जोहानिसबर्ग| जोहानिसबर्ग में आयोजित 2017 कॉमनवेल्थ रैसलिंग चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन सराहनीय रहा. इसमें कुल 60 में से 59 मैडल भारत के हिस्से में आए और जो एक भारत के हाथ से निकल गया उसकी वजह भी एक भारतीय पहलवान का बुरी तरह चोटिल होना बताया जा रहा है. भारतीय पहलवानों के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की पूरे विश्व में ज़ोरदार प्रशंसा हो रही है. लेकिन इस शानदार जीत के पीछे जो तथ्य सामने आए हैं, वह चौकाने वाले हैं, आइए आपको बताते हैं वह क्या कारण रहे, जिन्होने भारत की इस ऐतिहासिक सफसता में अहम भूमिका निभाई.
1. सीघे मिली फाइनल में एंट्री – हर वर्ग में 2-2 पहलवान उतारने के नियम का पालन करने के बावजूद भी महिला वर्ग के कई मुकाबलों में केवल भारतीय महिला पहलवान ही आमने सामने थीं, जिसमें 65 किग्रा वर्ग में सीधे फाईनल मुकाबला हुआ. इसमें ऋतु मलिक ने गार्गी यादव को हराकर गोल्ड मेडल जीता.
2. ज्यादातर पहलवान भारत के – चैंपियनशिप के दौरान ज़्यादातर मुकाबलों में 3 ही दावेदार थे, जिनमें से भी 2 भारत के ही थे. ऐसे में कोई एक मैडल मिलना तो पहले से ही तय हो जाता है.
3. दूसरे देशों की रुचि रही कम- अन्य अंतराष्ट्रीय चैंपियनशिप्स के मुकाबले यह टूर्नमेंट बहुत बड़ा नहीं था. इसमें केवल भारत, पाकिस्तान एवं साउथ अफ्रीका के पहलवानों ने ही हिस्सा लिया था.
हालांकि इससे भारत के प्रदर्शन पर कोई सवाल नहीं उठता है. भारत के पहलवान पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अपने शानदार प्रदर्शन का प्रमाण दे चुके हैं. इसपर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट बृजभूषण शरण सिंह ने भारतीय पहलवानों की सराहना करते हुए कहा है कि ‘अगर कोई टीम नहीं आई तो इसका मतलब यह नहीं कि हम भी अपनी टीम नहीं भेजते। अगर सभी देश आते तब भी हमारे पहलवान इसी तरह मेडल जीतते.
पीयूष शर्मा

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