दौरान भी शंकर सिंह वाघेला ने सबको यह कहकर चौंका दिया था कि उन्होंने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया. शंकर सिंह वाघेला ने कहा था कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब ही नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अहमद पटेल को वोट न देने का अफसोस है.

MP सरकार ने डा. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाया

Dr. RS kureel

भोपाल। राजनीति और नेताओं का हस्तक्षेप शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में बढ़ता ही जा रहा है. केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, अपने अधीन आने वाले विश्वविद्यालयों पर बराबर नजरें गढ़ाई बैठी है. विश्वविद्यालयों में होने वाले कार्यक्रमों को भी एक खास विचारों से देखा जा रहा है.

विश्वविद्यालयों में एक खास विचारधारा के लोगों को घुसाया जा रहा है. जिससे की केंद्र और राज्य सरकार मनमाने तरीके से काम कर सके. कोई सरकारी नीतियों और कानूनों का विरोध न कर सके. ऐसी ही एक खास विचारधारा को स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक विश्वविद्यालय के कुलपति को हटा दिया है.

मध्यप्रदेश के महू में स्थित डा. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरएस कुरील को राज्य प्रशासन ने हटा दिया है. सोमवार को उच्च शिक्षा विभाग ने धारा 44 लगाकर उन्हें हटाने के आदेश जारी कर दिए.

जानकारी के मुताबिक डा. कुरील पर नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप लगे थे. यह भी बताया जाता है कि प्रदेश में हुए किसान आंदोलन के दौरान डा. कुरील ने कांग्रेस के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय में बुलाकर कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस वजह से भी वे चर्चा में रहे थे.

हालांकि विभाग ने जारी आदेश में उल्लेख किया है कि विश्वविद्यालय के हित में ऐसा किया गया है. उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने आदेश जारी किया है.

विश्वविद्यालय का नया कुलपति कौन होगा, यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है. एक-दो दिन में इस संबंध में आदेश जारी कर दिए जाएंगे. गौरतलब है कि विवि यहां हुई नियुक्तियों को लेकर भी विवादों में रहा था.

क्या जनता की क़ीमत पर कमाया जा रहा है तेल से मुनाफ़ा?

Ravisj Kumar

कच्चे तेल के दाम में पचास फीसदी से भी ज़्यादा की कमी आ गई है मगर पेट्रोल के दाम में कमी क्यों नहीं आई है. मीडिया में महानगरों के तेल के दाम बताने का चलन है, लेकिन दूर दराज़ के शहरों के दाम देखेंगे तो दामों में काफी अंतर दिखेगा. जैसे 17 सितंबर यानी रविवार के दिन महाराष्ट्र के 3 शहरों में पेट्रोल का रेट 81 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गया था. मुंबई से भी ज़्यादा महंगा, मुंबई में 79 रुपये 62 पैसे प्रति लीटर है. तीन ऐसे ज़िले हैं जहां पेट्रोल 81 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक है. ये तीनों ज़िले हैं परभणी – 81.31 प्रति लीटर, नांदेड़ में 81.19 प्रति लीटर, यवतमाल में 81.07 प्रति लीटर.

इसके अलावा 18 ऐसे ज़िले हैं जहां पेट्रोल के दाम 80 या 80 रुपये से अधिक हैं. गढ़चिरौली 80.88, जालना 80.80, अमरावती 80.75, औरंगाबाद 80.72, चांदगढ़, कोल्हापुर 80.66, नंदूरबार 80.64, रत्नागिरि 80.62, कुदाल, सिंधुदुर्ग 80.52, जलगांव 80.52, गोंदिया 80.47, अकोला 80.36, बीड़ 80.35, लातूर 80.32, अमरावती ओएमएल 80.28, सतारा 80.13, नाशिक 80.05, नागपुर 80.05, भंडारा 80.04.

