भर्ती प्रक्रिया में BHU ने किया भेदभाव, SC/ST और OBC कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वद्यालय में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. यह विरोध प्रदर्शन विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति-प्रक्रिया में गड़बड़ी के खिलाफ किया गया. छात्रों ने भर्ती प्रक्रिया में एससी/एसटी/ओबीसी के आरक्षण में अनियमितताओं को लेकर भारी रोष प्रकट किया.

एक तरफ जहां अनारक्षित वर्ग के कुल सीटों की संख्या 103 है, वहीं एससी के लिए सिर्फ 03 तो ओबीसी और एसटी के लिए शून्य हैं. छात्रों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय हुई अनियमतताओं को लेकर प्रशासन से लिखित में सवाल भी पूछें हैं. छात्रों का कहना है कि बिना यूजीसी के अनुमति के रोस्टर प्रणाली में परिवर्तन लाया गया है जो की साफ तौर पर अनुचित है. यही नहीं बल्कि कुल आरक्षित पदों की संख्या 241 से घटाकर 41 कर दी गई है.

छात्रों ने सवाल उठाया है कि चयन प्रक्रिया में अनावश्यक जल्दबाज़ी क्यों की जा रही है. प्रार्थियों को साक्षात्कार में नियमानुसार समय न देकर, एक दिन का ही समय क्यों दिया जा रहा है? बड़े संख्या में छात्रों का सैलाब बीएचयू प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते नज़र आया.

उनका कहना है कि डीओपीटी 2006 में नहीं लागू होने पर इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय मे नियुक्तियों पर रोक है, लेकिन काशी हिन्दू विश्वविद्यालाय मे नहीं है. नई 13 पॉइंट रोस्टर प्रक्रिया को डीओपीटी 2006 के अनुसार 02/07/1997 से लागू नहीं किया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन बैक लॉग वैकेंसी भी नहीं निकाल रहा है.

“आरक्षण हमारी भीख नहीं हमारा अधिकार है” इस नारे की आवाज़ पुरे बीएचयू में गूंज उठी, मानो अपने हक़ की यह कोई लड़ाई नहीं बल्कि एक आंदोलन हो. छात्रों का यह भी कहना है कि संवैधानिक आरक्षण प्रणाली के अनुसार बीएचयू के विज्ञापित पदों मे एससी एसटी को 22.5% और ओबीसी को 27% पद नहीं दिये गए है. सामान्य श्रेणी के आवेदन पत्र मे जाति का विवरण भी मांगा गया है जिसका कोई अर्थ नहीं.

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने मनमाने तरीके से नियुक्ति कर रहा है. दलितों, पिछड़ों और आदिवासी छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय साजिश रच रहा है. छात्रों ने आगे कहा कि अगर प्रशासन हमारी बातें नहीं मानता और हमारे सवालों का जबाव नहीं देता है तो हम आंदोलन करेंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.