Monday, June 9, 2025
HomeTop Newsदलित उत्पीड़न पर संसद में आए चौंकाने वाले आंकड़े

दलित उत्पीड़न पर संसद में आए चौंकाने वाले आंकड़े

 हाल ही में दलितों पर अत्याचार को लेकर जारी आंकड़े ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस हो या भाजपा, एससी-एसटी पर अत्याचार के मामले में दोनों की सरकारें एक जैसी है। न तो कांग्रेस, न ही भाजपा दलितों पर अत्याचार को रोकने में सफल हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दलितों पर अत्याचार के मामले सबसे ज्यादा यूपी, बिहार और राजस्‍थान में हुए हैं। यूपी में भाजपा, बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन जबकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। संसद में यह जानकारी बसपा सांसद दानिश अली ने मांगी थी, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।

 भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी। केंद्र ने कहा कि 2018 से 2020 के बीच दलितों के खिलाफ अपराध के तकरीबन डेढ़ लाख मामले दर्ज हुए। गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक बीते तीन सालों के दौरान सबसे ज्‍यादा 36,467 केस योगी आदित्यनाथ के शासनवाले उत्‍तर प्रदेश में दर्ज हुए। इसके बाद 20,973 मामले बिहार में, 18,418 मामले राजस्थान में और 16,952 मामले मध्‍य प्रदेश  में दर्ज हुए हैं। गृह मंत्रालय ने जो आंकड़ा दिया है, उसमें साफ दिख रहा है कि दलितों पर अत्याचार के मामले साल दर साल बढ़े हैं। और इसमें भाजपा से लेकर काग्रेस शासित राज्य भी शामिल हैं। पिछले तीन सालों की बात करें तो साल 2018 में दलितों पर अत्याचार के 42,793 मामले दर्ज हुए थे, जो कि 2019 में बढ़कर 45,961 हो गए। बीते साल 2020 में एससी-एसटी एक्ट के तहत 53,886 मामले दर्ज किये गए हैं।

 अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने इस संबंध में सवाल पूछा था, जिसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से यह आंकड़ा जारी किया गया।

 हालांकि दलितों से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाले कुछ दलित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि मामले इससे ज्यादा हैं, क्योंकि सभी जानते हैं कि कई मामलों दर्ज ही नहीं किये जाते। अब यहां बड़ा सवाल यह है कि जब देश बढ़ रहा है तो देश के लोगों के भीतर से जाति का जहर कम क्यों नहीं हो रहा?

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content