इसी तरह हमने कुछ ऐसी जगहों की सूची बनाई जहां पेट्रोल के भाव 75 रुपये से अधिक हैं. यानी दिल्ली से भी ज़्यादा. मध्य प्रदेश के विदिशा में 77.43 प्रति लीटर है. भोपाल में 76.94 रुपये प्रति लीटर है. ग्वालियर में 76.84 रुपये प्रति लीटर, मुंगावली में 76 रुपये प्रति लीटर. यूपी के बरेली में 75.03 प्रति लीटर, बहराइच 75.19. बिहार के मोतीहारी 75.11 रुपये प्रति लीटर, बेतिया में 75.49 प्रति लीटर, मुजफ़्फरपुर में 75.15 प्रति लीटर, दरभंगा 75.15 प्रति लीटर, हाजीपुर में 74.96 प्रति लीटर, गोपालगंज में 75.56 प्रति लीटर, जलंधर में 75.54 रुपये प्रति लीटर है, हल्द्वानी – 72.72 प्रति लीटर, देहरादून – 73.07 प्रति लीटर, पिथौरागढ़ – 74.19 प्रति लीटर.

उड़ीसा में सोमवार को तेल की बढ़ती कीमतों के विरोध में बीजू जनता दल ने कुछ घंटे के बंद का आहवान किया था. मगर यहां ज़्यादातर जगहों में पेट्रोल की कीमतें 70 रुपये से कम हैं. भुवनेश्वर 69.38 रुपये प्रति लीटर और कटक में 69.56 प्रति लीटर हैं. डीएमके नेता एम के स्टालिन ने रोज़ दाम बढ़ाने की व्यवस्था को वापस लेने की मांग की है. महाराष्ट्र में शिवसेना भी पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की योजना बना रही है. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ से लेकर कई जगहों पर प्रदर्शन किए हैं. सरकार की तरफ से भी बयान आए हैं. केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के जे आल्फोंस का बयान भी विचित्र किस्म का है. उन्होंने कहा कि ‘पेट्रोल ख़रीदने वाले भूखे तो नहीं मर रहे हैं. हम उन्हीं लोगों पर कर लगा रहे हैं जो कर अदा कर सकते हैं. जिनके पास कार है, बाइक है, निश्चित रूप से वह भूखे नहीं मर रहे हैं. जो चुका सकता है उसे चुकाना चाहिए.’

मंत्री जी का पैमाना बड़ा विचित्र है. कोई भूखे मर जाएगा तभी कहेंगे कि महंगाई है. उनके बयान से लग रहा है कि जो लोग भूखे मर रहे हैं उन्हें पेट्रोल सस्ता मिलेगा, जो नहीं मर रहे हैं उन्हें महंगा मिलेगा. उनका यह तर्क व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी पर चलाए जा रहे तर्कों से मेल खाता है जिसमें समझाया जा रहा है कि जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए पेट्रोल के दाम बढ़ाए गए हैं. अगर ऐसा था तो वित्त मंत्री को बजट में ही इसकी घोषणा कर देनी चाहिए थी. क्या परभणी के लोगों को मालूम है कि वे 81 रुपये 31 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल ख़रीद कर देश की योजनाओं को सपोर्ट कर रहे हैं? हम पहले से कृषि कल्याण उपकर और स्वच्छ भारत उपकर दे ही तो रहे थे, ये कौन सा नया टैक्स है जो वसूला जा रहा है. डीज़ल के कारण किसानों पर क्या बीत रही है किसी किसान से पूछ लीजिए.

