पटना। बिहार में बाढ़ से प्रभावित जिलों की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. बाढ़ से बिहार के 19 जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सीवान, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया प्रभावित हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार शुक्रवार तक बाढ़ की वजह से मृतकों का आंकड़ा 418 पहुंच गया है. 19 जिलों में लगभग 1.67 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.
जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर आपदा प्रबंधन विभाग ने शुक्रवार को 418 लोगों के मरने की पुष्टि की है, जबकि बाढ़ से प्रभावितों की संख्या एक करोड़ 67 लाख से अधिक हो गई है.
सहरसा और मुजफ्फरपुर के अलावा अन्य जिलों में भी लोगों की मौत की खबर है. सिवान जिले से बाढ़ के चलते किसी की मौत की सूचना नहीं है. विभाग की रिलीज में बताया गया है कि कुल 1403 सामूहिक रसोइयों में 3.54 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.
बाढ़ से राहत बचाव के काम में एनडीआरएफ की 28 टीमों को लगाया गया है. इसके अलावा एसडीआरएफ की 16 टीमें भी राहत बचाव के काम में लगी हैं. सेना के 630 जवान बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. कुछ जगहों पर बाढ़ का पानी घटा है जिससे लोग अपने घर लौट रहे हैं लेकिन इन जगहों पर बीमारी फैलने का डर बना हुआ है.
बिहार में राहत शिविरों में कमी की गई है. पहले 624 शिविर बनाए गए थे जो अब घटकर 368 हो गए हैं. इनमें लगभग 1.59 लाख लोग आश्रय ले रहे हैं. यह जानकारी आपदा प्रबंधन विभाग ने दी है. अकेले अररिया जिले में ही बाढ़ के चलते 87 लोगों की मौत हुई है.
इसके अलावा सीतामढ़ी में 43, कटिहार में 40, पश्चिमी चंपारण में 36, पूर्वी चंपारण में 32, मधुबनी में 28, दरभंगा में 26, किशनगंज में 24, माधेपुरा में 22, गोपालगंज में 20, सुपौल में 16 और पूर्णिया में 9 लोगों की मौत हुई है.
बाढ़ के कारण अब तक जिलों से 24 हजार 350 झोपड़ियां ध्वस्त हुई हैं. एक हजार से अधिक मकानों को आंशिक क्षति हुई है. कच्चा-पक्का मकानों के क्षति का आकलन किया जा रहा है. सात लाख हेक्टेयर से अधिक खेतों में लगी फसल नष्ट हो चुकी है. बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का काम चल रहा है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व सेना के जवान राहत बचाव अभियान में लगे हुए हैं.
तीनों बलों की 51 टीम के 2248 जवान और 280 मोटरबोट के माध्यम से राहत अभियान में लगे हैं. प्रभावितों के लिए राहत शिविर, सामुदायिक किचेन चलाया जा रहा है. जो लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं, उन्हें चूड़ा, चावल, आलू, दाल आदि खाद्य सामग्री का फूड पैकेट दिया जा रहा है.
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