आज से UPTET Admit Card कर सकते हैं डाउनलोड

इलाहाबाद। उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी 2017 का इम्तिहान प्रदेश के 1580 केंद्रों पर होगा. एनआइसी ने परीक्षा केंद्रों की सूची तय करके परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव को भेज दी है. आवेदन करने वाले अभ्यर्थी गुरुवार से अपना प्रवेश पत्र वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इसकी तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं.
टीईटी 2017 कराने की जिम्मेदारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दी गई है. उन्होंने तमाम परीक्षा केंद्रों की सूची काफी पहले ही एनआइसी को भेज दी है. अब एनआइसी ने कुल 1580 परीक्षा केंद्र तय कर दिए हैं. उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा 1040 केंद्रों व प्राथमिक स्तर का इम्तिहान 540 केंद्रों पर होगा. शासन ने परीक्षा के दस दिन पहले प्रवेश पत्र देने का निर्देश दिया था.
परीक्षा 15 अक्टूबर को प्रस्तावित हैं. अभ्यर्थी उसे वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इस परीक्षा के लिए इस बार प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर पर 15 लाख आठ हजार 410 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था. इसमें से प्राथमिक स्तर के लिए तीन लाख 64 हजार 78 व उच्च प्राथमिक स्तर के लिए छह लाख 45 हजार 269 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया.
जांच के बाद 32 हजार 587 अभ्यर्थियों के फार्म निरस्त हो गए हैं. अब परीक्षा में तीन लाख 49 हजार 192 व छह लाख 27 हजार 568 समेत कुल नौ लाख 76 हजार 760 अभ्यर्थी शामिल होंगे. प्राथमिक स्तर की परीक्षा सुबह 10 से 12.30 बजे तक तथा उच्च प्राथमिक स्तर की 2.30 से पांच बजे तक होगी. सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि परीक्षा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. नकल रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.
गुजरात में दलितों ने किया ‘अम्बेडकर गरबा’

अहमदाबाद। अत्याचार के मारे दलित समाज के लोगों ने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए ऐसा कुछ किया है, जिससे समाज के ठेकेदार बौखला गए हैं. दरअसल अहमदाबाद के रामपुर के रहने वाले कनु सुमेसरा मंगलभाई ने दलित समाज के गिरते मनोबल को उठाने का एक बड़ा काम किया है. उन्होंने 100 दलित परिवारों को इकट्ठा कर अम्बेडकर गरबा का आयोजन करवाया.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत के दौरान सुमेसरा मंगलभाई ने कहा कि गुजरात में ऐसा पहली बार हुआ है. जब दलितों ने अपना भगवान चुन लिया है. और इस तरह के फैसले लेने के पीछे खुद वो समाज हीं जिम्मेदार है. जहां पर दलित के बच्चे अगर गरबा देखने जाते हैं. तो उनके साथ मारपीट की जाती है. उनका कत्ल कर दिया जाता है.कभी मुंछों को लेकर तो कभी गरबा देखने को लेकर. आए दिन गुजरात में जिस तरह से दलितों के ऊपर अत्याचार हो रहा है. उससे दलित समाज के सब्र का बांध टूटता दिखाई दे रहा है. और ऐसे में जिस तरह से सुमेसरा मंगलभाई ने लोगों की सोच को एक नई दिशा दी है. वो वाकई काबिले तारीफ है. दलित समाज में एक नए तरह के गरबा होने से, उन लोगों के जख्मों पर थोड़ा मरहम तो जरुर लगेगा जो अत्याचार की आग में झुलसे पड़े हैं.
BHU में छात्रा से फिर छेड़छाड़, क्लास में घुसकर लड़की को मारा थप्पड़ और बाल खींचे

वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को फिर से एक छात्रा के साथ बदसलूकी और मारपीट हुई. यह घटना एमए सोशल वर्क की छात्रा से बीएचयू के कैंपस के भीतर ही हुई.
पीड़ित छात्रा के मुताबिक पहले आरोपी लड़के ने मोबाइल छीना फिर उसके बाल खींचे. इस पर लड़की क्लास के भीतर चली गयी. इसके बावजूद भी आरोपी रुका नहीं और क्लास के भीतर जाकर छात्रा को थप्पड़ मारा. पीड़ित छात्रा ने मामले की शिकायत प्रॉक्टर से की.
Varanasi: Girl files complaint of assault against a fellow BHU classmate. FIR registered, accused arrested. pic.twitter.com/qmiG4hfvtX
— ANI UP (@ANINewsUP) October 5, 2017
इसके बाद लंका थाने में मारपीत का मुकदमा दर्ज हुआ. हालांकि छेड़छाड़ का मामला दर्ज नहीं किया गया है. आरोपी लड़का भी बीएचयू का ही छात्र है. मामले में शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी छात्र शीतला शरण गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है.
