गुजरात सरकार का डॉ. आंबेडकर को राष्ट्रीय महत्व का नेता मानने से इनकार, आंदोलन की तैयारी में दलित समुदाय

 गुजरात सरकार द्वारा कथित रूप से डॉ बाबा साहब अंबेडकर को राष्ट्रीय नेताओं की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। इस निर्णय से आहत होने के बाद गुजरात के दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में एक आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है। इस मुद्दे पर सभी कार्यकर्ता जागरूकता अभियान चलाने के लिए डॉ अंबेडकर स्वाभिमान संघर्ष समिति का निर्माण करने वाले हैं।
इस मामले में दलित अधिकार मंच के किरीट राठोड ने आने वाले दिनों में होने वाली कार्यवाहियों का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि अगर विजय रूपाणी सरकार ने जल्द से जल्द बाबा साहब का नाम इस सूची में शामिल नहीं किया तो एक अप्रैल को विधानसभा भवन के पास भारी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। इस आंदोलन को पूरे गुजरात में फैलाने के लिए सभी दलित संगठनों और कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है। इस तरह का पहला जागरूकता अभियान उत्तरी पाटन कस्बे में शुरू भी हो चुका है।
गौरतलब है कि संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. बीआर आंबेडकर के नाम को राष्ट्रीय नेताओं की सूची में शामिल करने के लिए दलित अधिकार मंच के संयोजक किरीट राठोड़ ने भाजपा सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। इसके जवाब में पिछले साल 21 नवंबर को किरीट राठोड़ को विजय रूपाणी सरकार की तरफ से एक पत्र भेजा गया था। पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय नेताओं की अनुमोदित सूची के बारे में सरकार के 1996 के प्रस्ताव के अनुसार डॉ. अंबेडकर को राष्ट्रीय महत्व के नेताओं की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसा कहते हुए भाजपा सरकार ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया जिसके बाद पूरे राज्य के दलित कार्यकर्ता आक्रोशित हैं।

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