डीडी डेस्क- भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की आज 65वीं पुण्यतिथि है। जिसे पूरा राष्ट्र महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाता है। डॉ आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन जातिवाद को मिटाने, गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित किया। ये उनके द्वारा किए गये कार्य ही है जिनकी वजह से आज गरीब, दलित और पिछड़ा वर्ग, शिक्षा और नौकरी के हकदार बन पाया हैं.
डॉ. भीमराव आंबेडकर एक वकील, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलितों की स्थिति में सुधार के लिए उनके सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया और दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया। उन्होंने मजदूरों और किसानों के हकों की बात की. महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों पर विशेष जोर दिया। आंबेडकर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री, संविधान निर्माता और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कई सालों बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और फिर 14 अक्टूबर, 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। उनके 5 लाख अनुयायियों ने भी उस दिन बौद्ध धर्म अपना लिया था। उनके अनुयायियों का मानना था कि वो अपने गुरु भगवान बुद्ध की तरह ही बेहद प्रभावशाली और सदाचारी थे और अपने कार्यों की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं, इसलिए उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस तौर पर मनाया जाता है।
6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया था, आंबेडकर का अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के नियमों के अनुसार मुंबई की दादर चौपाटी पर किया गया था। उस जगह को सभी चैत्य भूमि के नाम से जानते हैं और आज, आंबेडकर की पुण्यतिथि को मनाने के लिए उनके समर्थक चैत्य भूमि जाते हैं उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि हर साल महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर पूरे भारत से बाबा साहेब, डॉ. भीमराव आंबेडकर के लाखों समर्थक 1 दिसंबर से मुंबई में चैत्यभूमि उनकी समाधि पर एकत्र हो जाते हैं। हर साल लगभग 25 लाख से ज्यादा लोग बाबा साहेब को याद करने, उन्हें नमन करने के लिए यहाँ इकट्ठा होते हैं। ये सभी सर्मथक चैत्यभूमि स्तूप में रखे बाबा साहेब के अस्थि कलश और प्रतिमा को श्रद्धांजलि देते हैं। ये दिन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जोर-शोर से मनाया जाता है।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