इससे पहले 21 सितंबर को यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद प्रशासन और छात्र आमने-सामने आ गए थे. बीएचयू कैंपस में छेड़छाड़ की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी थी, जिसकी क्राइम ब्रांच तफ्तीश कर रही है. मामले में क्राइम ब्रांच ने पूर्व प्रॉक्टर प्रो. ओंकारनाथ सिंह समेत 20 लोगों को तलब किया था.
शिक्षा विभाग ने 45 सी.एंड वी. अध्यापक को किया नियमित

धर्मशाला। शिक्षा विभाग द्वारा 3 वर्ष तक स्कूलों में अनुबंध आधार पर सेवाएं देने वाले 45 सी.एंड वी. अध्यापकों को नियमित किया है. उक्त अध्यापकों में एल.टी. के 21, शास्त्री के 5, पी.ई.टी. के 10 व 8 कला अध्यापक शामिल हैं. प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशक दीपक किनायत ने कहा कि कला अध्यापकों में जी.एस.एस.एस. पलाहचकलु में सेवा दे रहा सुरिंद्र कुमार, जी.एम.एस. खबारा में रंजीत सिंह, जी.एम.एस. रमेहड़ से अर्चना मेहता, जी.एच.एस. जंडपुर से भूप सिंह, जी.एम.एस. खरटी से त्रिपता देवी, जी.एस.एस.एस. कथोग से गोपाल चंद, भवारना से अनिल कुमार, जी.एच.एस. हलेड़ से शिखा को नियमित किया गया है.
शास्त्री अध्यापकों में जी.एस.एस.एस. डाडासीबा में सेवा दे रहे अमन सिंह, जी.एम.एस. लॉअर भलवाल में मधुमिता, जी.एस.एस.एस. जसेई में सुरजीत कुमार, जी. (जी.) एच.एस. नेरटी से राशि शर्मा, जी.एस.एस.एस. लथियाल से संजय कुमार व जी.एम.एस. अप्पर परागपुर में ईशा को नियमित किया गया है. पी.ई.टी. में जी.एस.एस.एस. जाच्छ में राकेश कुमार, भलाड़ में अशोक कुमार, रियाली में नवीन कुमार, घिण लगोर से रमन कुमार, जी.एच.एस. सगूर से सुरेश कुमार, जी.एम.एस. क्योर से केशव राम, जी.एस.एस.एस. तंगरोटी से राज कुमार, खलेट से विकास, जी.एच.एस. सिद्धबाड़ी से ओम प्रकाश, जी.एच.एस. सुंदगल से प्रवीन कुमार को नियमित किया गया है.
एल.टी. में जी.एस.एस.एस. कोठड़ रानीताल से सुधा शर्मा, गंदड़ से हेमा, अवेरी से रामा डोगरा, गरन से शुक्ला देवी, रजोल से अनीता, पुढ़बा से रमेश चंद, बनखंडी से प्रोमिला देवी, पुढ़बा से रघुवीर सिंह, जी.एस.एस.एस. गर्ल्ज रैत से अरुण विभा, दुरगेला से नीलम कुमारी, रजियाणा से अंजु शर्मा, सकोह से अनीता, जी.एच.एस. दियोग्रां से सुनीता सुमन, जी.एस.एस.एस. बढलठोर से राधा रानी, जी.एच.एस. जंदपुर से रामा डोगरा, जी.एस.एस.एस. सदुंबग्रां से विनय, रक्कड़ से पूनम कटोच, जी.एच.एस. सरसावा से मिनाक्षी, जी.एस.एस.एस. ग्वालटिक्कर से नीना कुमारी, कंडवाड़ी से किरण बाला, जी.एच.एस. रजेहड़ से विंता देवी को नियमित किया गया है.
अब मैच के दौरान बारिश नहीं बनेगी बाधा

लंदन। क्रिकेट की दुनिया में कई रोमांचक मुकाबले अक्सर बारिश की भेंट जढ़ जाते हैं या उनके दुबारा शुरू होने के लिए बारिश के रुकने का इंतजार करना पड़ता है और इस इंतजार में दर्शकों का रोमांच थोड़ा कम हो जाता है लेकिन अब एक आधुनिक तकनीक से इस समस्या का भी हल निकालने की दिशा में काम शुरू किया जा चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के शीर्ष अधिकारी ‘विशाल टेंट’ लगाने की योजना पर विचार कर रहे हैं जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि बारिश के चलते खेल को रोकना न पड़े.
ब्रिटेन के डेली टेलीग्राफ के अनुसार एक अमेरिकी कंपनी के ईसीबी से संपर्क करने के बाद मैदान के ऊपर ‘मैश का नेट’ लगाने को लेकर रिसर्च किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार ईसीबी ने इस मुद्दे को लेकर मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) से बात की है जो उत्तर पश्चिम लंदन में लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान का स्वामित्व रखता है.
