सुखप्रीत कौर ने खोले हनीप्रीत के कई राज

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honeypreet

पंचकूला। बलात्कारी बाबा राम रहीम के ड्राइवर इकबाल सिंह की पत्नी सुखदीप कौर ने हनीप्रीत को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. सुखदीप कौर और उसके परिवार को डेरा का सबसे करीबी माना जाता है. इसका परिवार एक दशक पहले अपना गांव छोड़कर सिरसा में बस गया था. हनीप्रीत की मदद करने वाली सुखदीप कौर को पुलिस ने जीरकपुर से गिरफ्तार किया है.

सुखदीप कौर चंडीगढ़ से सटे जीरकपुर से उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह हनीप्रीत की गाड़ी चला रही थी. उस पर दंगे भड़काने के आरोपी महेंद्र इंसा को राजस्थान में छिपाने का आरोप भी है. सुखदीप कौर की मदद से हनीप्रीत पंजाब के कई शहरों में घूम चुकी है. सूत्रों के मुताबिक दोनों का ठिकाना भटिंडा ही रहा है. एक और जहां हनीप्रीत अपनी पूछताछ के दौरान पुलिस को खूब बेवकूफ बना रही है वहीं दूसरी ओर गिरफ्तार की गई सुखदीप कौर ने पुलिस के सामने हनीप्रीत से जुड़े कई खुलासे किए हैं.

सुखदीप कौर ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि हनीप्रीत की हैसियत डेरे में नंबर 2 की है. पिछले 38 दिनों के दौरान जब हनीप्रीत पुलिस की नजर से इधर-उधर भाग रही थी तो उसे जब भी उसे रुपए-पैसे की जरूरत होती थी वह डेरे के लोगों को फोन कर उनसे पैसे मंगाती थी.

हनीप्रीत फोन पर बातें करते वक्त सुखदीप कौर को गाड़ी से उतार देती थी. 38 दिनों के दौरान हनीप्रीत कई लोगों के साथ संपर्क में थी उसे जब भी किसी से कोई बात करनी होती थी तो सुखदीप कौर को गाड़ी से उतर जाने को कहती थी और चुपचाप किसी से बातचीत करती थी. बातें किसके साथ होती थीं इसका पता सुखदीप कौर को भी नहीं है.

एक ओर जहां पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि हनीप्रीत कौर ने 38 दिनों के दौरान 17 सिम कार्ड का इस्तेमाल किया है वहीं दूसरी ओर उसकी मददगार सुखदीप ने पुलिस को बताया है कि अक्सर हनीप्रीत सिम कार्ड का इस्तेमाल करने के बाद या तो उसे तोड़ देती थी या फिर लापरवाही से उसे फेंक देती थी.

हनीप्रीत ने पूछताछ में पुलिस को बताया है कि उसका फोन कहीं गिर गया है. अपने नाम से पंजीकृत सिम कार्ड के बारे में भी उसने गोलमोल जवाब दिया है. लेकिन सुखदीप कौर ने हनीप्रीत का भांडा फोड़ते हुए कहा है कि उसका मोबाइल फोन पंजाब के तरनतारन के किसी गांव में है. हालांकि पुलिस को अभी यह मालूम नहीं है कि यह मोबाइल फोन नष्ट कर दिया गया है या फिर किसी के सुपुर्द कर दिया गया है.

गौरतलब है कि 38 दिनों के सफर के दौरान ज्यादातर समय यह दोनों महिलाएं एक साथ रही हैं. सुखदीप ही हनीप्रीत की गाड़ी चलाती थी और हनीप्रीत शीशे पर तौलिया रखकर उसे निर्देश देती थी.

पीएम मोदी से शादी करने के लिए धरने पर बैठी ये महिला…

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नई दिल्ली। दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महिला पिछले एक महीने से धरने पर बैठी है. जयपुर की रहने वाली महिला ये धरना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शादी करने के लिए दे रही है.

44 वर्षीय ओम शांति शर्मा जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गईं हैं और उनकी मांग है कि वो पीएम मोदी से शादी करना चाहती हैं. ओम शांति अपने साथ पीएम की तस्वीर और एक बैनर लेकर बैठी हैं जिस पर उन्होंने अपनी ख्वाहिश लिख रखी है.

उनका कहना है कि उनके पति ने उन्हें धोखा दिया और अब पीएम ही उनका दुख समझ सकते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वो पीएम मोदी से शादी क्यों करना चाहती हैं तो उन्होंने कहा कि मेरी बात सुनकर लोग मुझपर हंसते हैं. मुझे सबने ठुकरा दिया. मैं पीएम की सेवा करना चाहती हूं. वो भी मेरी तरह अकेले हैं.

ओम शांति आगे कहती हैं कि पीएम का व्यवहार अच्छा है और वो गरीबों और दुखियों की आवाज सुनते हैं इसलिए मैं उनसे प्रभावित हूं. बता दें कि ओम शांति 8 सितंबर से यहां धरने पर बैठी हैं और यहीं रहती हैं. उनकी ख्वाहिश है कि पीएम एक बार आकर उनसे मिले तो वो अपना धरना खत्म कर देंगी.

ओम शांति की मानें तो उनके पति ने 1989 में उन्हें शादी के एक साल बाद ही छोड़ दिया था, वे तब से अकेली हैं. उन्होंने हमें यह भी बताया कि उन्हें कई लोगों ने शादी का प्रस्ताव दिया पर उन्हें प्रधानमंत्री मोदी में ही वो बात नजर आई.

