नई दिल्ली। बिहार की राजधानी पटना से करीब 200 किलोमीटर दूर 18 सितंबर को महादलित परिवार के तकरीबन 150 घर जलकर खाक हो गए. घटना पटना से सटे बख्तियारपुर के रूपस महाजी गांव की है. घटना शाम 7 बजे के करीब एक गैस सिलेंडर के फट जाने से घटी. अचानक हुए इस हादसे से पूरी बस्ती आग की चपेट में आ गई. सभी मकानों के कच्चे होने और आपस में सटे होने के कारण एक-एक कर सभी मकान आग की चपेट में आ गए.
सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि आग ने घरों के साथ मवेशियों को भी अपनी चपेट में ले लिया, जिससे इन परिवारों का सब कुछ जलकर खाक हो गया. घटना के बाद कई बार हुई बारिश ने पीड़ित परिवारों की मुसीबत को औऱ बढ़ा दिया. घटना के एक हफ्ते बाद भी प्रशासन पीड़ित परिवारों को उचित राहत सामग्री मुहैया नहीं करवा पाया है और न ही उनके रहने का ही कोई इंतजाम किया गया है.
इस बड़ी घटना के बाद प्रशासन का रवैया हैरान करने वाला है. राहत के नाम पर सरकार की ओर से अब तक महज 3000 रुपये और एक पॉलीथिन दिया गया है, और वह भी महज 40 लोगों को. हालांकि भीम सेना नाम के संगठन के युवाओं ने पीड़ित परिवारों की मदद को हाथ बढ़ाया है. संगठन की ओर से विमल प्रकाश, धर्मवीर धर्मा सहित तमाम कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पर दो दिन तक कैंप कर के पीड़ितों की मदद की और राहत सामग्री का वितरण किया.
इस पूरी घटना में दुखद पहलू यह है कि 100 से ज्यादा पीड़ितों को अब तक प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल सकी है. वो लगातार मदद आस लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकार ने घटना के बाद एक चौथाई लोगों को फौरी मदद पहुंचा कर चुप्पी साध ली है. यह इसलिए भी हैरान करने वाली है, क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ताल्लुक भी उसी बख्तियारपुर से है, जहां की यह घटना है.
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