इसका असर जुताई, सिंचाई, कटाई और छंटनी पर पड़ रहा है. ज़्यादातर जगहों में किसान खेती के लिए डीज़ल पर ही निर्भर होते हैं. करनाल के किसान ने बताया कि गेहूं की बुवाई के लिए ट्रैक्टर में बीजाई करने की मशीन लगी होती है जिसे केरा करना कहते हैं, उसका रेट बढ़ गया है. पिछले साल एक एकड़ के लिए 1000 रुपये था जो इस साल बढ़कर 1400 रुपये हो गया. सिर्फ बुवाई की लागत में 400 रुपये की वृद्धि हो गई. पटियाला ने किसान ने बताया कि इसी जून में धान की बुवाई के लिए पौने पांच बीघे की एक जुताई का रेट 1800 रुपये था, जो अब गेहूं के समय 2130 रुपये हो गई है. आप जानते हैं कि खेत को अच्छा बनाने के लिए तीन तीन बार जोतना पड़ता है. इस तरह किसानों की लागत काफी बढ़ गई है. सिर्फ बुवाई और जुताई की नहीं, बल्कि धान की कटाई के लिए कंबाइन मशीन का किराया भी काफी बढ़ गया है. करनाल के किसान ने बताया कि पिछले साल एक एकड़ खेत में धान की कटाई के लिए कंबाइन हारवेस्टर ने 1000 रुपये लिये थे जो अब 2000 मांग रहा है. सरकार इस अनुपात में लागत मूल्य नहीं बढ़ाती है. बिहार के बगहा में किसानों ने बताया कि पहले एक बीघा खेत जोतने के लिए पांच रुपये में ट्रैक्टर मिल जाता था जो इस साल 1000 मांग रहा है. सिर्फ जुताई में लागत डबल है. सोचिए किसानों पर क्या बीतेगी.

आगरा के आलू किसान ने बताया कि डीज़ल के दाम बढ़ने से ट्रक भाड़े में तीस से चालीस रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त भार पड़ गया है. इससे वे इतने ही घाटे में चले गए हैं. क्योंकि आलू के रेट बढ़ नहीं रहे हैं. महाराष्ट्र तक भेजने का खर्चा, आढ़त का खर्चा और कोल्ड स्टोरेज का किराया अगर जोड़ ले तो यह आलू के भाव से ज़्यादा हो जाता है.

किसानों का कहना है कि पता ही नहीं चला कि दाम बढ़ रहे हैं. धीरे धीरे मीठी छुरी हमारी गर्दन पर चलती रही. तकलीफ का यही पैमाना नहीं हो सकता कि लोग सड़क पर नहीं उतरे हैं. आप किसानों की सोचिए. डीज़ल के कारण जो लागत बढ़ी है क्या उस अनुपात में एस एस पी बढ़ेगी. कभी नहीं. आम तौर पर एमएसपी 50 से 60 रुपये प्रति क्विंटल भी नहीं बढ़ती है मगर खेती की लागत में कई गुना वृद्धि हो घई जिसका असर कर्ज़ चुकाने की क्षमता पर भी पड़ेगा. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयानों को भी देखिए, क्या पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ने के कारण संतोषजनक हैं.

मिंट अखबार में उनका बयान छपा है कि सरकार तेल कंपनियों के काम में दखल नहीं देती है, उपभोक्ताओं की आकांक्षा और विकास के साथ भी हमें संतुलन बनाकर चलना है. हाईवे, रोड, रेलवे, ग्रामीण स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पैसा देना है. इसलिए टैक्स में कटौती नहीं हो सकती है. अमरीका में आए इरमा और हार्वी तूफान के कारण रिफाइनिंग क्षमता में 13 प्रतिशत की कमी आई है, इसलिए भी दाम बढ़े हैं. भारत के ग्राहकों के हित में ये डायनेमिक सिस्टम पारदर्शी और भरोसे की व्यवस्था है. आने वाले दिनों में कीमत कम भी हो सकती है. पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी में लाने से दाम में कमी हो सकती है.

