सागर। ये सही है कि जब पढ़ेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया लेकिन इंडिया को बढ़ाने वाले बच्चे ही जब खौफ के साए में पढ़ने को मजबूर हो तो देश के सुनहरे कल का क्या होगा. दरअसल, मध्यप्रदेश के सागर में इन दिनों दलित बच्चों का बचपन और उनकी तालीम खौफ के साए में पल रही है.
दलित बच्चों के लिए एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन हॉस्टल सरकार ने श्मशान घाट के आसपास बना दिए हैं. जिसके बाद आलम ये है कि बच्चों की नजरें पढ़ाई-लिखाई और लंच करते समय कई दफे श्मशान से उठते धुंए पर पड़ती है. जिसके बाद आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों के दिल पर क्या बितती होगी.
दूर दराज के गांव से अपनी किस्मत संवारने आए ये बच्चे आज इस विरान जगहों पर बने हॉस्टलों में डर-डरकर सोते और जागते हैं. जब इस बावत विभाग के अधिकारियों से एक निजी समाचार पत्र के संवाददाता ने पूछा तो उनका भी कहना था कि हॉस्टलों की लोकेशन ठीक नहीं है. लेकिन जब इसकी जिम्मेदारी की बात की गई तो पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि ये काम हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है.
श्मशान के नजदीक हॉस्टल बनने का सिलसिला अब भी नहीं थमा है. आलम ये है कि प्रशासन अब भी हॉस्टल के लिए श्मशान के पास ही जमीन अलाट कर रहा है और इसके चारों तरफ आदिवासी विकास विभाग ने चार हॉस्टल और बना दिए हैं. अब इसे प्लानिंग में कमी कहे या फिर अफसरों की लापरवाही. लेकिन आज देश का बचपन खौफ के साए में जिंदगी जीने और तालीम हासिल करने पर मजूबर है.

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