राबड़ी देवी का अपमान करने वाले आजतक के पत्रकार को बहुजनों ने धो डाला

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा तूफान मचा है, जिसमें बहुजन समाज के तमाम नेताओं से लेकर आम लोगों ने एक बड़बोले पत्रकार को उसकी औकात दिखा दी है. पत्रकार का नाम निशांत चतुर्वेदी है और वो आजतक चैनल में एडिटर के पद पर नौकरी करता है.

मामला एक मई को शुरू हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिहार के मुजफ्फरपुर दौरे के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक ट्विट किया.

राबड़ी देवी ने मोदी पर चुटकी लेते हुए लिखा-

मोदी कल लीची के शहर मुज़फ़्फ़रपुर आए थे लोगों ने उनके आम खाने के तरीक़े के बाद पूछा कि लीची कैसे खाते है?

काटकर, चूसकर या वाश-बेसिन पर खड़ा होकर? पीएम ने जवाब ही नहीं दिया क्योंकि पूछने वाला कोई हीरो-हिरोइन नहीं था? जवाब नहीं सूझा क्योंकि सवाल पूर्व निर्धारित और नियोजित नहीं था.

राबड़ी देवी के इसी ट्विट को अगले ही दिन दो मई को रि-ट्विट करते हुए आजतक के पत्रकार निशांत चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री का मजाक उड़ाते हुए लिखा-

अच्छा जी राबड़ी देवी जी भी ट्वीट करती है 

कोई इनसे बोले कि ये बस तीन बार ट्विटर बोलकर बता दें 

बस फिर क्या था, हंगामा शुरू हो गया. बहुजन समाज के लोगों ने इसे स्त्री विरोधी और जातीय दंभ से भरी टिप्पणी ठहराते हुए सोशल मीडिया पर निशांत चतुर्वेदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ट्विटर से लेकर फेसबुक पर लोग निशांत चतुर्वेदी को टैग कर उसे लानत भेजने लगे.

राबड़ी देवी ने खुद निशांत चतुर्वेदी पर पलटवार करते हुए ट्विट किया-

बेटा तेरे जैसे पतलकारों को बहुत पसीना पोंछवाया है. वोट की ताक़त से लोकतांत्रिक तरीक़े से 8 साल देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे (बिहार-झारखंड) की मुख्यमंत्री रही हूँ.

तो तेजस्वी यादव इस मामले को बढ़ाते हुए इंडिया टूडे के मालिक अरुण पुरी और आजतक के प्रमुख संपादक सुप्रिय प्रसाद तक ले गए. तेजस्वी ने पत्रकार के इस कमेंट को एक महिला पर की गई जातिवादी टिप्पणी के लिए अरुण पुरी और सुप्रिय प्रसाद से सवाल पूछ लिया और पत्रकार द्वारा मांफी की मांग की.

Dear @aroonpurie ji, Do you really endorse the classist, racist, xenophobe and casteist remark by your editor? Don’t you think he must apologise for it?

@supriyapd Do you really have such unfairly prejudiced people working in your organisation @aajtak ?

बात जब आगे बढ़ी तो बहुजन समाज के लोग निशांत चतुर्वेदी के पुराने ट्विट को भी खंगालने लगे और इसी साल 8 जनवरी को आरक्षण से संबंधित पोस्ट को ढूंढ़ लाएं जिसमें निशांत चतुर्वेदी ने लिखा था-

दुनिया का भारत शायद इकलौता देश होगा जहां कुछ खास लोग आरक्षण को लेकर इतने उत्साहित हो रहे हैं. आपमें से कितने लोग आरक्षण के कोटे से पास हुए डॉक्टरों से इलाज कराने की हिम्मत रखते हैं.

तो इसी बीच एक आपत्तिजनक पोस्ट बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ भी मिला, जिसे तेजस्वी यादव और पत्रकार दिलीप मंडल ने रि-ट्विट कर दिया. जिस पर पहले से ही खार खाए बैठे दलित-बहुजन युवाओं ने सोशल मीडिया पर निशांत चतुर्वेदी पर हमला बोल दिया.

इस पूरे मामले को कई बार रि-ट्विट करने वाले पत्रकार दिलीप मंडल ने तो निशांत चतुर्वेदी को चुनौती दे डाली. दिलीप मंडल ने लिखा-

मैं उसी इंडिया टुडे ग्रुप में मैनेजिंग एडिटर यानी टॉप लीडरशिप पोजिशन में रहा, जहाँ निशांत चतुर्वेदी आज मीडियम लेबल पर नौकरी करता है… मैं निशांत चतुर्वेदी को खुली चुनौती देता हूँ कि पाँच लोगों की ज्यूरी के सामने लाइव होकर एक पेज हिन्दी या इंग्लिश बिना ग़लती किए लिख दे तो मैं उसे एक लाख रुपए का पुरस्कार दूँगा.

बहुत देखी है सवर्णों की मेरिट!

निशांत पर हमला बोलते हुए दिलीप मंडल ने आगे लिखा है-

ये मेरे अंडर काम कर चुका है. जानता हूँ उसकी मेरिट. एक लाख रुपए दाँव पर यूँ ही नहीं लगा दिए मैंने. सवर्णों की मेरिट है उनके आपसी कनेक्शन और जाति से मिला आत्मविश्वास.

राबड़ी देवी पर ट्विट कर फंसे निशांत चतुर्वेदी को आखिरकार मामले में खुद को घिरता देख तेजस्वी यादव को ट्विट कर खेद जताना पड़ा तो वहीं मायावती पर आपत्तिजनक ट्विट को डिलीट करना पड़ा.

इस पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा-

आज तक चैनल के संपादक निशांत चतुर्वेदी ने बहन मायावती के खिलाफ जातिवादी नफ़रत से लिखी गई अश्लील ट्विट डिलीट की. सोशल मीडिया अब सवर्ण मर्दों की बपौती नहीं है कि जो मन में आया उल्टी करके चले गए.

सही भी है, जातिवादी और महिलाओं को निम्न दृष्टि से देखने वाले पत्रकार के एक ट्विट को बहुजन समाज ने जिस तरह से मुद्दा बना डाला और उसे मांफी मांगने पर मजबूर कर दिया, उसने यह साबित कर दिया है कि बहुजन समाज अब अपने अपमान को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं.

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