नई दिल्ली। कभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगती और दाखिला न मिलने पर लोग आत्महत्या भी कर लेते थे. लेकिन अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को निराश होंगे यह जानकार की देश के 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया गया है. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इन कॉलेजों को बंद करने की मंजूरी दे दी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन कॉलेजों के बंद करने के पीछे एआईसीटीई के रूल है. जिनकी वजह से इन इंजीनियरिंग के कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया गया है. एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धे ने कहा कि इन कॉलेजों में न तो मूलभूत ढांचा बेहतर है न इनकी सीटें ही पूरी तरह भर पा रही हैं.
उन्होंने आगे कहा कि एआईसीटीई के नियमों के मुताबिक, अगर किसी कॉलेज में जरूरी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं और लगातार पांच साल तक उसमें 30 फीसदी या इससे कम सीटें भरती हैं तो उसे बंद कर दिया जाता है.
इन्हीं सख्त नियमों की वजह से हर साल 150 से ज्यादा इंजीनियरिंग के कॉलेज बंद हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014-15 से 2017-18 तक देश में 410 से ज्यादा इंजीनिरिंग कॉलेजों बंद किया गया.
वेबसाइट के अनुसार, एआईसीटीई ने 2014-15 से 2017-18 तक पूरे भारत में 410 से अधिक कॉलेजों को बंद करने को मंजूरी दी है. इनमें से 20 संस्थान कर्नाटक में हैं. 2016-17 में सबसे ज्यादा संख्या में संस्थाओं को बंद करने की मंजूरी दी गई थी. तेलंगाना (64), उत्तर प्रदेश (47), महाराष्ट्र(59), आंध्र प्रदेश(29), राजस्थान(30), तमिलनाडु और हरियाणा (31), गुजरात(29), पंजाब(19), कर्नाटक और मध्य प्रदेश(21) में सबसे ज्यादा कॉलेज ऐसे हैं, जो एआईसीटीई के मानकों के हिसाब से बंद होने हैं.

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