मेरी ओ.पी. सिंह जी से बात हुई। ओ.पी. सिंह सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षा के टॉपर तुषार कुमार सिंह के पिता हैं। बुलंदशहर के साथी वीरेन्द्र सिंह के जरिए ओ.पी. सिंह से बात हो सकी। पिता उत्साहित थे। मौका खुशी का था भी। किसी का बच्चा जब टॉपर बन जाए तो कोई भी खुश होगा।
अक्सर रिजर्वेशन और कम योग्यता का ताना सुनने वाले अम्बेडकरी समाज के तुषार की यह सफलता संभवतः मेरिट पर अपना एकाधिकार समझने वाले लोगों की आंखें खोले और वह इस बात को मानने लगें कि बात योग्यता से अधिक मौके की होती है। तुषार कुमार सिंह ने सीबीएसई (CBSE) बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में सौ प्रतिशत अंक हासिल कर टॉप किया है। तुषार ने 500 में से 500 अंक हासिल किए हैं। तुषार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। उनके माता पिता दोनों प्रोफेसर हैं। पूरा परिवार अम्बेडकरवादी है।
तुषार ने दो साल पहले 10वीं की परीक्षा में भी 97 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। तुषार दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए कोर्स में दाखिला लेकर सिविल सेवा की तैयारी करना चाहते हैं। तुषार की इस सफलता से अम्बेडकरी समाज में खासा उत्साह है। लोग तुषार के घर पर पहुंच रहे हैं और उन्हें बधाई दे रहे हैं। तुषार के पिता डॉक्टर ओपी सिंह, खुर्जा के एनआरईसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं जबकि मां किरण भारती इंटर कॉलेज में लेक्चरर हैं।
तुषार एक आम युवा नहीं हैं। तुषार उस वर्ग में पैदा हुए हैं, जिसे सदियों से जलालत झेलनी पड़ी है। जिसके हर व्यक्ति को तमाम योग्यता के बावजूद आरक्षण वाला कह कर ताना मारा जाता है। हालांकि सीबीएसई की परीक्षा में आरक्षण नहीं होता जहां तुषार ने टॉप किया है। इस नाते संभव है कि तुषार को ऐसे ताने न सुनने पड़े। हो सकता है कि इसके बावजूद भी सुनना पड़े क्योंकि तुषार हर जगह मार्टशीट की तख्ती लटकाए नहीं घूम सकते। तुषार को यह बातें समझनी होगी।
तुषार का दाखिला अब ग्रेजुएशन में होगा। वह युवावस्था की तरफ बढ़ चले हैं। तुषार के अंदर जो प्रतिभा है, वह ठान लें तो किसी भी क्षेत्र में सफल होने का माद्दा रखते हैं। वह सिविल सर्विस में जाना चाहते हैं तो अच्छी बात है, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि वह जिस समाज से ताल्लुक रखते हैं, उसका जब कोई प्रतिभाशाली युवा सामने आता है तो पूरा समाज उसकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता है। इस नाते वह अपने हर सपने में उस समाज के हित को भी साथ लेकर चलें जो समाज की धारा में बहुत पीछे छूटा हुआ है।
मैं तुषार पर विचारधारा का बोझ नहीं डालना चाहता, लेकिन यह बेहतर होगा कि वह बहुजन महापुरुषों के मोटे-मोटे विचारों को समझें। उनके सपनों को समझे। वह अपने समाज से क्या उम्मीद रखते थे, इसको समझें। और इसे समझाने की जिम्मेदारी निस्संदेह तुषार के माता-पिता की है। ताकि तुषार की प्रतिभा का सही दिशा में उपयोग हो सके। और तुषार अपने भारत देश और भारत देश के आखिरी कतार में खड़े लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकें।
तुषार को मिली सफलता उनको मिले मौके की वजह से भी थी। तुषार को डीपीएस जैसे बेहतर स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। तुषार के माता-पिता दोनों शिक्षक हैं, इससे भी उन्हें मदद मिली होगी। तुषार अपने जीवन में जो भी करें, उन्हें इस ओर सोचना चाहिए कि वह किस तरह उन लोगों के लिए मौके पैदा कर सकते हैं जिन्हें अभी तक मौका नहीं मिल सका है। बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने अपने ज्ञान का इस्तेमाल देश के गरीब और मौके से वंचित रहने वाले लोगों को अधिकार दिलाने के लिए किया और अमर हो गए। डॉ. आंबेडकर देश के हर छात्र का आदर्श होने चाहिए।
तुषार को उज्जवल भविष्य की मंगलकामनाएं। उनके माता-पिता को बधाई।
- सस्नेह- अशोक दास
(संपादक, दलित दस्तक)

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।