कोविड-19 यानि कोरोना को मिटाने का दावा करने वाले बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल पर राजस्थान सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने तो रामदेव को चेतावनी दी है कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी।
इन राज्यों ने कहा है कि केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोविड-19 महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधी का विक्रय नहीं किया जा सकता। तो वहीं उत्तराखंड के आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने रामदेव को उनकी नई दवा कोरोनिल के लिए नोटिस जारी किया है। यह नोटिस दवा के संबंध में ग़लत जानकारी देने के लिए जारी किया गया है।
दरअसल बाबारामदेव और पतंजलि ने अपनी दवा को बेचने और मुनाफा कमाने के लिए अपने उपभोक्ताओं से लेकर सरकार तक से झूठ बोला। आइए एक नजर डालते हैं रामदेव और पतंजलि के 10 बड़े झूठ पर।
झूठ नंबर-1
बाबारामदेव और पतंजलि ने सबसे बड़ा झूठ आयुष मंत्रालय से बोला है। आयुष के संयुक्त निदेशक डॉ वाईएस रावत ने कहा कि हमने कोरोना की दवा के लिए कोई लाइसेंस ही जारी नहीं किया। दरअसल दिव्य फार्मेसी ने इम्युनिटी बूस्टर के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था और कोरोना की दवा बना दी।
झूठ नंबर-2
रामदेव और पतंजलि ने न सिर्फ बिना सरकारी मंजूरी के दवा को लोगों के सामने पेश कर दिया। और बड़े-बड़े दावे कर दिए। जबकि इस तरह का प्रचार करना कि पतंजलि की दवाई से कोरोना का 100 प्रतिशत इलाज होता है, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 का उल्लंघन है।
झूठ नंबर-3
पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से मंत्रालय को बताया गया कि ये क्लीनिकल ट्रायल जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर (निम्स) में किया गया था, लेकिन राजस्थान के स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने खुद पतंजलि के इस दावे पर सवाल उठा दिया। निम्स ने भी पतंजलि के दावे को गलत बताया।
झूठ नंबर-4
सामान्य परिस्थितियों में किसी दवा को विकसित करने और उसका क्लिनिकल ट्रायल पूरा होने में कम से कम तीन साल तक का समय लगता है लेकिन अगर स्थिति अपातकालीन हो तो भी तमाम जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा कर किसी दवा को बाज़ार में आने में कम से कम दस महीने से सालभर तक का समय लग जाता है। लेकिन पतंजलि ने अचानक से एक गंभीर बीमारी की दवा को लांच कर दिया। यह आश्चर्यजनक था।
झूठ नंबर-5
पहले बाबा रामदेव कह रहे थे कि नाक में सरसों का तेल डालने से कोरोना मर जाएगा। अब कह रहे हैं कि कोरोनिल आने से कोरोना मर जाएगा। अगर सरसों का तेल कोरोना मार दे रहा था तो कोरोनिल खोजने की जरूरत क्यों पड़ी। यानी की सरसों तेल से कोरोना खत्म होने की बात झूठी थी।
झूठ नंबर-6
पहले रामदेव कहते थे कि वे कई असाध्य रोगों का इलाज योग से कर सकते हैं, दवा की जरूरत नहीं है। वो प्राणायाम से आजीवन स्वस्थ रहने की बात कहते थे, फिर खुद ही दवा भी बेचने लगे। लेकिन खुद बीमार होने पर रामदेव अस्पताल में भर्ती हुए, न उनकी अपनी दवाएं काम आईं, न योग।
झूठ नंबर-7
पहले बाबारामदेव चैनलों पर बताते थे कि मैगी, पास्ता आदि खाने के परिणाम बेहद गंभीर होते हैं, फिर बाबा खुद मैगी से लेकर मसाला तक सब बेचने लगे। इसका मतलब यह हुआ कि मैगी और पास्ता के बारे में गलत प्रचार कर रहे थे। यानी की झूठ बोल रहे थे।
झूठ नंबर-8
बाबारामदेव ने एड्स का इलाज करने का दावा किया, ऐसी दवा बनाने का दावा किया जिससे महिलाएं सिर्फ पुत्र को जन्म दे सकती हैं। कैंसर के इलाज का भी दावा किया, लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसकी निंदा की। केंद्र सरकार ने उन्हें नोटिस थमाया। यानी कि रामदेव कई मौकों पर अपने मुनाफे के लिए झूठ बोलते रहे हैं।
झूठ नंबर-9
आयुष मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार पतंजलि को आईसीएमआर और राजस्थान सरकार से किसी भी कोरोना की आयुर्वेद दवा की ट्रायल के लिए परमिशन लेनी चाहिए थी, मगर बिना परमिशन के और बिना किसी मापदंड के ट्रायल का झूठा दावा किया गया।
झूठ नंबर-10
बाबारामदेव ने सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगियों के रिकवरी का दावा भी किया। एक ऐसी बीमारी जिसको लेकर जनता के मन में भारी डर बैठा हुआ है, उसके बारे में भ्रामक जानकारी देना उपभोक्ताओं यानि देश की जनता के साथ एक भद्दा मजाक और बड़ा झूठ है।
इस घटनाक्रम में आयुष मंत्रालय द्वारा दिव्य फार्मेसी को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मंत्रालय का कहना है कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है। तो दूसरी ओर आचार्य बालकृष्ण की ओर से आयुष मंत्रालय को कुछ कागजात भेजने की खबरें भी आ रही हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पतंजलि पर 420 यानी धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए। या फिर रामदेव और पतंजलि पहले की ही तरह सरकारी शह पर इस बार भी बच कर निकलने में कामयाब हो जाएंगे।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।