पेट्रोलियम मंत्री ने दावा किया था कि राज्य सरकारों ने पेट्रो उत्पादों पर वैट बढ़ा दिया है इससे भी दाम बढ़े हैं. लेकिन हिन्दू अखबार के संवाददाता अनिल कुमार शास्त्री की रिपोर्ट बताती है कि केंद्र ने ज्यादा वसूली की है. 2014-15 की तुलना में 2016-17 में पेट्रो उत्पादों से होने वाली कमाई दुगनी हुई है. 1 लाख 72 हज़ार करोड़ से बढ़कर 3 लाख 34 हज़ार करोड़ हो गई. साफ है कि सेंटर ने ज्यादा शुल्क बढ़ाए हैं. पेट्रोलियम उत्पादों से राज्यों को होने वाली आय में 29-30 हज़ार करोड़ की ही वृद्धि हुई है.

रवीश कुमार का लेख. एनडीटीवी से साभार

शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए प्रशासन हुआ सख्त

मध्य प्रदेश के गुना जिले में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है जिसके चलते जिले के छात्र दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं. सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल ये है कि शिक्षक स्कूल में दो से तीन घंटे देरी से आते हैं, इसके साथ ही कक्षाओं में पढ़ाना मात्रा उनका पढ़ना मात्रा खानापूर्ति हो गया है.

जिले में शिक्षा का स्तर तेजी से गिरा है इसलिए प्रदेश सरकार के लिए भी अब ये गंभीरता का विषय बन गया है. सरकार ने आदेश जारी कर कलेक्टरों को इसकी जिम्मेदारी दी है. सबसे ज्यादा खराब हालात ग्रामीण स्कूलों के हैं जहां छात्रों को संसाधनों की कमी के बीच पढ़ाया जा रहा है. ग्रामीण स्कूलों में शिक्षक भी ज्यादातर स्कूल से गायब रहते हैं.

राज्य सरकार जल्द ही मात्र वेतन बटोरने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने बताया की सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई आदेश जारी किए हैं. जिसके बाद सभी जगहों के कलेक्ट मॉनटरिंग कर रहे हैं.

टीम इंडिया का प्रैक्टिस सेशन हुआ रद्द, जानिए क्यूं

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कोलकाता। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गुरुवार को ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेले जाने वाले दूसरे वनडे मैच में बारिश का खतरा मंडरा रहा है. कोलकाता में सोमवार से ही बारिश हो रही है, जिसके कारण सही समय से पिच को मैच के लिए तैयार करना थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है. बारिश के कारण मंगलवार को भारतीय टीम का प्रैक्टिस सेशन टाल दिया गया है, वहीं प्रेस वार्ता को भी रद्द कर दिया गया है.

सोमवार को बारिश के कारण पिच को ढक कर रखा गया था और मंगलवार को भी पिच इसी तरह ढकी हुई है. मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में बारिश होने की आशंका है.

बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को स्टेडियम के कर्मचारियों की ओर से किए जा रहे काम का जायजा लिया. कुछ दिनों पहले ही गांगुली ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा था कि बारिश के कारण गुरुवार को होने वाले दूसरे वनडे मैच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

उल्लेखनीय है कि भारत और आस्ट्रेलिया के बीच पांच वनडे मैचों की सीरीज खेली जा रही है, जिसमें भारतीय टीम ने चेन्नई में खेले गए पहले वनडे मैच में जीत हासिल कर आस्ट्रेलिया पर 1-0 की बढ़त बना ली है. पहला वनडे भी बारिश से प्रभावित रहा था, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के लिए लक्ष्य को घटाकर 21 ओवर में 164 रन कर दिया गया था. भारत ने 50 ओवर में 281 रनों का लक्ष्य रखा था.

दर्शकों के बीच अपने प्रदर्शन को लेकर चर्चे में लखनऊ सेंट्रल

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15 सितबंर को रिलिज हुई फरहान अख्तर की फिल्म लखनऊ सेंट्रल दर्शकों के बीच अपने प्रदर्शन को लेकर काफी चर्चा में है । ट्रेड एनालिस्टिस ने फिल्म की कमाई को लेकर कुछ खास अंदाजा नहीं लगाया है लेकिन बॉक्स ऑफिस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म ने शुरुआती 4 दिनों में 8.39 करोड़ कमाए. सोमवार को फिल्म के खाते में सिर्फ 1 करोड़ रु. आए. लेकिन आगे इसके अच्छे रेस्पोंस के आसार साफ नज़र आ रहे हैं.