बाहुबली प्रभाष और देवसेना अनुष्का में क्या चल रहा है?

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बाहुबली फेम प्रभास और अनुष्का शेट्टी के रिलेशन के बारे में जानने के लिए हर कोई बेताब है। दोनों के लिंकअप की खबरें काफी वक्त से आ रही है। कहा जाता है कि प्रभास औऱ अनुष्का काफी वक्त से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं।

लेकिन हाल ही में प्रभास ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने औऱ अनुष्का के रिश्तों पर बात की है। अभी कुछ वक्त पहले ही खबर आई है कि ये दोनों दिसंबर में सगाई करने जा रहे हैं। वहीं अब इन दोनों के बीच क्या है ये अबतक साफ नहीं हो पाया है। प्रभास ने एक इंटरव्यू में कहा कि, वो इन अफवाहों को सुन-सुनकर परेशान हो गए हैं। वो नहीं जानते कि ये खबरें कहां से आती हैं। इन खबरों से अनुष्का भी परेशान होती होगी, लेकिन अब दोनों ने इन खबरों पर रिएक्शन देना बंद कर दिया है।

प्रभास ने इस दौरान अपने और अनुष्का के रिश्तों को लेकर कहा कि, हम लोग पिछले 9 सालों से एक-दूसरे के दोस्त हैं। हम फैमिली फ्रेंड्स हैं और पिछले काफी सालों से एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन जब ऐसी खबरें आती हैं तो मैं वाकई सोच में पड़ जाता हूं कि क्या सही में हमारे बीच कुछ है। लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता है। इसके साथ ही प्रभास ने बताया कि इस तरह की बातें अब इंड्स्ट्री में आम हो गई हैं। अगर आप किसी को स्टार के साथ काम करते हो तो आपका नाम उससे जोड़ दिया जाता है। खैर अब प्रभास की बातें तो कुछ और ही कह रही हैं। इसका मतलब साफ हो चला है कि बाहुबली अपनी देवसेना को फिलहाल प्रभास साहो में बिजी हैं, जिसमें उनके साथ श्रद्धा कपूर उनके साथ हैं।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टी-20 मैच आज रांची में

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नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आज से तीन मैचों की टी-20 सीरीज शुरू हो रही है. इस सीरीज का पहला मैच आज रांची के जेसीए अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में खेला जाएगा. तीन मैचों का टी-20 सीरीज के लिए दोनों ही टीमों ने कमर कस ली है, इसलिए मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है. दोनों टीमों के लिए टी-20 के माहौल में ढलना होगा, क्योंकि दोनों ही टीमों ने पांच मैचों की सीरीज खेली है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों के लिए इस माहौल में ढलना कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए. दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों के पास टी-20 में आपार अनुभव है. ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों के पास इस सीरीज में जीत हासिल करके अपनी साख बचाने का मौका होगा. ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर टेस्ट और वनडे सीरीज पहले ही हार चुकी है, इसलिए टी-20 सीरीज में यह टीम जरूर जीतना चाहेगी. वहीं, भारतीय टीम के पास टी-20 में अपनी रैंकिंग सुधारने का मौका होगा. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 13 टी-20 मैच हुए हैं, जिसमें भारत ने 9 में तो ऑस्ट्रेलिया ने 4 मैचों में जीत हासिल की है.

पांच वनडे मैचों की सीरीज में आस्ट्रेलिया को 4-1 से मात देने के बाद मेजबान भारत आज से शुरू हो रही टी-20 सीरीज में भी अपने इसी प्रदर्शन को कायम रखना चाहेगी. भारतीय टीम में आशीष नेहरा, दिनेश कार्तिक और शिखर धवन की वापसी हुई है. इन तीनों खिलाड़ियों की मौजूदगी में भारत अपने विपक्षी के सामने और मजूबती के साथ उतरेगा. वनडे सीरीज में हार्दिक पांड्या, चाइनामैन कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल ने ऑस्ट्रेलिया को पूरी सीरीज में परेशान किया था. बता दें कि रांची का जेसीए स्टेडियम पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का होम ग्राउंड भी है.

भारत के लिए 38 साल के नेहरा का टीम में वापसी करना अहम साबित होगा. नेहरा, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह की तिगड़ी भारत को तेज गेंदबाजी में अच्छे विकल्प मुहैया कराएगी. पत्नी की तबियत खराब होने के कारण वनडे सीरीज से बाहर रहे धवन सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभालेंगे. हालांकि, वनडे सीरीज में उनकी गैरमौजूदगी में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले अंजिक्य रहाणे को टीम में नहीं चुना गया है. धवन अपने पुराने जोड़ीदार रोहित शर्मा के साथ एक बार फिर नजर आ सकते हैं.

परीक्षाओं में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर देना करें बंद-MHRD

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शनिवार को राज्यों और सीबीएसई को परामर्श जारी कर कहा कि वे अगले साल से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर देने का चलन बंद करें. बहरहाल, मॉडरेशन नीति पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया और यह चलन जारी रहने की संभावना है. ऐसे छात्रों को कृपांक (ग्रेस मार्क्स) देने का चलन जारी रहेगा जिन्हें परीक्षा पास करने के लिए कुछ ही अंकों की जरूरत हो. लेकिन स्कूल और राज्य बोर्ड की वेबसाइटों पर यह सूचना देनी होगी.

स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप की ओर से जारी परामर्श में कहा गया, ‘‘इकट्ठे मार्क्स (बंचिंग ऑफ मार्क्स) देना और उन्हें बढ़ाकर देने से परहेज करना चाहिए. ग्रेस मार्क्स देने का चलन जारी रहना चाहिए ताकि कुछ ही नंबर से फेल होने की कगार पर खड़े छात्रों को पास किया जा सके.’’

