14 अप्रैल को जब दुनिया भर में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की जयंती मनाई जा रही थी, नोएडा में बाबासाहेब की प्रतिमा तोड़ दी गई। नोएडा के सेक्टर 63 स्थित छजारसी गाँव में यह घटना घटी घटना के बाद बड़ी संख्या में अंबेडकरवादी इकट्ठा हो गए। उनका आरोप है कि जातिवादियों ने यह काम किया है।
भारत के इतिहास में महापुरुषों की बात करें, जिन्होंने जन्म लिया और अपने जीवन का लंबा समय समाज कल्याण में लगाया तो बुद्ध और बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर का नाम सामने आता है। इसी तरह अगर भारत में प्रतिमाओं को तोड़ने की घटना की बात करें तो बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया।
देश के चप्पे-चप्पे में बाबासाहेब के अनुयायियों के द्वारा लगावाई गई डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा जहां वंचित समाज के लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है तो वहीं मनुवादी लोग इससे जलते हैं। यही वजह है कि मौका मिलते ही बाबासाहेब की प्रतिमाओं को तोड़ने की घटना भी सामने आती है। नोएडा में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा तोड़ जाने की घटना के बाद ही वहां हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। साथ ही प्रशासन द्वारा एहतियातन कई थानों की पुलिस फोर्स को भी तैनात कर दिया गया। पुलिस अपराधियों को तलाशने में जुटी है। खास तौर पर जिस 14 अप्रैल को पूरा देश डॉ आंबेडकर की जयंती मना रहा था, उस मौके पर ऐसी घटना ने खासकर अंबेडकरवादी समाज में गुस्सा भर दिया है।
बाबासाहेब की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कनाडा सरकार ने पूरे महीने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर जयंती मनाने का फैसला किया है। तो अमेरिका में भी बाबासाहेब की जयंती मनाई गई। विश्व के नौ विश्वविद्यालयों में बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा (बस्त) स्थापित की गई है। इस साल दुनिया भऱ में बाबासाहेब आंबेडकर की 131वीं जयंती मनाई जा रही थी। डॉ. आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हो गया था।

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