भोपाल। नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों के पुनर्वास का सोमवार को आखिरी दिन था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाकर 8 अगस्त कर दिया है. उधर प्रभावितों ने सुबह नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं के साथ खंडवा-बड़ौदा हाईवे पर चक्काजाम कर सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए. इसके पहले कारंजा चौक पर कफन सत्याग्रह किया गया. इसमें 10 महिला-पुरुषों को सड़क पर लेटाकर सफेद चादर (कफन) ओढ़ाई गई. वहीं कुछ लोग अभी भी पानी में डूबकर जल सत्याग्रह कर रहे हैं.
चिखल्दा में नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख मेधा पाटकर उपवास पर बैठी हैं तो कुछ लोग अपना सामान समेट रहे हैं. गांव के गजानंद सेन नर्मदा नगर में विस्थापन की तैयारी करने में लगे दिखे. वे बेटियों के साथ सामान शिफ्ट करने के लिए लोडिंग वाहन में सामान रखवा रहे थे. उन्होंने बताया नर्मदा नगर में किराए पर मकान लिया है, ताकि डूब आने से पहले परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा सके. उधर, डूब प्रभावित सरकारी मदद की बजाय खुद विकल्प तलाशने में लगे हैं. 400 परिवारों ने स्वयं पुनर्वास की व्यवस्था करने का वचन पत्र दिया है.
डूब प्रभावितों का कहना है सरकार ने बसाहट केंद्र बना दिए, लेकिन बिजली, पानी, सड़क, नाली जैसी कोई सुविधाएं ही नहीं. प्राइवेट कॉलोनियों में सुविधाएं न देने पर कंस्ट्रक्शन एजेंसियों पर कानूनी दबाव बनाया जा रहा है. यह नियम सरकार खुद पर लागू क्यों नहीं कर रही है.

शिकायत निवारण प्राधिकरण में 2000 से 2017 तक 25 हजार से ज्यादा मामलों में बसाहटों पर परेशानियों के मामले हैं. 4 हजार से ज्यादा बसाहटों पर समस्याओं से जुड़े मामले भी हैं. बड़वानी जिले में प्रशासन का दावा है कि 38 पुनर्वास स्थलों पर 700 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. 2392 से ज्यादा परिवार हटने को तैयार नहीं.
उधर, राजघाट स्थित नर्मदा में 24 घंटे में आधा मीटर जल स्तर बढ़ा है. रविवार शाम 6 बजे 120.550 मीटर तक जलस्तर पहुंच गया. शनिवार शाम को 120.000 मीटर जल स्तर दर्ज किया गया था. एक सप्ताह में करीब 3 तीन मीटर पानी बढ़ा है. खतरे का निशान 123.280 मीटर पर है. खलघाट में जलस्तर 128.900 मीटर है.

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