मॉडरेशन नीति के तहत छात्रों को ऐसे विषयों में अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं जिन्हें बेहद मुश्किल माना जाता है या प्रश्न-पत्रों के सेटों में अंतर होते हैं. जबकि ‘स्पाइकिंग’ के तहत बोर्डों की ओर से काफी बढ़ा-चढ़ाकर अंक दिए जाते हैं ताकि पिछले साल की सांख्यिकी के संबंध में पास प्रतिशत में समानता लाई जा सके. सीबीएसई और 32 अन्य बोर्डों ने 24 अप्रैल को एक बैठक में मॉडरेशन नीति रद्द करने पर आम राय कायम की थी. बहरहाल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से कहा था कि वह नीति को रद्द नहीं करे. न्यायालय ने कहा था कि बीच में बदलाव लागू करने की सलाह नहीं दी जा सकती.

केंद्र ने 2018 में 12वीं परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों के लिए एकसमान मार्किंग सुनिश्चित करने के लिए एक समिति का भी गठन किया है ताकि बढ़ा-चढ़ाकर नंबर दिए जाने के चलन को बंद किया जा सके.

सीबीएसई के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी इस समिति के सदस्य हैं. समिति में गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मणिपुर और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्डों के अधिकारी इसमें सदस्य के तौर पर शामिल हैं. यह समिति 24 अप्रैल को हुई बैठक में लिए गए निर्णयों से पैदा होने वाले मुद्दों का समाधान करेगी.

स्कूल के गार्ड ने 4 बच्चों पर शराब डालकर जिंदा जलाया, 50 लोग घायल

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रियो डी जनेरियो। भारत हो या विश्व का कोई भी देश स्कूलों पर सरकार और प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है. हाल ही में दिल्ली से सटे गुरूग्राम में रेयान इंटरनेशल स्कूल में एक छात्र की हत्या की गई थी. अब ब्राजील के एक स्कूल में गार्ड ने स्कूल के 4 बच्चों पर शराब डाल कर जिंदा जला दिया.

यह घटना गुरुवार को ब्राजील के जनौबा शहर में हुई. स्कूल के गार्ड ने शराब डालकर चार बच्चों को जिंदा जला दिया और उसके बाद खुद को भी आग के हवाले कर दिया. इस हमले में 50 अन्य लोग घायल हुए हैं.

स्थानीय अस्पताल के निदेशक ब्रूनो एटाइड सैंटोस ने बताया कि करीब 50 लोगों को भर्ती कराया गया है. जिनमें से 25 जली हुई अवस्था में हैं और 15 सदमे में हैं. 50 वर्षीय गार्ड ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया. घटना के समय नर्सरी स्कूल में करीब 80 बच्चे मौजूद थे.

अस्पताल में बाकी के मरीजों में 14 बच्चे हैं, जिनकी उम्र चार से पांच साल है और बाकी स्कूल का स्टाफ है. इनमें से सभी 20 फीसदी से अधिक जल गए हैं. हमलावर स्कूल में 2008 से रात के समय चौकीदारी करता रहा है और कथित तौर पर अवसाद से जूझ रहा था.

राज्य के महापौर और पुलिस के मुताबिक, स्कूल में एक सुरक्षाकर्मी ने बच्चों पर शराब डाल दी और फिर उनमें आग लगा दी.

राष्ट्रपति मिशेल टेमर ने इस भयावह घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट कर कहा, मुझे जनौबा में हुई इस घटना पर खेद हैं, इसमें बच्चों को भी निशाना बनाया गया है. मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं.

जीएसटी की नई दरों से जानिए क्या-क्या होगा ‘सस्ता’

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के 3 महीने बाद समिति ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शुक्रवार को 22 वीं परिषदीय बैठक में कई अहम फैसले लिए. छोटे एवं मझोले उद्यमों को कर के भुगतान और रिटर्न दाखिल करने के मामले में बड़ी राहत देने के अलावा निर्यातकों के लिए नियमों को आसान बनाया. सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को हर महीने के बजाय अब तिमाही रिटर्न भरनी होगी. आम उपयोग वाली 27 वस्तुओं पर जीएसटी की दर में भी कटौती की गई है, इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा. राजधानी में हुई इस बैठक में वित्त मंत्री ने जीएसटी की समीक्षा के लिए पैनल बनाए जाने की घोषणा की है.

आइए जानते हैं इसके बाद उपभोक्ताओं को किन चीजों पर फायदा होगा-

1. कलम, पेंसिल जैसे स्टेशनरी के सामान पर अब 28 की बजाए 18 फीसदी जीएसटी लगेगा.

2. बिना ब्रांड वाले नमकीन, अमचूर, आम पापड़ और खाकरा आदि पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है.

3. आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 की जगह अब 5 फीसदी जीएसटी लागू होगा.

4. डीजल इंजन और पंप के कलपुर्जों पर जीएसटी की दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत रह गई है.

5. एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले खाने के पैकेट पर जीएसटी 12 प्रतिशत के बजाए अब 5 प्रतिशत लगेगा.

6. कपड़ा क्षेत्र में उपयोग होने वाले मानव निर्मित धागे पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है.

7. मार्बल और ग्रेनाइट को छोड़कर फर्श में लगने वाले पत्थर में 28 की जगह 18 फीसदी जीएसटी लगेगा.