इस फ़िल्म में अभिनय हीं इसकी सबसे बड़ी यूएसपी है. उत्तरप्रदेश के युवा के किरदार में फरहान अख्तर ने प्रभावी काम किया है. संवाद बोलने के अंदाज़ को भी उन्होंने आत्मसात किया है. दीपक डोब्रियाल इस बार अपने चित परिचित अंदाज़ से अलग दिख रहे हैं. रोनित रॉय अपने किरदार में सटीक बैठे हैं. धूर्त और चालाक जेलर की भूमिका में वह लोगों को काफी प्रभावित कर रहे हैं. रवि किशन की भी तारीफ करनी होगी. इस फिल्म में वह जब भी परदे पर आए हैं. दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

डायना पेंटी, राजेश शर्मा, इनामुल हक और गिप्पी ग्रेवाल सभी अपनी अपनी भूमिकाओं में खरे उतरे हैं. यह एक म्यूजिकल फ़िल्म है लेकिन फ़िल्म का गीत संगीत प्रभावित करने से चूकता है. फ़िल्म के संवाद कहानी के अनुरूप हैं. फ़िल्म की सिनेमाटोग्रफी और आर्टवर्क अच्छा है.

नेपाल के विराटनगर में दिखी हनीप्रीत

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काठमांडू। बलात्कारी बाबा राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत नेपाल के विराटनगर में देखी गई है. हनीप्रीत बुर्के मे विराटनगर के पंजाबी पेट्रोल के नाम से मशहूर बिजया ऑटो सर्विस सेंटर से निकलते देखा है. इस खबर के बाद हरियाणा पुलिस के अधिकारी भी हनीप्रीत की तलाश में नेपाल पुलिस के साथ मिलकर सर्च ऑपरेशन कर रही है.

बताया ये भी जा रहा हैं कि नेपाल पुलिस ने काठमांडू एयरपोर्ट पर लगे सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में लिया है. बता दें कि 1 सितम्बर को हरियाणा पुलिस ने हनीप्रीत के खिलाफ लुकआऊट नोटिस भी जारी किया हुआ है.

वहीं बीते दिनों राजस्थान के उदयपुर से डेरा संचालक की गिरफ्तारी के बाद हनीप्रीत के नेपाल में मौजूद होने की बात सामने आई हैं. हनीप्रीत के नेपाल फरार होने की सूचना मिलने के बाद पूरे नेपाल सीमा पर एसएसबी और पुलिस ने जवानों ने चौंकसी तेज कर दी है.

बताया ये भी जा रहा हैं कि नेपाल पुलिस ने काठमांडू एयरपोर्ट पर लगे सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में लिया है. बता दें, कि 1 सितम्बर को हरियाणा पुलिस ने हनीप्रीत के खिलाफ लुकआऊट नोटिस भी जारी किया हुआ है.

वहीं बीते दिनों राजस्थान के उदयपुर से डेरा संचालक की गिरफ्तारी के बाद हनीप्रीत के नेपाल में मौजूद होने की बात सामने आई हैं. हनीप्रीत के नेपाल फरार होने की सूचना मिलने के बाद पूरे नेपाल सीमा पर एसएसबी और पुलिस ने जवानों ने चौंकसी तेज कर दी है.

इसके साथ ही सीमा पर तैनात महिला सुरक्षा कर्मियों ने भारत से नेपाल जाने वाली हर महिलाओं की सघनता से तलाशी शुरु की है. सीमा पर जगह जगह पुलिस और एसएसबी के जवान हनीप्रीत की तस्वीरें चस्पा कर रहे है.