फ्लड लाइट्स से रस्सियों के जरिए एक पारदर्शी ‘मैश के नेट’ को जोड़ा जा सकता है जिसके बीच में लगा गर्म हवा का गुब्बारा उसे बीच में से उठा देगा और इससे टेंट जैसी आकृति बनेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी इस टेक्नोलॉजी को हकीकत बनने में कम से कम दो साल का वक्त लगेगा क्योंकि अभी इसमें सबसे बड़ी समस्या तेज हवा में इसे सुरक्षित रखना और पानी के बहाव को नियंत्रित करना है.
‘वाल्मीकि’ एक व्यक्ति नहीं समाज है!

कर्नाटक के लेखक केएस नारायण ने अपनी पुस्तक ‘वाल्मीकि कौन’ (मूल नाम ‘वाल्मीकि यारू’) लिख कर 2015 में यह विवाद खड़ा कर दिया था कि वाल्मीकि एक ब्राह्मण थे और रामायण जैसा पवित्र ग्रंथ ब्राह्मण ही लिख सकते हैं. दलित समुदाय ने इसका विरोध किया और कर्नाटक सरकार ने केएस नारायण की किताब को प्रतिबंधित कर दिया, प्रकाशक कोर्ट गए और कोर्ट ने इस बात का पता लगाने के लिए एक टीम गठित की कि ‘वाल्मीकि की जाति क्या है’.
यह घटना तो अभी घटी है पर ‘महर्षि वाल्मीकि’ की जाति को लेकर विवाद हमेशा से ही बना रहा है. पर दलित वर्ग के एक खास समुदाय के संदर्भ में हम देखें तो वाल्मीकि केवल एक व्यक्ति नहीं है. वह अपने आप मे एक सम्पूर्ण समुदाय है, एक जाति है ‘वाल्मीकि जाति’. इस जाति ने कई सदियों से महर्षि वाल्मीकि को अपनी आस्था का आधार बनाए हुआ है. और अब जाकर यदि ब्राह्मण वर्ग इससे उनका भगवान छीन लेगा तो यह केवल भगवान छीनना नहीं होगा बल्कि उनसे उनकी पहचान छीनना होगा. वाल्मीकि समुदाय के लोग अपने लिए ‘भंगी’ या ‘चूड़ा’ (हालांकि इन शब्दों का भी मिथकीय अर्थ है) संबोधन अपमान जनक समझते हैं. अब तो इन शब्दों का इस्तेमाल भी कानून प्रतिबंधित है.
दलित शब्द एक हद तक उपयुक्त होते हुए भी इस समुदाय के लिए नाकाफ़ी है. क्योंकि यह वर्ग दलित से भी आगे बढ़ कर शोषण का शिकार हैं. रेल की पटरियों का मल, महानगरों के खत्तों को यही वर्ग साफ सुथरा रखता है. यही नहीं बड़े-बड़े शहरों के मल-मूत्रों से भरे गटरों में हर रोज़ इसी तबके के लोग दम तोड़ रहे हैं. यह स्थिति समाज के अन्य किसी भी वर्ग ने नहीं झेली. यही वर्ग सदियों से छुआछूत का शिकार रहा है.
गरीबी और अशिक्षा, असम्मान के इस अंधेरे में वाल्मीकि ही इनकी रोशनी है. वाल्मीकि जयंती के दिन ये लोग अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार दिल्ली सहित कई शहरों में अपने भगवान की झांकियां निकलेंगे, धूमधाम से पूजा करेंगे. हालांकि इस तबके को भगवान से ज़्यादा शिक्षा की ज़रूरत है पर उस पहचान का क्या किया जए जिसको इन्होंने सदियों से अपनाया हुआ है. वाल्मीकि भगवान ही नहीं इनकी पहचान बन चुके हैं.
अब ऐसे में ब्राह्मणवादियों द्वारा छीने जा रहे इनके ईश्वर और इसी ब्राह्मणवादी समाज द्वारा इनकी जाति के वैकल्पिक नामों को अपमान के रूप में गढ़ने के बाद इनकी पहचान के लिए अन्य कौनसी शब्दावलियां बच जाती है?
ये लेख पूजा पवार का है.‘ड्रीमगर्ल’ हेमा मालिनी के गोदाम में हुई चोरी

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी के गोदाम में चोरी होने का मामला सामने आया है. मुंबई पुलिस इस अपराध के संदिग्ध एक घरेलू नौकर की तलाश कर रही है.
चोरी होने का मामला मंगलवार को सामने आया, जब नौकर के बगैर बताए अचानक पांच-छह दिनों तक गायब होने पर मैनेजर को शक हुआ और उन्होंने अंधेरी वेस्ट के डी. एन. नगर में मौजूद गोदाम का दौरा किया. गोदाम से गायब हुए सामान में शूटिंग संबंधी कई चीजें, परिधान, मूर्तियां और कृत्रिम जेवरात जैसी चीजें शामिल हैं, जिनका आम तौर पर फिल्म की शूटिंग और शो के लिए हेमा उपयोग किया करती थी. इन सब चीजों की कुल कीमत करीब 90 हजार रुपए है.