8. ई-कचरे पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.

9. जरी के काम और प्रिंटिंग सामान पर अब 12 प्रतिशत के बजाए 5 प्रतिशत कर लगेगा.

10. ‘कंपोजिशन’ योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिये भी कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है.

महिला ने दिया कैब में बच्चे को जन्म, ओला ने दी 5 साल तक फ्री राइड

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पुणे। एक प्रेग्नेंट महिला ने दो अक्‍टूबर को ओला कैब में सफर दौरान बच्‍चे को जन्‍म दिया. महिला ने कैब की पीछे वाली सीट पर बच्‍चे की डिलिवरी की वहीं इस दौरान कैब के ड्राइवर यशवंत गलांडे बेहद सावधानी से गाड़ी चलाते रहे. यही नहीं ड्राइवर ने महिला को सकुशल पुणे के मंगलावर पेठ स्‍थित कमला नेहरू अस्‍पताल में भी पहुंचाया.

खबर के मुताबिक महिला की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसके पति ने ओला कैब बुलाई थी. जब ड्राइवर को महिला की स्‍थिति का अंदाजा हुआ तो उन्‍होंने बच्‍चे की सुरक्ष‍ित डिलीवरी के लिए गाड़ी इस तरह चलाई ताकि महिला को कोई झटका या धक्‍का न लग पाए. ड्राइवर ने द हिंदू को बताया, टिंबर मार्केट पहुंचने के बाद मुझे बच्‍चे के रोने की आवाज आई. खुशकिस्‍मती यह रही कि उस दिन गांधी जयंति होने की वजह से राष्‍ट्रीय अवकाश था. छुट्टी की वजह से उस दिन मुझे पुणे के भयानक ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ा.

महिला के घरवालों ने ड्राइवर के प्रति आभार जताया है. अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के महिला और नवजात बच्‍चे को ड्राइवर ने घर तक भी छोड़ा. यही नहीं कैब कंपनी ओला ने महिला और बच्‍चे को अगले पांच सालों के लिए फ्री राइड्स का तोहफा भी दिया है. यानी कि मां और बच्‍चा बिना पैसों के अगले पांच साल तक कभी भी फ्री में ओला कैब से सफर कर सकते हैं. ओला ने बच्‍चे के नाम पर कूपन बनाया है, जिसका इस्‍तेमाल राइड बुक करते समय करना होगा.

अभिनेता प्रकाश राज के पक्ष में खड़ी हुई मायावती

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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकारी जनविरोधी नीतियों की निंदा की है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की निरंकुशता और कानून का अनुचित उपयोग लोकतंत्र की हत्या है.

मायावती ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करने पर विभिन्न धाराओं में मुकदमें दर्ज करने की नई परम्परा शुरु हो गयी है. यह लोकतन्त्र का गला घोंटने जैसा है. भाजपा सरकार की तानाशाही कर रही है. दक्षिणी भारत के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज पर मुकदमा और उत्तर प्रदेश के शामली में दलित युवक की इसी संबंध में गिरफ्तारी यह साबित करती है कि भाजपा सरकार निरंकुश होती चली जा रही हैं.

मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार ने दूरदर्शन और आकाशवाणी को ’हिज़ मोदी वायस’ बनाकर उसका महत्व ही समाप्त कर दिया है. जबकि प्राइवेट मीडिया चैनलों पर अप्रत्यक्ष नियन्त्रण करके उसकी स्वतन्त्रता को खत्म करने का प्रयास लगातार जारी है. इतना ही नहीं निष्पक्ष विचार रखने वाले लेखकों, साहित्यकारों व पत्रकारों को अलग-अलग ढंग से निशाना बनाया जा रहा है.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यह सब ऐसी घातक प्रवृत्ति है, जिससे लोकतन्त्र को खतरा पैदा हो रहा है. इस संबंध में न्यायपालिका का हस्तक्षेप होना चाहिए ताकि भाजपा सरकार निरंकुशता के व्यवहार पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस की संकीर्ण सोच का ही परिणाम है कि समाज के दबे-कुचले लोगों को पहले जातिवादी और धार्मिक निरंकुशता का शिकार बनाया जाता है. गुजरात में गरबा का कार्यक्रम देखने पर दलित युवक की हत्या कर दी जाती है. दलित युवकों द्वारा मूंछ रखे जाने पर उन्हें सरकारी संरक्षण में अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती का शिकार बनाया जाता है.

मायावती ने कहा कि भाजपा सरकार के मुखिया की ग़लत नीतियों के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त करने पर सरकारी निरंकुशता के तहत उसे जेल भेज दिया जाता है. जबकि खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वालों व अन्य संगीन अपराध करने वाले भाजपाई तत्वों का सात खून माफ कर दिया जाता है और उनको संरक्षण देने वाले हर प्रकार के बयान दिये जाते हैं. देश में यह विनाशक प्रवृत्ति बहुत तेज़ी से पनपती चली जा रही है, जो समाज व देश के लिये अत्यन्त ही घातक है. भाजपा एण्ड कम्पनी के लोग अपने आपको कानून व संविधान से ऊपर समझने लगे हैं, जिसके खिलाफ संघर्ष व लोगों का जागरुक होना ज़रुरी है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकारों द्वारा जनहित व जनकल्याण की घोर अनदेखी करने की प्रवृति का ही परिणाम है कि इनके तमाम मंत्रीगण व इनके बड़े नेता आदि जनसेवा को राजधर्म मानकर उस खास बड़ी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ निभाने के बजाय अपना समय व सरकारी संसाधन अन्यत्र ऐसी जगह बर्बाद करते हुये नज़र आते हैं जिसका कोई भी लाभ गरीबों, किसानों, बेरोजगार युवाओं व देश की आमजनता को मिलने वाला नहीं है.

