बहुजनों के बीच अब चन्द्रशेखर रावण किसी पहचान के लिए मोहताज नही हैं.भीम आर्मी के जांबाज साथी एडवोकेट चन्द्रशेखर रावण जी अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नही रह गए हैं लिहाजा उन्हें रिहा कर दिया गया है.एक सुकून मिला है यह जानकर कि चन्द्रशेखर रावण जी को रामराज्य वाली सरकारों ने रिहा कर दिया है.
यूपी और देश मे सच मे रामराज्य आ गया है.स्वभाविक है कि रामराज्य आएगा तो बहुजन को शम्बूक,एकलब्य,रावण,बालि, महिषासुर,हिरणकश्यप की तरह ट्रीट किया जाएगा.आखिर रामराज का मतलब ही तो यही है कि “पूजिय विप्र शीलगुन हीना, शूद्र न गनगुन ज्ञान प्रवीना.”
चन्द्रशेखर रावण बकालत पास हैं.उन्हें भारतीय संविधान की समझ है.वे संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के अनन्य समर्थक हैं लेकिन जाति से अनुसूचित हैं तो वे देश के लिए खतरा हैं क्योंकि वे संविधान पढ़ अपने अधिकार व कर्तव्य जान गए हैं और उसके इम्प्लीमेंट हेतु जद्दोजहद कर रहे हैं.वे यह समझ रहे हैं कि उनका हजारो वर्ष से वंचित समाज संविधान प्रदत्त अधिकारों से आज भी महरूम है.उन्हें यह भान है कि शिक्षित होने के बाद उनका अब यह कर्तव्य है कि वे अपने समाज को संविधान प्रदत्त अधिकार दिलाएं.वे अपने मान-सम्मान से वंचित समाज को समता का अधिकार दिलाना अपना फर्ज मान रहे हैं तो वे अभिजात्य समाज के आंख की किरकिरी तो होंगे ही.
जब भी चन्द्रशेखर रावण जैसे लोग विद्रोह करते हैं तो वे रावण,बलि,महिषासुर,शम्बूक,एकलब्य,जगदेव प्रसाद,लालू यादव आदि के रूप में समाज के सामने तिरस्कृत रूप में पेश किए जाते हैं.मुंहजोर लोग इन वंचित समाज के रहनुमाओं को अपने आपको निर्दोष सिद्ध करने का कोई अवसर भी नही देते हैं.ये इन्हें इस तरीके से प्रचारित कर डालते हैं कि सुपद ,कुपद और कुपद,सुपद नजर आने लगता है.
चन्द्रशेखर रावण ने अपने समाज के सम्मान हेतु संघर्ष किया तो वे राष्ट्र विरोधी हो गए.चन्द्रशेखर रावण को रामराज्य वाली सरकार ने मुकदमो में फंसा कर रासुका में निरुद्ध कर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता जेल भेज दिया.गजब का तर्क है भाई,पढ़ाया जाता है कि संविधान जलाने,फाड़ने आदि पर देश की नागरिकता तक चली जायेगी तो संविधान फूंकने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध न होंगे लेकिन संविधान में लिखी बातों को लागू करने का आग्रह करने वाला रासुका में जेल चला जायेगा.
खैर जब रामराज्य है तो यह होना ही है.हां दुनिया के ग्लोबलाइजेशन के कारण चन्द्रशेखर रावण के साथ शम्बूक जैसा सलूक नही हुआ,यही गनीमत है.चन्द्रशेखर रावण जी ने जितनी बहादुरी से सारी परिस्थितियों का मुकाबला किया है वह काबिलेतारीफ है.उनकी रिहाई पर दिल प्रसन्न हुआ और उम्मीद है कि पुराने तेवर व जज्बे के साथ रावण का न्याय युद्ध जारी रहेगा.
चंद्रभूषण सिंह यादव
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