कैलिफोर्निया की अदालत से दलितों के पक्ष में आ सकता है फैसला !

 जातिगत भेदभाव के खिलाफ अमेरिका में अम्बेडकरवादियों की लड़ाई जारी है। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी स्थित संगठन ‘अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर’ (एआईसी) ने 23 मार्च को कैलिफोर्निया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाया है। संगठन की मांग है कि उसे अमेरिका में होने वाले जातिगत भेदभाव के मुद्दे पर एमिकस क्यूरी (अदालत का न्यायिक मित्र) के रूप में शामिल किया जाए।

गौरतलब है कि सिस्को सिस्टम्स नामक कंपनी में एक दलित इंजीनियर के खिलाफ सवर्ण इंजीनियरों एवं अधिकारियों द्वारा कथित जातिगत भेदभाव का मामला हुआ था जो अभी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है। यह अमेरिका में अपनी किस्म का एक महत्वपूर्ण मामला है। अगर इस मामले में दलितों के पक्ष में फैसला आता है तो अमेरिका में जातिगत भेदभाव को भी नस्लवादी भेदभाव की तरह मानवाधिकार हनन के मामलों से जोड़ा जा सकेगा। अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर (एआईसी) अमेरिका में बसे भारतीय दलितों एवं पिछड़ों के लिए आवाज उठाने वाला एक संगठन है।

अमेरिका में सवर्ण समाज के ही नहीं बल्कि दलित समाज के भारतीय भी बड़ी संख्या में बसे हैं और उनके खिलाफ भारतीय सवर्णों द्वारा भेदभाव के कई मामले सामने आते रहे हैं। ऐसी स्थिति में चूंकि जातिगत भेदभाव को नस्लवाद (रेसिज़्म) की तरह मानवाधिकार हनन के एक कारण के रूप में अभी तक नहीं देखा गया है। हालांकि भारतीय दलित बुद्धिजीवी एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता मांग करते रहे हैं कि जातिगत भेदभाव को भी नस्लवाद की तरह देखा जाना चाहिए। इस सिलसिले में अगर कैलिफोर्निया की अदालत से दलितों के पक्ष में फैसला आता है तो अमेरिका में एवं उसके बाद यूरोप में जाति को भी नस्ल की तरह देखने के लिए वातावरण बनाने की संभावना बढ़ जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.