एसीपी डी. भार्गुडे ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि संदिग्ध नौकर के खिलाफ जुहू पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज की गई है. नौकर गोदाम के केयरटेकर के तौर पर काम किया करता था.
रिलायंस जियो का एक और धमाका, 2392 रुपये में मिलेगा यह स्मार्टफोन

नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने अपनी एलवाईएफ सी सीरीज के दो शुरुआती स्मार्टफोन पर एक विशेष पेशकश की घोषणा की है जिससे इनकी प्रभावी कीमत घटकर लगभग आधी रह जाएगी. कंपनी ने एक बयान में कहा है कि सीमित अवधि की यह पेशकश 22 अक्तूबर तक उपलब्ध होगी. बयान के अनुसार इस पेशकश के तहत 4699 रुपये कीमत वाले एलवाईएफ सी459 की प्रभावी कीमत 2392 रुपये और 4999 रुपये की कीमत वाले एलवाईएफ सी451 की प्रभावी कीमत 2692 रुपये होगी. ये हैंडसेट जियो की कुछ सेवाओं के साथ आएगा और ग्राहक को मोबाइल फोन की बाजार कीमत ही चुकानी होगी पर उसे 2307 रुपये कीमत के अतिरिक्त लाभ मिलेंगे.
इसके अनुसार इन लाभ में 99 रुपये की जियो प्राइम मेंबरशिप, 399 रुपए का 84 दिन वैधता वाला डेटा प्लान और अगले 9 रिचार्ज पर प्रति रिचार्ज 5जीबी डेटा के वॉउचर मिलेंगे जिसकी कीमत प्रति वॉउचर 201 रुपए है हालांकि इसके लिए ग्राहक को 149 रुपए से अधिक का रिचार्ज कराना होगा. उल्लेखनीय है एलवाईएफ सी सीरीज वोल्टी स्मार्टफोन है. यह रिलायंस रिटेल का ब्रांड है.
कंपनी ने 1500 रुपये की जमानती राशि के साथ ‘शून्य मूल्य प्रभाव वाला’ 4जी फीचर फोन हाल ही में पेश किया था. उसकी इस नयी पेशकश को शुरुआती स्मार्टफोन सीरीज में पैठ बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
अब इस अभिनेत्री ने राम रहीम पर लगाया यौन शोषण का आरोप

नई दिल्ली। जेल में 20 साल की सजा काट रहे राम रहीम को लेकर आए दिन नए खुलासे हो रहे हे. अब मॉडल और एक्ट्रेस मरीना कुंवर ने राम रहीम पर आरोप लगाया है कि फिल्म दिलाने के बहाने उन्हें बेडरूम में बुलाया और उनके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ.
मॉडल का कहना है कि उसकी नजर मुझ पर थी और वह मेरे पीछे पड़ा हुआ था. उसके इरादे बिल्कुल भी नेक नहीं थे और वह शराब और ड्रग्स भी लेता था. एक बार राम रहीम उसे अपनी बेडरूम में ले गया और उससे पैसों व अन्य चीजों की किसी तरह की चिंता नहीं करने की बात कही. इसके साथ ही मरीना ने बताया कि जब भी गुरमीत राम रहीम से वो मिलती तो वह ‘यू आर माई लव चार्जर’ गाना गाता था.
मरीना ने इसके साथ ही यह खुलासा भी किया है कि राम रहीम नशा भी किया करता था और उसे ड्रग्स लेने की आदत थी. राम रहीम की इन बातों से परेशान होकर उसने 6 माह पहले एक ट्वीट भी किया था, लेकिन डराने-धमकाने के बाद उसे डिलीट करना पड़ा था.

हनीप्रीत के बारे में एक्ट्रेस ने बताया, ‘बाबा की पूरी नजर मुझ पर थी. वह चाहता तो था कि कुछ हो या कुछ चले. लेकिन वह हनीप्रीत से डरता था. हनीप्रीत जो कहती था या चाहती थी वही वह करता था. हनीप्रीत के अलावा वह कुछ भी नहीं करता था. एक बार हनीप्रीत ने मुझे इशारों में कहा कि बाबा जी आप से कुछ बात करना चाहते हैं. मैं अंदर बेडरूम में गई. उसने मुझे गलत तरीके से छुआ और अपने गले लगा लिया. उसके बाद मुझसे कहता कि आज से तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, पैसा, घर सब कुछ मैं दूंगा. लेकिन इस बारे में किसी को मत बताना.’
गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद मरीना व उसके बॉयफ्रेंड ने ये सारे आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया कि राम रहीम ये सारी हरकतें हनीप्रीत के सामने करता था और उसे इससे कोई परेशानी नहीं होती थी.
