BBAU में बाबासाहेब की प्रतिमा के लिए संघर्ष करने वाले छात्र पर हमला

लखनऊ। ​बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ की यह घटना वास्तव में झकझोर देने वाली है क्योंकि विश्वविद्यालय में लगातार अनुसूचित जाति के छात्रों को टारगेट किया जा रहा है. या तो उनको एडमिशन नही होने देते, या तो उनके खिलाफ FIR करवा देते .

28 अप्रैल 2018 की रात्रि 10:30 के लगभग कुछ लोगों ने इतिहास के शोधार्थी बसंत कनौजिया पर हमला किया. जिससे साफ़ जाहिर हो जाता है कि विरोधी लगातार बौखलाए हुए हैं. बसंत के एडमिशन को रोकने के लिए विवि प्रशासन ने पूरा जोर लगा दिया था. जिससे बसन्त कनौजिया ने उच्च न्यायालय में शरण ली थी और विवि प्रशासन ने उच्च न्यायालय की सेकंड बैंच तक मामला लेकर गए थे और विवि प्रशासन ने उ प्र सरकार का सबसे महंगा वकील उक्त छात्र के एडमिशन को रोकने के लिए किया था.

​​बसन्त कुमार कनौजिया विरोधियों के निशाने पर ​इसलिए हैं क्योंकि बंसन्त कनौजिया विवि के अंदर हो रही कई सारी अनियमितताएं, भ्रष्टाचार, sc/st छात्रों के शोषण के खिलाफ लगातार आवाज उठा​ते​​​ र​हे​​​ ​हैं,​ जिसमें अभी हाल में विवि प्रशासन ने बाबासाहेब अम्बेडकर जी की प्रतिमा को ग्रिल या जेल में कैद कर दिया था. 14 अप्रैल को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी का प्रोग्राम था. तब 13 अप्रैल को बंसत ने विवि प्रशासन के सामने छात्रों सहित धरने पर बैठ गया था.

विवि प्रशासन ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए. रातोंरात उस ग्रिल को हटवा दिया था. लेकिन इस धरना धरना प्रदर्शन में विवि प्रशासन ने अपनी नाक का सवाल समझा और आशियाना थाना के एक सब इंस्पेक्टर के माध्यम से बंसन्त को लगातार धमकाया जा रहा था.

अभी कुछ दिन पहले ही छात्रों का आपसी विवाद हो गया था तो उक्त सब इंस्पेक्टर ने पूरे मामले की छानबीन किये बिना बंसन्त कनौजिया को मुख्य आरोपी मानते हुए बंसन्त सहित 8 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. जबकि बंसन्त से उन्होंने कोई जाँच पड़ताल नही की. आग में घी डालने का कार्य विवि प्रशासन ने तुरन्त ही बंसन्त के खिलाफ FiR कर दी.

विवाद करने वाले छात्र आपस के ही थे, लेकिन शक की संभावना से नाकारा नही जा सकता है. क्योंकि एक साल पहले भी विवि के सक्रिय छात्र श्रेयात बौद्ध के ऊपर भी ऐसे कातिलाना हमला हुआ था. जिसमें अपने ही कुछ छात्रों ने मुखबिरी की थी. ​छात्रों का यह भी दर्द है कि ​लेकिन हमारे जितने भी सामाजिक संगठन है वह सिर्फ छात्रों के दिमाग को क्रांति के लिए जगायेंगे लेकिन जब उनके साथ कुछ घटित होता है तो कोई उनका साथ नही देता है.

अपने लोगों पर शक करना जायज है ​क्योंकि​​​ खतरा बाहर के लोगों से नही जितना हमारे खुद के लोगों से है. क्योंकि किसी की प्रसिद्धि और पावर का नियंत्रण अपने लोगों के बीच ही स्वार्थी लोगों को मनमुटाव पैदा कर देता है. जब समाज के लिए दिल से काम करने वाले लोग स्वार्थी इंसानो की पोल खोलता है और उन्हें डाँटता है तो वह फिर अपने लोगों से दुश्मनी मोल ले लेता है.

 बसन्त कुमार कनौजिया, शोधार्थी,                                                                                इतिहास विभाग, बीबीएयू, लखनऊ

 

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