सपना चौधरी ने बि​हार की ज्योति को दी चपलों से धुनाई करने की धमकी

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बिग बॉस सीजन-11 में इस बार कुछ ऐसे कंटेस्टेंट्स ने भाग लिया है जिनका गुस्सा हमेशा नाक पर रहता है. हम बात कर रहे हैं हरियाणवी डांसर सिंगर सपना चौधरी, अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के दामाद जुबैर खान और दिल्ली के मुनीष की. ये तीनों ऐसे शख्स है जिनकी पिछली लाइफ में झांक कर देखें तो ये कहने में जरा भी संदेह नहीं होगा कि ये आने वाले दिनों में किसी भी प्रतिभागी पर हाथ छोड़ सकते हैं. सपना चौधरी के बारे में तो यहां तक सुनने में आया कि वो कई बार अपने प्रोग्रामों के दौरान भी लोगों को चप्पल लेकर मारने दौड़ चुकी हैं. ऐसे में बिग बॉस के घर में पिछले दिनों जो देखने में आया वह दर्शकों को भले ना चौंकाता हो, लेकिन बिग बॉस के लिए सपना को शांत करना एक बड़ी चुनौती होगी.

सपना ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि वह बिहार की कॉमनर कंटेस्टेंट ज्योति की चप्पलों से धुनाई कर देगी. ये वही सपना है जो एक दिन पहले प्रतिभागी ज्योति को संस्कारों और तमिज का पाठ पढ़ा रही थी और अगले ही दिन सारी मर्यादाओं को तोड़कर ज्योति को लेकर जो जो कहा वह हैरान कर देने वाला है. ऐसे में क्या बिग बॉस सलमान खान के सामने भी सपना को शांत करने की बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में कई सवाल उठते है. क्या बिग बॉस सलमान खान बड़ों से तमिज से बात करने की बात करने वाली सपना को हाथ छोड़ने की बात पर कोई सबक सिखाएंगे? या फिर सपना जो कहती है वो करके दिखाएंगी?

बता दें कि बिग बॉस का तीसरा दिन झगड़ों और हंगामे के नाम रहा. दिन खत्म होते होते सपना चौधरी और ज्योति के बीच बहस हो गई. स्टेज पर प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ी सपना अपनी इमेज तोड़कर खतरनाक रूप में सामने आती हैं. उन्हें बिहार की बेटी से सेंस ऑफ ह्यूमर कुछ रास नहीं आया. वह ज्योति को पागल कहते हुए उसे चपल्लों से पीटने की बात करने लगी. ऐसे में घर के दूसरे सदस्य इस मामले में सपना को और उकसाते रहे और हंसते रहे. वहीं शिल्पा शिंदे ने ज्योति को ‘बदतमीज’ बनने की सलाह दे डाली. कुल मिलाकर धीरे-धीरे सबके चेहरों की परत उतरती जा रही है. आप तय नहीं पाएंगे कि कौन कैसा है.

कंगारुओं के खिलाफ टी-20 के लिए तैयार है विराट ब्रिगेड

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ऑस्ट्रेलिया पर वनडे सीरीज में 4-1 से दमदार जीत के बाद विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया आत्मविश्वास से भरी है. विराट ब्रिगेड शनिवार को कंगारुओं से 3 मैचों की टी-20 सीरीज के पहले मुकाबले में भिड़ेगी. यह मुकाबला टीम इंडिया को दूसरा क्रिकेट वर्ल्ड कप दिलाने वाले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के गृह नगर रांची में खेला जाएगा. ऐसे में टीम इंडिया इस मैच को जीतकर सीरीज में 1-0 से बढ़त लेने के साथ धोनी के घर में खेले जाने वाले इस मैच को खास बनाना चाहेगी.

विराट ब्रिगेड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में शानदार प्रदर्शन करके आईसीसी वनडे रैंकिंग में अपनी बादशाहत हासिल की थी. ऐसे में अब टी-20 रैंकिंग में पांचवें नंबर पर काबिज टीम इंडिया का लक्ष्य तीन मैचों की टी-20 सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप करके अपनी रैंकिंग और भी बेहतर करने पर होगी. कंगारुओं के खिलाफ 3-0 से जीत के साथ ही टीम इंडिया टी-20 रैंकिंग में दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगी.

टीम इंडिया में 38 साल के अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा की वापसी हुई है, जिन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच फरवरी में खेला था. वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ उन्हें मौका नहीं दिया गया था. उनके साथ ही विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक को ऋषभ पंत पर तरजीह दी गई है. श्रीलंका के खिलाफ टी-20 खेलने वाली टीम में से शार्दुल ठाकुर और अजिंक्य रहाणे को छोड़कर लगभग उसी टीम को रिटेन किया गया है.

विस्फोटक ओपनर शिखर धवन ने टीम में वापसी की है, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज से बाहर रहे थे. धवन और रोहित शर्मा से भारत को अच्छी शुरूआत की उम्मीद होगी. रोहित शानदार फॉर्म में हैं, जिन्होंने वनडे सीरीज में एक शतक और दो अर्धशतक की मदद से सबसे ज्यादा 296 रन बनाए थे. वहीं श्रीलंका दौरे पर धमाका करने वाले शिखर धवन से भी तूफानी पारी की उम्मीद होगी.

कौन डरता है कांचा से?