खुलासा (पार्ट-4): अनुसूचित जातियों-जनजातियों के कल्याण के विभिन्न मदों में कटौती-

1. अनुसूचित जातियों के छात्रों की छात्रवृत्ति में कटौती- अनुसूचित जातियों के छात्रों की प्री-मैट्रिक (हाईस्कूल से पहले) छात्रवृत्ति के लिए आवंटित धनराशि को 510 करोड़ रुपये से घटाकर सिर्फ 50 करोड़ रुपये कर दी गई है. इस सरकार ने हर वर्ष लगातार इसमें कटौती किया है. 2013-14 के बजट में यह धनराशि 882 करोड़ रुपया थी जो 2017-18 के बजट में 50 करोड़ कर दी गई.
हम सभी जानते हैं कि अनुसूचित जातियों के छात्रों के बीच से छात्रों को उच्च शिक्षा में जाने के लिए स्कूली शिक्षा को मजबूत बनाना बुनियादी आवश्यकता है. उपर्युक्त छात्रवृति इसी से जुड़ी हुई है. कहाँ यह बात हो रही थी कि प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को सार्वभौमिक बनाया जाए यानी अनुसूचित जाति के सभी छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाए, लेकिन यह करने की जगह आवंटन को ही न्यूनतम कर दिया गया. अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की योजना बाबासाहेब की विरासत से जुड़ी हुई है. उन्होंने जोर-शोर से इसकी मांग उठाई थी.
ये भी पढ़ेंः खुलासा (पार्ट-3): अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति दोनों का मिलाकर 1 लाख 53 हजार 847.94 करोड़ की कटौती2. दो वर्षों की 11 हजार करोड़ छात्रवृत्ति बकाया- केन्द्र सरकार का दलित-आदिवासी छात्रों के शिक्षा और उन्नति के प्रति कितना निर्मम रवैया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2015-16 की 70 प्रतिशत छात्रवृत्ति और 2016-17 की 100 प्रतिशत छात्रवृत्ति अनुसूचित जातियों के छात्रों का बकाया है, जिसे केंद्र सरकार ने जारी ही नहीं किया. यह राशि लगभग 11 हजार करोड़ रुपये है.
3. मल-मूत्र की सफाई करने वालों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए चलाई जाने वाली स्वरोजगार की योजनाओं के व्यय में 552 करोड़ रुपये की भारी कटौती- हम सभी जानते हैं कि हाथों से मल-मूत्र की सफाई करने वाले लोग अनुसूचित जातियों के हैं. अनुसूचित जातियों की यह जनसंख्या 10 प्रतिशत है. इन दस प्रतिशत लोगों का पेशा ही गंदगी साफ करना घोषित कर दिया गया है. इनको हजारों वर्षों से समाज में सबसे घृणास्पद घोषित कर दिया गया था, और उनका अपराध सिर्फ यह था कि वे पूरे समाज द्वारा की गई गंदगी साफ करते थे. इनमें से कुछ हिस्सा मुसलमान बन गया था, बावजूद इसके वे अभी भी इस पेशे में लगे हैं. यह योजना इस समूह की मुक्ति के लिए बनी थी, जिसके बजट को इस सरकार ने 5 करोड़ रुपया कर दिया, जबकि 2013-14 में इसके लिए 557 करोड़ रुपया आवंटित किया गया था.
4. अनुसूचित जाति बहुल गांवों के संरचनागत विकास के लिए आवंटित होने वाली धनराशि में 60 करोड़ की कटौती- 2013-14 में इस मद में 100 करोड़ का आवंटन हुआ था, जिसे 2016-17 में 50 करोड़ और 2017-18 में 40 करोड़ कर दिया गया. इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के टोले के लिए इंसानों के रहने योग्य घर, पीने का साफ पानी, जलनिकासी, घरों और सड़कों का बिजलीकरण, आवासों को जोड़ने वाली पक्की गलियाँ, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, स्थानीय बाजार, स्टैंड और श्मशान घाट को इन टोलों से जोड़ने के लिए पक्की सड़कें बनवाना है. इन मदों में आवंटन को 50 करोड़ करना सरकार की किस मानसिकता का सूचक है?
ये भी पढ़ेंः खुलासा (पार्ट-2): अनसूचित जातियों के हिस्से में से 1 लाख 04 हजार 490.45 करोड़ की कटौती5. नेशनल शेडयूल्स कास्ट फाइनेंस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के लिए आंवटित धनराशि में 10 करोड़ की कटौती- इस कार्पोरेशन की स्थापना का उद्देश्य दलित उद्यमिता को बढ़ावा देना था, जिस पर इस सरकार का सर्वाधिक जोर है. इस मद में पिछली बार जितना (138 करोड़) आवंटन हुआ था, उसका पूरा का पूरा खर्च हुआ था. फिर भी इस वर्ष इस मद में बजट बढ़ाने के बजाय 10 करोड़ रुपये कम कर दिया गया और 128 करोड़ रुपया ही आवंटित किया गया.
