ब्रह्मेश्वर मुखिया के समर्थकों ने दी धमकी, पत्रकार ने यूं दिया जवाब

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नई दिल्ली। फारवर्ड प्रेस के हिंदी-संपादक नवल किशोर कुमार को ब्रह्मेश्वर मुखिया के समर्थकों से जान से मार डालने की धमकियां मिल रही हैं. पिछले 24 घंटे से  उन्हें  लगातार गालियों से भरे फोन आ रहे हैं. इन धमकियों में कहा जा रहा है कि बिहार में रह रहे उनके परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाएगा तथा उन्हें दिल्ली आकर मार डाला जाएगा.  धमकियां उनके फेसबुक पेज पर कमेंट में भी दी जा रही हैं.

नवल किशोर रणवीर सेना पर काम करने वाले देश के प्रमुख पत्रकारों में से एक हैं. उन्होंने न सिर्फ सेना की कारगुजारियों का विस्तृत अध्ययन किया है, बल्कि ब्रह्मेश्वर मुखिया का एकमात्र उपलब्ध मुकम्मल वीडियो इंटरव्यू भी उन्होंने किया था, जो फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित हुआ था तथा हमारे यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है.

दरअसल, 1 जून, 2018 को  भोजपुर जिला के खोपिरा में रणवीर सेना  ब्रह्मेश्वर मुखिया की प्रतिमा की स्थापना करने जा रही है. वर्ष 2012 में इसी दिन उसे अज्ञात हमलावरों  ने गोलियों से भून दिया था. मुखिया के हत्यारों का आज तक पता नहीं चल सका. मामले की जांच सीबीआई कर रही है. रणवीर सेना के लोग अपने नायक की हत्या की बरसी मनाने के लिए एक जून को खोपिरा में जुटेंगे. कुछ सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में इसकी  तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

नवल किशोर कुमार ने  तीन दिन पहले -27 मई, 2018 को – अपनी  फेसबुक पोस्ट में इस अयोजन का विरोध किया था. उन्होंने 300 से अधिक दलित-पिछडों की नृशंस हत्या के आरोपी ब्रह्मेश्वर मुखिया की मौत को ‘कुत्ते की मौत’  कहा था तथा बिहार में सामंती ताकतों के बढते मनोबल के लिए जदयू-भाजपा की सरकार को आडे हाथों लिया था.

याद दिलाने की आवश्यकता शायद नहीं है कि यह वही ब्रह्मेश्वर मुखिया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपने लोगों को कहा था कि जहां नरसंहार करने जाओ वहां दलित-पिछडों के बच्चों को भी मत छोडो. वे संपोले हैं, बडे होकर नक्सलवादी बनेंगे. रणवीर सेना ने विभिन्न नरसंहारों में दर्जनों बच्चों को गाजर-मूली की तरह काट डाला. गर्भवती महिलाओं के गर्भ चीर डाले. युवतियों के स्तन काट डाले

ब्रह्मेश्वर मुखिया जैसे लोगों के लिए हमारी राय पूरी तरह स्पष्ट रही है. उसकी हत्या के बाद हमने फारवर्ड प्रेस (जुलाई,2012) की कवर स्टोरी का शीर्षक दिया था – ‘किसकी जादूई गोलियों ने ली बिहार के कसाई की जान’. यह कवर स्टोरी नवल किशोर ने ही लिखी थी. उसी अंक में प्रसिद्ध दलित चिंतक कंवल भारती का भी एक लेख था,  जिसका शीर्षक था : ‘हत्यारे की हत्या पर दु:ख कैसा?’

हमारी नजरों में वह एक हत्यारा, एक नरपिशाच ही था. उसके लिए किसी भी प्रकार के सम्मानजक शब्द के प्रयोग का सवाल ही नहीं उठता.

बहरहाल, घमकियों की लिखित शिकायत बिहार के डीजीपी व घमकी देने वाले जिन लोगों के नाम मिल सके हैं, उनके जिलों के एसपी से की जा रही है. फेसबुक कमेंटों में कई जगह  दलित समुदाय के लिए भी गालियां दी गई हैं. उनके लिए उपयुक्त पात्रों द्वारा अलग से संबंधित जगहों पर शिकायत भेजी जा रही है.

रणवीर सेना के लंपट कान खोल कर सुन लें. हमने सैकडों लोगों की शहादत दी है. हम डरने वाले नहीं हैं.

-प्रमोद रंजनसंपादक (फॉरवर्ड प्रेस)

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