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कांचा इलैया की इस किताब पर सारा विवाद इसकी हिंदी कॉपी आने के बाद हुआ. इसका पहला मतलब यह है कि नौ साल से इसकी इंग्लिश कॉपी बिक रही है. अमूमन देश भर की लाइब्रेरी में है. लेकिन मूर्खों को कोई दिक्कत नहीं हुई. अब किताब आम जनता तक पहुंच रही है, तो उनको मिर्ची लग गई है.

इस किताब में आखिर ऐसा क्या है? क्यों लग रही है मिर्ची?

किताब दरअसल भारत के आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदायों के श्रम से उपजे ज्ञान का आख्यान है.

पहला चैप्टर बताता है कि किस तरह आदिवासियों ने ज्ञान का सृजन किया.

दूसरा चैप्टर चमार जाति की ज्ञान क्षेत्र में उपलब्धियों को बताता है.

तीसरा चैप्टर महार जाति के ज्ञान सृजन को रेखांकित करता है.

ऐसे ही एक चैप्टर यादव जाति के ज्ञान और अन्य चैप्टर नाई जाति की उपलब्धियों को दर्ज करता है.

कांचा खुद पशुपालक जाति से हैं और मानते हैं कि जो श्रमशील जातियां हैं. वही ज्ञान का सृजन कर सकती हैं. निठल्ले लोग ज्ञान की सृजन नहीं कर सकते.

यह विश्वस्तर पर स्थापित थ्योरी है और कांचा कोई नई बात नहीं कह रहे हैं.

इसलिए आप पाएंगे कि यूरोप में भी ज्यादातर आविष्कार वर्कशॉप और उससे जुड़ी प्रयोगशालाओं में हुए.

भारत में ज्ञान गुरुकुलों में रहा और इसलिए भारत आविष्कारों की दृष्टि से एक बंजर देश है. बिल्कुल सन्नाटा है यहां.

कांचा की किताब के आलोचक यह नहीं बता रहे हैं कि उन्हें मिर्ची किस बात से लग रही हैं. वे बस हाय हाय कर रहे हैं कि बहुत ज्यादा मिर्ची है.

यह सच भी है कि किताब में भरपूर मिर्च है. निठल्ले समुदायों की खाल खींचकर कांचा ने उस खाल को धूप में सुखा दिया है.

दिलीप सी मंडल की फेसबुक वॉल से साभार

… इस प्रसिद्ध मंदिर में आरक्षण के आधार पर चुने गए दलित-OBC पुजारी

travancore devaswom temple

तिवरंतपुरम। केरल में मंदिरों का रखरखाव और ध्यान रखने वाली संस्था त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड ने मंदिरों में पुजारियों का चयन आरक्षण की प्रक्रिया के मुताबिक किया. बोर्ड ने कुल 36 एससी और बैकवर्ड क्लास के लोगों को मंदिर में पूजा करने के लिए चुना है. दरअसल, गुरूवार को त्रावनकोर बोर्ड ने कुल 62 लोगों की लिस्ट जारी की. जिनका चयन टेस्ट और इंटरव्यू के आधार पर किया गया.

बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने कहा कि यह पहला मौका है जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को अपनाया गया है. उन्होंने कहा, “हमने कुछ दिनों पहले बैकवर्ड क्लास के कुछ पुजारियों की नियुक्ति की थी जिन्होंने मेरिट के जरिए इस बार चयन प्रक्रिया का निर्धारण किया. त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड की स्थापना 1949 में हुई थी और पुजारियों के लिए एस सी और ओबीसी के चयन की मांग दशकों से हो रही थी लेकिन इसके काफी विरोध के कारण ऐसा करना संभव नहीं हो सका था लेकिन आज हम ऐसा संभव कर सके हैं.”

नायर के अनुसार लोक सेवा आयोग की प्रक्रिया के तहत ही पुजारियों की नियुक्ति की गई है. अभी ये नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ त्रावनकोर बोर्ड के लिए की गई है लेकिन भविष्य में कोचीन और मालाबार बोर्ड के लिए भी पुजारियों की नियुक्ति भी इसी प्रक्रिया के तहत की जाएगी.

त्रावनकोर बोर्ड के प्रेसिडेंट ने भी निर्णय की सराहना की और कहा कि पुजारियों के तौर पर दलितों और बैकवर्ड क्लास की नियुक्ति बेहद जरूरी थी और नियुक्ति बोर्ड ने जिन लोगों का चयन किया है उन्हीं की नियुक्ति की जाएगी.

गोपालकृष्णन ने सबरीमाला अयप्पा टेंपल के बारे में भी बात की जिसमें दलित पुजारी की नियुक्ति का मामला हाइकोर्ट में है. गोपालकृष्णन के अनुसार पुराने नियमों के अनुसार वहां सिर्फ ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति की जा सकती है ऐसे में हाइकोर्ट के निर्णय अनुसार वहां नियुक्ति पर फैसला लिया जाएगा.

कांचा इलैया के लिए तेजस्वी यादव ने मांगी सुरक्षा

tejasavi Yadav

पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दलित चिंतक और लेखक पर हमले की निंदा की है. उन्होंने सरकार से कांचा इलैया की सुरक्षा की भी मांग की है.

तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “प्रखर चिंतक कांचा इलैया को दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही है. हम इसकी निंदा के साथ उनकी सुरक्षा की मांग सरकार से करते हैं”

गौरतलब है कि पिछले महीने में कांचा इलैया पर वारंगल के एक कार्यक्रम में वैश्य समाज के लोगों ने चप्पले फेंके थी और उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. यही नहीं इससे पहले भी वैश्य समाज के लोगों ने उन्हें फोन पर भी जान से मारने की और जीभ काटने की धमकी दी थी. जिसके बाद कांचा इलैया ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. ये भी पढ़ेंः दलित चिंतक कांचा इलैया पर वैश्य समाज के लोगों ने फेंकी चप्पल

आपको बता दें कि कांचा इलैया भारतीय राजनीतिक सिद्धांतकार, लेखक और दलित अधिकारों के पैरोकार है. इलैया अंग्रेजी के साथ-साथ तेलुगू भाषा में भी लिखते हैं. जातिवाद और जाति-व्यवस्था के प्रखर विरोधी इलैया दलितों को अंग्रेजी शिक्षा के पैरोकार हैं. कांचा इलैया भारत के अलावा विश्व के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में विजटिंग प्रोफेसर भी हैं.

पुलिस को मिली हार्ड डिस्क, खोलेगी बलात्कारी बाबा के सारे राज

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सिरसा। हरियाणा पुलिस के हाथ अब एक हार्ड डिस्क लगी है, जो बलात्कारी बाब राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा के सभी राज खोल देगी. इसमें गुरमीत राम रहीम की 700 करोड़ रूपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी और हवाला कारोबार की पूरी डिटेल है. ये हार्ड डिस्क एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) को सौंपी जाएगी.

डेरा सच्चा सौदा के अलग-अलग इलाकों में रेड के दौरान ये हार्ड डिस्क बरामद की गई है और इस हार्ड डिस्क को जलाकर डैमेज करने की कोशिश भी की गई थी लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने हार्ड डिस्क को रिकवर कर लिया है और इससे डाटा निकालने में भी सफलता हासिल कर ली है.

इस हार्ड डिस्क में ये पूरी डिटेल है कि डेरा सच्चा सौदा की ओर से किसे कितनी रकम दी गई और कितने रुपए कहां पर इन्वेस्ट किए गए. इसके अलावा डेरे के हत्यारों की भी जानकारी इस हार्ड डिस्क में मौजूद है.

डेरों में रेड के दौरान कई जगह फटे या जले हुए डॉक्यूमेंट्स मिले थे. इसी दौरान पुलिस को एक डेरे के आईटी सेल के साथ लगते लॉकर के पास से हार्डडिस्क मिली. इस हार्डडिस्क को भी डैमेज करने की कोशिश हुई थी, लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा था. पुलिस ने इस हार्डडिस्क से डाटा निकालने में कामयाबी हासिल की है. इस डिस्क के अंदर हवाला से लेकर बाबा की प्रॉपर्टी और कारोबार की डिटेल्स मौजूद हैं. इसमें यह डाटा भी मौजूद है कि किससे कितनी रकम ली गई. कहां कितने रुपए इन्वेस्ट किए गए. साथ ही हथियारों की जानकारी भी है.

पंचकूला पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा की 45 सदस्यीय मैनेजमेंट कमेटी को नोटिस भेजा है. बता दें पंचकूला में 25 अगस्त को हुई हिंसा के मामले इन्हें यह नोटिस भेजा गया है. नोटिस के जरिए इन 45 लोगों को जांच में शामिल होने के निर्देश मिले है.

नज़रियाः 10 साल पहले वाल्मीकि समुदाय के बारे में क्या कह गए थे मोदी?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अक्टूबर की सुबह ट्वीट किया, ”वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं, एक महान संत और साहित्यिक व्यक्ति के उच्च आदर्श और कार्य कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती हैं.” मोदी की इन शुभकामनाओं में महान संत, बड़े साहित्यिक, उच्च आदर्शों और कार्यों वाले व्यक्ति जैसे शब्द प्रयोग किए गए. ये सभी शब्द उस व्यक्ति के लिए लिखे गए, जिन्होंने दुनिया के एक महान ग्रंथ रामायण की रचना की.

लेकिन वे उन लोगों की भावनाओं को छूने में नाकाम रहे जो ख़ुद को वाल्मीकि का अनुयायी मानते हैं, जो सफाईकर्मी हैं, जो देश का सबसे ज़्यादा उपेक्षित समुदाय है, जो भारत की जाति व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर मौजूद है.

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वाल्मीकि समुदाय पर मोदी के विचार वाल्मीकि समुदाय कई पीढ़ियों से छुआछूत का सामना कर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने वाल्मीकि जयंती के अवसर पर एक शब्द भी वाल्मीकि समुदाय के लिए क्यों नहीं बोला?

साल 2007 की बात है. उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने प्रदेश के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर कर्मयोगी शिविरों में भाषण दिए थे. ‘कर्मयोगी’ नाम की एक किताब में इन भाषणों को प्रकाशित किया गया था. इस किताब की पांच हज़ार प्रतियां छपवाई गई लेकिन उन्हें वितरित नहीं किया गया. इसका कारण था दिसंबर 2007 में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव और राज्य में जारी आचार संहिता. इस किताब को छपवाने के लिए गुजरात की एक बड़ी पीएसयू कंपनी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने भी पैसा लगाया था. इस रंगीन किताब के 48वें और 49वें पन्ने पर कई खूबसूरत तस्वीरें थी. इस किताब के मुताबिक, मोदी ने वाल्मीकि समुदाय के सदियों से चले आ रहे पेशे, जैसे दूसरों की गंदगी साफ करने को ‘आध्यात्मिक अनुभव’ जैसा बताया था.