6. डॉ. भीमराव अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र के लिए आवंटन में 60 करोड़ की कटौती- पिछले तीन वर्षों की तुलना में इस बार सबसे कम आवंटन किया गया है, और इस कटौती का कोई कारण नहीं बताया गया.
7. राज्यों के लिए अनुसूचित जाति स्पेशल कंपोनेन्ट प्लॉन के तहत आवंटित होने वाली राशि में 230 करोड़ की कटौती- इस मद में किया जाने वाला आवंटन अनुसूचित जातियों के विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है. इस मद में केंद्र सरकार जितना आवंटित करती है, राज्य अपने प्रदेशों में अनुसूचित जातियों के जनसंख्या के अनुपात में धनराशि आवंटित करके, इस धनराशि को केवल अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए खर्च करते हैं. 2013-14 में इसके लिए आवंटन 1030 करोड़ रूपये था, जिसे घटाकर 2017-18 में 800 करोड़ कर दिया गया यानी सीधे तौर पर 230 करोड़ की कटौती की गई. आवंटति धनराशि पूरे बजट का केवल 0.04 प्रतिशत है. इस मद की धनराशि सभी राज्यों के अनुसूचित जातियों के कल्याण और प्रगति से जुड़ी है.
8. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर फाउंडेशन के आवंटन में 62.75 करोड़ की कटौती- 2015-16 में इस मद में 63.75 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया था, 2016-17 में 1 करोड़ और इस वर्ष के बजट में सिर्फ 1 करोड़ रूपया आवंटित किया गया. इस फाउंडेशन को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और राजीव गांधी फाउंडेशन की तरह का बनाने का उद्देश्य था, लेकिन सरकार ने जब इसका बजट ही 63.75 करोड़ से कम करके 1 करोड़ कर दिया है तो इतने कम बजट में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः खुलासा (पार्ट-1): मोदी सरकार ने छीन लिया दलितों के हक का 2 लाख 29 हजार करोड़ रूपए9. वन बंधु कल्याण-योजना में लगभग 200 करोड़ रुपये की कटौती- 2014-16 में इस मद में 200 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था, जिसे 2016-17 के बजट में 1 करोड़ कर दिया गया और इस बार के बजट में लगभग नहीं के बराबर आवंटन करते हुए, इसे 0.01 प्रतिशत कर दिया गया.
10. अनुसूचित जातियों को वेंचर कैपिटल फण्ड और ऋण गारंटी के मद में क्रमशः 160 करोड़ और 199.9 करोड़ की कटौती- इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के उन उद्यमियों के लिए लघु और मझौले उद्योग लगाने के लिए प्राथमिक पूंजी और बैंकों से दिए जाने वाले ऋण की सरकार द्वारा गारंटी लेना और उनके लिए पूंजी जुटाने में मदद करना है. बावजूद इसके अनुसूचित जातियों को वेंचर कैपिटल फण्ड और ऋण गारंटी के मद में क्रमशः 160 करोड़ और 199.9 करोड़ की कटौती कर दी गई.
11. महिलाओं के लिए आवंटित कुल बजट में से केवल 0.99 प्रतिशत दलित-आदिवासी महिलाओं के लिए आवंटित किया गया है.
12. दलितों के लिए चल रही 294 योजनाओं में से 38 योजनाओं को खत्म कर दिया गया है.
13. आदिवासियों के लिए चल रही 307 योजनाओं में से 46 योजनाओं को खत्म कर दिया गया है.
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के हक में सिर्फ इस वर्ष 1 लाख 53 हजार 547.94 करोड़ रुपये की कटौती और दो वर्षों में 2 लाख 29 हजार 622.86 करोड़ की कटौती इन समुदायों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने वाली है. यह प्रक्रिया साल दर साल चल रही है. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ किए जाने वाले इतने बड़े अन्याय पर चारों तरफ चुप्पी गंभीर चिन्ता और विश्लेषण का विषय है. आखिर हम अपने लगभग 33 करोड़ लोगों के बारे में कब सोचेंगे. बाबासाहेब ने अकूत कुर्बानियों और अनथक संघर्षों से अपने लोगों की जीवन स्थितियों को सुधारने के लिए जो संवैधानिक प्रावधान कराये थे, वे एक-एक कर छीने जा रहे हैं, आखिर हम कब तक चुप्प रहेंगे, कब जागेंगे?
हिंदुत्व के सांस्कृतिक एकाधिकार से हुआ बौद्ध संस्कृति का पतन

भारत बहुभाषी, बहुआयामी और विविधता वाला देश है. इस देश में कई संस्कृतियां जन्मीं और विकसित हुई हैं. दुर्भाग्य से पिछली कुछ शताब्दियों से हिंदू संस्कृति के द्वारा सांस्कृतिक एकाधिकार व आधिपत्य की नियत से भारत की सांस्कृतिक विविधता को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है.
