
केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि अकुशल केंद्रीय कर्मचारियों को 50-55 साल में या 30 साल का सेवाकाल पूरा होने पर जनहित में रिटायर किया जा सकता है। यहां सवाल यह है कि यदि केंद्रीय कर्मचारियों को अकुशल होने पर रिटायर किया जा सकता है, तो प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी चौतरफा अकुशलता के चलते क्यों न रिटायर कर दिया जाए।
नरेंद्र मोदी सभी बुनियादी मुद्दों पर अकुशल साबित हुए हैं, जो निम्न हैं-
1. किसी अर्थव्यवस्था उस देश की रीढ़ होती,क्योंकि उसी से जीवन चलता है यानि उसी से रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, देश की आंतरिक-बाह्य सुरक्षा और अन्य संसाधनों के लिए धन जुटाया जाता है। पिछले वर्षों में मोदी जी अकुशलता के चलते देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई है, आम आदमी की कौन कहे, मध्य वर्ग, उच्च मध्यवर्ग और छोटे-मझोले व्यापारियों भी कंगाली और दिवालिएपन की ओर बढ़ रहे हैं। आर्थिक विकास दर नकारात्मक हो गई है, बेरोजागारी सारे आंकड़े रिकार्ड तोड़ रही है। लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं।
आर्थिक मामलों में मोदी जी अकुशलता के साथ सनक का भी परिचय देते रहे हैं, नोटबंदी एक सनक थी, जिसने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी यानि मोदी जी अर्थव्यवस्था के मामले में अकुशलता के साथ सनकी भी साबित हुए हैं।
2. मोदी कोविड-19 से निपटने के मामले में दुनिया में सबसे बदत्तर साबित हुए हैं, पड़ोसी देश बाग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान भी बेहतर साबित हुए हैं।
3. मोदी जी की विदेश नीति पूरी तरह असफल रही है, चीन ने देश के एक हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है, नेपाल से रिश्ते खराब हो चुके हैं, बाग्लादेश भी चीन की तरफ जा रहा है,पाकिस्तान से पहले ही ताना-तानी है।
4. मोदी जी ने देश का सामाजिक-तानाबाना छिन्न-भिन्न कर दिया है, देश को धर्म के आधार पर ध्रुवीकृत करके बांट दिया है और चारो तरफ वैमनस्व का बीज बोया है।
तो क्या यह सही नहीं होगा कि यदि अकुशलता के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायर किया जा सकता है, तो देश चलाने के मामले में पूरी तरह अकुशल साबित हुए नरेंद्र मोदी को क्यों न रिटायर कर दिया जाए?

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