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सफाईकर्मी का काम आध्यात्मिक संतुष्टि किताब में मोदी ने लिखा था, ”मुझे नहीं लगता कि ये लोग सिर्फ़ अपना जीवनयापन करने के लिए यह काम करते हैं, अगर ऐसा होता तो शायद वे पीढ़ी दर पीढ़ी इसे जारी नहीं रखते.”

मोदी के हवाले से किताब में आगे लिखा गया, ”किसी एक मौके पर किसी न किसी को तो यह आभास हुआ होगा कि यह काम उन्हें (वाल्मीकि समाज) पूरे समाज और ईश्वर की खुशी के लिए करना है. उन्हें यह समझना होगा कि यह काम उन्हें ईश्वर ने दिया है और सफाई के इस काम को उन्हें अपनी आंतरिक आध्यात्मिक संतुष्टि के लिए सदियों तक जारी रखना होगा. इस बात पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि उनके पूर्वजों के पास कोई दूसरा काम करने का विकल्प नहीं था.”

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24 नवंबर 2007 को ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अहमदाबाद संस्करण में मेरा एक लेख छपा था, जिसका शीर्षक था, ‘जाति के आधार पर कर्मयोगी, वाल्मीकियों के लिए सफाई का काम अध्यात्मिक अनुभव’

गटर की सफाई आध्यात्मिक काम कैसे?

मोदी के भाषणों वाली यह किताब आज तक जारी नहीं हुई है. लेकिन नरेंद्र मोदी ने वाल्मीकि समुदाय के काम को आध्यात्मिक अनुभव बताकर हलचल जरूर पैदा कर दी थी. मोदी की इस परिभाषा की कई दलित चिंतकों ने आलोचना की थी. जाने-माने दलित कवि नीरव पटेल ने इसे दलितों का उत्पीड़न जारी रखने के लिए एक बड़ी साज़िश का हिस्सा बताया था, उन्होंने बहुत कड़े शब्दों में पूछा था, ”मोदी जिन कामों को आध्यात्मिक संतुष्टि वाला बता रहे हैं, ये सभी काम कभी उच्च जातियों ने क्यों नहीं किए?” उपन्यासकार और कार्यकर्ता जोसेफ मैक्वान ने मोदी के इन शब्दों को ब्राह्मणवादी सोच का आईना बताया था.

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा था, ”गटर से गंदगी साफ करने को कोई आधात्यमिक काम कैसे बोल सकता है?” septic tank ख़ैर उस समय गुजरात में मेरे उस लेख पर किसी ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, कांग्रेसी नेता चुनावों में व्यस्त थे और उनके पास मेरे लेख को देखने का समय नहीं था. कुछ दिन बाद जिस अधिकारी ने मुझे ‘कर्मयोगी’ नामक वह किताब दी थी, उसने मुझसे कहा, ”आपने वह लेख लिखकर क्या गज़ब कर दिया है.” मैंने उनसे पूछा कि ”ऐसा भी क्या गज़ब हो गया, क्योंकि गुजरात में तो किसी ने भी मेरे लेख पर ध्यान नहीं दिया. तब उस अधिकारी ने बताया कि मेरा वह लेख तमिलनाडु में अनुवाद करके प्रकाशित किया गया, जिसके बाद दलितों ने नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए.” protest

वह अधिकारी मुझसे उस किताब को वापस लेना चाहता था. मैंने ऐसा कर भी दिया. बाद में मुझे मालूम चला कि गुजरात के सूचना विभाग ने मोदी के निर्देश पर उस किताब के वितरण पर रोक लगा दी थी. वह किताब आज भी गुजरात सूचना विभाग के गोदाम में धूल खा रही है. हालांकि उस अधिकारी को किताब लौटाने से पहले मैंने किताब के विवादित पाठ की फोटोकॉपी करवा ली थी जिसमें आध्यात्मिकता की बातें लिखी गई थीं.

राज्यसभा में मोदी को बताया दलित विरोधी एक साल बाद किताब के उस विवादित पाठ की प्रति, कांग्रेस नेता प्रवीण राष्ट्रपाल के हाथ लग गई. दलित कार्यकर्ता से राजनेता बने प्रवीण ने मोदी को दलित विरोधी बताकर यह मुद्दा राज्यसभा में उठाया.

राज्य सभा में यह मुद्दा उठने के बाद कई कांग्रेसी नेताओं ने मुझसे उस किताब की प्रति के लिए संपर्क किया. पिछले साल तक भी कई कार्यकर्ता, राजनेता यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने भी मुझसे उस किताब की प्रति के लिए संपर्क किया. जिसे मैंने शालीनता से कहा कि मेरे पास वो किताब नहीं है.

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मैं आज तक समझ नहीं पाया कि आखिर मोदी ने क्या सोचकर वाल्मीकि समुदाय के काम को अध्यात्म से जोड़ा था? हालांकि मोदी उन्हें कर्मयोगी कहकर वाल्मीकि समुदाय के प्रति अपना प्रेम जताना चाह रहे थे. विशेष तौर पर सरकारी कर्मचारियों के प्रति.

कर्मयोग नामक उस किताब में मुख्यतौर पर सरकारी कर्मचारियों के काम करने संबंधी बातें लिखी गई थी, जिसमें यह समझाया गया था कि सरकारी कर्मचारियों को फल की चिंता किए बिना निष्ठापूर्वक अपना काम करना चाहिए जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति मिल सके.

राजीव शाह, वरिष्ठ पत्रकार, अहमदाबाद से बीबीसी हिन्दी से साभार