हिंदू संस्कृति द्वारा चलाए गए इस सांस्कृतिक एकाधिकार और अधिग्रहण का सबसे ज्यादा हानि बौद्ध संस्कृति को हुआ है. बौद्ध संस्कृति भारत की एक उन्नत और प्रमुख संस्कृति रही है. इस संस्कृति ने भारत को तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी जैसे विश्व विख्यात विश्वविद्यालय देने का काम किया है.
बौद्ध संस्कृति ने इसके अलावा और बहुत सी वैश्विक पहचान रखने वाली ऐतिहासिक धरोहरें दी हैं. हम गौरव के साथ यह कह सकते हैं कि जो कुछ भी भारत में ऐसा दिखता है जिस पर गर्व किया जा सके, उसमें बौद्धों का बड़ा योगदान है. लेकिन हिंदू सांस्कृतिक एकाधिकार और अधिग्रहण के कुत्सित विचार और हिन्दुत्व के विषैले भाव ने भारत की इस महान सांस्कृतिक विविधता की खूबसूरती को ग्रहण लगा दिया. भारत को सांस्कृतिक महत्ता वाला देश बनाने वाले बौद्ध आज हिंदुओं के गुलाम के रूप में निरूपित हैं.
बौद्ध संस्कृति के श्लोकों के वंशज आज शूद्र, अति शूद्र, नीच, चमार, चूड़े, दास, गुलाम आदि बन कर पाश्विक जीवन जीने को मजबूर हैं. उनके साथ हिन्दू सांस्कृतिक बर्बरता का सदियों लंबा निर्मम दौर रहा है, जो कुछ रूपों में आज भी विद्यमान है. वर्तमान दलितों को मानवाधिकारों से वंचित कर सहस्र वर्षों की अंतहीन गुलामी में धकेल दिया. जहां हिन्दुत्व के झंडाबरदार उनका आसानी से शोषण करते रहें.
गुलामी से अधिक विनाशकारी स्थिति मानसिक गुलामी की होती है. आज दलित यानी कि बौद्ध केवल हिंदुत्व के गुलाम ही नहीं है बल्कि अब वह गुलाम से भी बड़े मानसिक गुलाम हैं. यह बहुत खतरनाक स्थिति है. आज बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों से प्रभावित दलित युवा बौद्ध सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आंदोलन कर रहा है. तमाम दलित नौजवान भारत भूमि की असीम सेवा कर रहे हैं. दलित वर्ग और उनके नौजवान महान बौद्ध धर्म की संतान हैं. जब तक दलित समाज के नौजवान अपनी संस्कृति को उन्नति नहीं कर लेते तब तक उन्हें मानवीय जीवन की प्राप्ति नहीं हो सकती. दलितों के अंदर निर्भीकता का भाव अपनी संस्कृति में ही पनप सकता है. कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर नीच कैसे हो सकता है? न व्यक्ति और न समाज. ये हिन्दुत्व के द्वारा बौद्धों पर सांस्कृतिक अतिक्रमण है. ये हिंदुओ द्वारा दलितों पर सांस्कृतिक अत्याचार है. इस अत्याचार के खिलाफ जन चेतना की नितांत आवश्यकता है. समाज को भीम चर्चा और बौद्ध चर्चा के माध्यम से जागरूक करने की आवश्यकता है.
यह लेख सूरजपाल राक्षस एडवोकेट का है
थाने पहुंची राधे मां, SHO सहित कई पुलिसकर्मियों ने लिया आशीर्वाद

नई दिल्ली। दिल्ली के विवेक विहार थाने में विवादास्पद धर्मगुरु राधे मां के साथ पुलिसकर्मियों की फोटो वायरल हुई है. फोटो में विवेक विहार थाने के एसएचओ संजय शर्मा ने राधे मां को अपनी कुर्सी पर बैठाकर रखा है और खुद हाथ जोड़ कर उसके आगे खड़े हैं. यही नहीं, एसएचओ के साथ कई पुलिसकर्मी भी हाथ जोड़ कर खड़े हैं.
फोटो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने एसएचओ को लाइन हाजिर करने के आदेश दिया है. फोटो में एसएचओ के अलावा जो पुलिसकर्मी हाथ जोड़े खड़े हैं, इन सभी को भी पुलिस लाइन में भेजने का आदेश हुआ है.
Self styled god woman Radhe Ma welcomed at Vivek Vihar police station in Delhi, sat on chair of SHO pic.twitter.com/0hbkTLpr5K
— ANI (@ANI) October 5, 2017
इस मामले में पुलिस विभाग की ओर से जांच के आदेश दिए गए थे. इस जांच में प्रथम दृष्टया एसएचओ संजय शर्मा को दोषी माना गया है. विवेक विहार थाने की ये तस्वीर नवरात्रि के दौरान महाअष्टमी की है. यह मामला संज्ञान में आते ही इस प्रकरण के जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
इतना ही नहीं थाने में राधे मां की जय-जयकार होने लगी. यहां तैनात पुलिस वाले भी भक्त की मुद्रा में नजर आए. राधे मां थाने क्यों आई इस पर यहां के पुलिसकर्मियों ने बोलने से इंकार किया.
