तमिलनाडु के रामेश्वरम में सरकारी स्कूल में पढ़ रहे दलित छात्रों से स्कूल प्रशासन ने जबरन सेप्टिक टैंक साफ कराया. इंडिया टुडे की खबर के अनुसार घटना के बाद बच्चे बुरी तरह बीमार पड़ गए. मामले में पीड़ित बच्चों के परिजनों ने स्कूल के इस रवैए पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. स्कूल रामेश्वरम के मंडापम में हैं जिसमें करीब 120 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इनमें कुछ दलित बच्चों की तबियत अचानक तब खराब हो गई जब उनसे जबरन स्कूल का टैंक साफ कराया गया. बीमार सभी छात्र संध्या नगर के निवासी बताए जाते हैं. ये इलाका रामेश्वरम बस स्टॉप के पास है. छात्रों के परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘स्कूल टैंक से बुरी बदबू आने पर जबरन कक्षा छह और सात में पढ़ने वाले हमारे बच्चों से टैंक साफ कराए गए. बच्चों से ही स्कूल का टैंक खुलवाया गया. इस दौरान टैंक से जहरीली गैस निकली और बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ा. इस दौरान चार बच्चों ने उल्टी भी की.’
मामले में एक पीड़ित छात्र नवीन कुमार ने बताया, ‘मैं स्कूल में कक्षा सात में पढ़ता हूं. स्कूल प्रशासन हमसे जबरन साफ-सफाई करवाता है. ऐसा कई बार हो चुका है. इस बार हमसे सैप्टिक टैंक साफ कराया गया. इससे हम बीमार हो गए. कई छात्र तो अभी तक उल्टी कर रहे हैं. कई छात्रों को दस्त होने की भी शिकायत है. स्कूल में हमें परेशान किया जाता है.’ वहीं घटना के बाद नवीन और अन्य पीड़ित छात्रों के परिजन सदमे हैं. उनका कहना है कि वो जहां अपने बच्चों को सुनहरे भविष्य के लिए भेजते हैं वहां उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है. दूसरी तरफ पीड़ित छात्र के परिजन ने बताया, ‘स्कूल में हमारे बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव लंबे समय से किया जा रहा है. वहां हमारे बच्चों का इस्तेमाल महज काम के लिए किया जाता है. जब हमने इसकी शिकायत करने की कोशिश की तो उन्होंने हमें धमकी दी. वो हमारे बच्चों को परीक्षा में पास नहीं होने देंगे. हमारे बच्चों को छात्रवृति से वंचित रखने की भी धमकी दी गई. मेरा बच्चा पिछले दस दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती है. वो अभी तक स्कूल नहीं लौट पाया है.’ दूसरी तरफ स्कूल प्रशासन ने छात्रों से टैंक साफ कराने की बात से इंकार किया है.
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/DD-logo.jpg)
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/PLATE.jpg)
Shame India