चुनावों पर करीब से नजर रखने वाली संस्था सीएसडीएस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का फार्मूला दिया है। सीएसडीएस का दावा है कि अगर इस फार्मूले पर काम किया जाए तो अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को आसानी से सत्ता से बाहर किया जा सकता है।
दरअसल सीएसडीएस ने 2024 चुनावों को लेकर जो सर्वे किया है, उसके मुताबिक अगर भाजपा को छोड़कर सारा विपक्ष साथ मिलकर चुनाव लड़े तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को दुबारा सत्ता में आने से आसानी से रोका जा सकता है। सर्वे करने वाली संस्था का कहना है कि ऐसा होने पर विपक्ष को आसानी से बहुमत मिल जाएगा। दरअसल सीएसडीएस के इस दावे के पीछे पिछले चुनावों में तमाम दलों को मिली सीटें और वोट प्रतिशत है।
अपनी रिपोर्ट में सीएसडीएस ने दावा किया है कि अगर सभी पार्टियां भाजपा के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ती है तो भाजपा 235-240 सीटों पर सिमट सकती है। 2019 में भाजपा को मिली सीटों में सहयोगी दलों का भी बड़ा हाथ था। आंकड़े बताते हैं कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले एक फीसदी वोट भी कम मिलते हैं तो भाजपा 225-230 सीटों पर सिमट जाएगी, जबकि विपक्ष 310-325 सीटों तक पहुंच जाएगा।
ऐसे ही अगर भाजपा 2024 के चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले अगर दो प्रतिशत वोट कम पाती है तो उसके सीटों की संख्या 210-215 तक पहुंच जाएगा। इस पड़ताल में एक और दिलचस्प बात सामने आई है, जिसने भाजपा की नींद उड़ा दी है। रिपोर्ट कहती है कि अगर विपक्ष का पांच प्रतिशत वोट किसी भी दूसरी पार्टी को चला जाए तो भाजपा 242-247 सीटों तक ही पहुंच पाएगी। जबकि विपक्ष को 290-295 सीटें मिल जाएगी।
यानी साफ है कि 2024 के चुनाव में भाजपा को हराया जा सकता है। लेकिन तब, जब विपक्षी दल ऐसा चाहें। क्योंकि विपक्षी दलों की आपसी खिंचतान ही अभी भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। भाजपा ने भी अपने खेमे में तमाम विपक्षी दलों को साध रखा है, जिसका उसे फायदा मिल रहा है। सहयोगी दलों को अपने साथ रखने के लिए भाजपा जहां कोई मौका नहीं चूकती है, वहीं भाजपा को हराने का दावा करने वाले विपक्षी दल आपसी मनमुटाव से आगे नहीं बढ़ पाते।
इस रिपोर्ट के आने के बाद यह देखना है कि क्या विपक्ष सचमुच में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को रोकने के लिए साथ आएंगे, या फिर महज मोदी और भाजपा के खिलाफ बातें कर के अपने वोट बैंक को बचाने की कवायद में जुटे रहेंगे और एक बार फिर से आपसी झगड़े और इगो में भाजपा को जीत जाने देगा।

वीरेन्द्र कुमार साल 2000 से पत्रकारिता में हैं। दलित दस्तक में उप संपादक हैं। उनकी रुचि शिक्षा, राजनीति और खेल जैसे विषय हैं। कैमरे में भी वीरेन्द्र की समान रुचि है और कई बार वीडियो जर्नलिस्ट के तौर पर भी सक्रिय रहते हैं।

