दलित छात्र को पीएचडी में प्रवेश न देने का मुद्दा राज्यपाल तक पहुंचा

 कालीकट विश्वविद्यालय के एक सिंडिकेट सदस्य ने ‘जीवन विज्ञान विभाग’ में पीएचडी कार्यक्रम में दलित छात्र को प्रवेश देने से कथित रूप से इनकार करने के खिलाफ केरल के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान से संपर्क किया है। केरल के यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट समर्थित सिंडिकेट सदस्य पी रशीद अहमद ने श्री खान को अपने ई-मेल में दावा कियाकि कालीकट विश्वविद्यालय के दलित छात्र केपी लिजिथ चंद्रन ने 2020 में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया था। नियमानुसार चंद्रयान को एक साल के भीतर किसी भी पीएचडी में प्रवेश करने की पात्रता है इसके बावजूद उन्हें जाति आधारित भेदभाव के चलते पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया गया।

श्री अहमद ने श्री चंद्रन का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया कि पीएचडी कार्यक्रम के लिए केरल के इस विश्वविद्यालय में चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। प्रवेश परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तैयार करने के बाद जो परीक्षा हुई उसका मूल्यांकन भी इसी विभाग के शिक्षकों ने किया था, जो कि नियमों के खिलाफ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि विश्वविद्यालय में आरक्षण नियम अस्पष्ट हैं और इस मामले में जानबूझकर दलित छात्र के खिलाफ षड्यन्त्र किये जाने की आशंका है। इस शिकायत के बाद आवश्यक कार्यवाही करते हुए प्रवेश प्रक्रिया के निदेशक को नियमों के संभावित उल्लंघन पर विभिन्न विभागों से स्टेटस रिपोर्ट एकत्र करनी थी। लेकिन जो जानकारी मिल रही है उससे पता चलता है कि निदेशक द्वारा यह कार्यवाही नहीं की गयी है। इसके अलावा श्री अहमद ने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रन कांग्रेस की स्टूडेंट विंग केरल स्टूडेंट्स यूनियन के मलप्पुरम जिला अध्यक्ष रहे हैं एवं एक दलित समुदाय से आते हैं, इसीलिए विश्वविद्यालय प्रशासन उनके खिलाफ षड्यन्त्र कर रहा है।

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