जातिवादियों ने दलित महिला पर थूका, विरोध करने पर महिला के पति को बंधक बनाकर पीटा
छपरा। देश में दलितों पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है. भारत के हर राज्य में दलितों के साथ भेदभाव और मार-पीट की जा रही है. पिछले एक हफ्ते में गुजरात में ही अलग-अलग जगहों पर दलितों पर अत्याचार की तीन घटनाएं हो चुकी हैं. अभी तक सरकार और प्रशासन जातिवादी गुंडों का कुछ नहीं कर पाया है. प्रशासन और पुलिस के कार्रवाई न करने से जातिवादियों का मनोबल बढ़ रहा है.
ऐसे मनोबल के चलते ही जातिवादियों ने बिहार के सारण जिले में दलित महिला वार्ड सदस्य के ऊपर थूक दिया और अपमानजनक टिप्पणी की. जब महिला ने इसका विरोध किया तो जातिवादी गुंडों ने महिला के पति और पति के बड़े भाई को बंधक बनाकर पीट दिया. दोनों को इलाज के लिए रिविलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है.
दरअसल, रिविलगंज थाना क्षेत्र के तिवारी टोला की दलित महिला वार्ड सदस्य बबिता देवी पर गांव के कुछ लोगों ने पान खाकर थूक दिया था. जब दलित महिला के पति सुभाष राम और पति के बड़े भाई रवि शंकर राम ने विरोध किया तो जातिवादी गुंडों ने उनकी पिटाई कर दी.
पिटाई के बाद दोनों घायल स्थानीय थाने में शिकायत करने गए लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं लिखी. इसके बाद पीड़ित छपरा पुलिस अधीक्षक के पास करने गए. पुलिस अधीक्षक ने दोनों पीड़ितों को रिविलगंज थाने जाने को कहा. जब दोनों छपरा से आ रहे थे तो रास्ते में रिविलगंज बाजार से दोनों को हथियार के बल पर किडनैप कर लिया गया. किडनैप कर के उन्हें बंद पड़े ईट के भट्टे पर ले जाकर हाथ-पैर बांधकर बेरहमी से पीटा गया. सूचना मिलने पर पुलिस वहां पहुंची तो, सभी फरार हो गये. गंभीर रूप से घायल हुए दोनों पीड़ितों को पुलिस ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया.
घायलों के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर लिया है. आरोपियो की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी भी की जा रही है. थानाध्यक्ष ने बताया कि पान खाकर थूकने का विवाद एक अक्टूबर से ही चल रहा है और इस मामले में पंचायती भी की गई. लेकिन पंचायत में भी मामला नहीं सुलझ पाया. इसके बाद विवाद और बढ़ गया. वार्ड सदस्य बबिता देवी का कहना है कि दलित होने के कारण जातिवादियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है.
स्कूलों में पढ़ा रहे हैं ‘अनट्रेंड टीचर’ तो कैसे बढ़ेगा इंडिया?

नई दिल्ली। ये सच है कि जब पढ़ेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया. लेकिन इंडिया को पढ़ाने वाला ही अन्ट्रेंड हों तो ये जुमला बेइमानी सा लगता है. आज की तारीख में लगभग 15 लाख ऐसे ‘अनट्रेंड’ टीचर्स हैं, जो देश के अलग-अलग स्कूलों में बच्चों को तालीम देने में लगे हैं. जिसमें 10 लाख टीचर्स प्राईवेट स्कूलों में और 4 लाख से ज्यादा सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं.
दरअसल, केन्द्र सरकार ने इस साल के अंत तक उन सभी शिक्षकों को नए कोर्स करने की मोहलत दे रखी है. जो टीचर ट्रेनिंग किए बगैर ही बच्चों को तालीम दे रहे हैं. सरकार के इस फरमान के बाद मानव संसाधन मंत्रालय में लगभग 15 लाख शिक्षकों ने नए ट्रेंनिंग कोर्स के लिए आवेदन दे रखा है. जिसमें सबसे ज्यादा शिक्षकों की संख्या बिहार से है वहां से लगभग 3 लाख शिक्षक हैं. दूसरा नंबर यूपी का आता है जहां से 1 लाख 95 हजार टीचर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश का नाम है वहां से भी 1 लाख 91 हजार टीचर्स अब तक आवेदन कर चुके हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की तरफ से दिए जा रहे इस ट्रेनिंग में ऑनलाइन के साथ साथ डिश टीवी के माध्यम से भी पढ़ाया जाएगा. इसके अलावा ट्रेनिंग के लिए मोबाइल एप्लिकेशन को भी डेवलेप किया गया है. ट्रेंनिंग के बाद सभी शिक्षकों को डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन की डिग्री दी जाएगी.
लखनऊ के सिविल कोर्ट में हुआ बम धमाका
