नई दिल्ली। साल 2005 में दलित उद्यमियों को एक मंच पर लाने और आपस में जुड़कर एक ताकत बनने की चाह में उभरे दलित उद्यमियों के संगठन डिक्की में दो फाड़ हो चुका है. संगठन के हरियाणा और उत्तर प्रदेश के फाउंडर प्रेसिडेंट सुभाष सिंह ग्रोवर और आर.के सिंह ने डिक्की से अलग होकर अपना अलग संगठन बना लिया है. इस संगठन का नाम Developing Indian Chamber of Commerce & Industry North रखा गया है, जिसका शार्ट नाम DICCI होता है. इसके अध्यक्ष डिक्की के पूर्व यूपी प्रेसिडेंट आर.के सिंह हैं जबकि उपाध्यक्ष हरियाणा के फाउंडर प्रेसिडेंट सुभाष सिंह ग्रोवर हैं.
अन्य पदाधिकारियों में लक्ष्मी जनरल सेक्रेट्री और विपिन कुमार ट्रेजरार हैं. अशोक कुमार और सोबेस सिंह संस्था के सदस्य हैं. नई संस्था के अध्यक्ष आर.के सिंह ने डिक्की पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने डिक्की द्वारा नार्थ इंडिया के उद्यमियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डिक्की की कागज पर डिक्की की स्थापना 2005 में नहीं बल्कि 2014-15 में हुई है. उन्होंने चुनौती दी कि अगर यह गलत है तो डिक्की यह कह कर दिखाए.
इस बीच डिक्की की स्थापना से ही उसके मेंटर के तौर पर जुड़े चंद्रभान प्रसाद ने “दलित दस्तक” से बातचीत में बताया कि डिक्की से अलग होने वाला यह कोई पहले लोग नहीं है. पहले कई अन्य लोग भी डिक्की छोड़कर अलग संगठन बना चुके हैं. उन्होंने तमाम नाम गिनाते हुए कहा कि डिक्की के तमाम पुराने सदस्य डिक्की छोड़कर जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि वह भी काफी पहले डिक्की से अलग हो चुके हैं.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।
Yes
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डिक्की में रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं
डिक्की की वेबसाइट पर जाइए। वहां से कर सकते हैं। वेबसाइट गूगल पर मिल जाएगी।
Dear sir please join me it will be pleasure for me .