तकरीबन नौ महीने तक खाली रहने के बाद आखिरकार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को नया अध्यक्ष मिल गया है। केंद्र सरकार में पूर्व राज्यमंत्री विजय सांपला को आयोग का नया चेयरमैन चुना गया है। राष्ट्रपति ने 16 फरवरी को विजय सांपला को नियुक्ति का पत्र दिया, जिसके बाद सांपला ने 24 फरवरी 2021 को एससी-एसटी कमीशन के चेयरमैन का पद संभाला है। उन्होंने रमाशंकर कठेरिया की जगह ली है, जिनका कार्यकाल 9 नवंबर 2014 से 24 May 2019 तक था। सांपला ने 22 फरवरी को सबका धन्यवाद करते हुए ट्विटर पर इसकी जानकारी साझा की।
साल 1998 में भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 2014 में उन्होंने होशियारपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजय हुआ। विजय सांपला 2014-2019 तक होशियारपुर से सांसद रहे हैं। 2014-2019 तक मोदी सरकार में सोशल जस्टिस स्टेट मंत्री रहे हैं। लेकिन सांपला के राजनीतिक करियर पर उस समय विराम लग गया था, जब 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी टिकट काटकर सोम प्रकाश को दे दिया गया था। वह अब केंद्र में मंत्री हैं। लोकसभा चुनावों में टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने न पार्टी छोड़ी और न ही किसी और दल से चुनाव लड़ा। विजय सांपला ने पार्टी और मैदान में अपना संघर्ष जारी रखा। सांपला को इसका फायदा नई जिम्मेदारी के रूप में मिला है।
विजय सांपला की नियुक्ति के साथ ही यह भी माना जा रहा है कि भाजपा ने 2022 में पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए अपना तुरुप का पत्ता भी चल दिया है। तो वहीं राष्ट्रीय राजनीति में विजय सांपला के कद को बढ़ाकर यह साफ कर दिया है कि भाजपा उनको लेकर कुछ बड़ा करने की योजना बना रही है।
।। ਸੇਵਕ ਕੋ ਸੇਵਾ ਬਨ ਆਈ ।।
आप सब के आशीर्वाद एवं प्रेम से मुझे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया है।
मेरे मनोयन के लिए राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी एवं प्रधानमंत्री Narendra Modi जी का हार्दिक आभार। pic.twitter.com/D8ivStqLvO— Vijay Sampla (@vijaysamplabjp) February 22, 2021
विजय सांपला को राष्ट्रीय चेयरमैन की कुर्सी देकर भाजपा की ओर से पंजाब की 34 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालने की पूरी रणनीति तैयार की गई है। पंजाब में 2022 में भाजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। राज्य में पार्टी पहले ही दलित वोट बैंक को लेकर काफी गंभीर रही है। पंजाब में 117 में से 34 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, जिसमें से अभी तक भाजपा पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ती रही है। बाकी सीटों पर शिरोमणि अकाली दल ने अपना कब्जा रखा था। भाजपा इसे अपने खेमे में लाना चाहती है। तो वहीं कृषि कानून पास होने से पंजाब का ग्रामीण वोटर केंद्र सरकार से नाराज चल रहा है। उन्हें भी भाजपा विजय सांपला के जरिए साधना चाहती है, क्योंकि उनमें ज्यादातर दलित समाज से हैं।
6 जुलाई 1961 को पंजाब के जालंधर में जन्में विजय सांपला का जीवन संघर्षों में बीता है। एक वक्त में उन्होंंने सउदी में पलंबर का काम भी किया था। लेकिन आगे बढ़ने की चाह उन्होंने कभी नहीं छोड़ी न हालात से समझौता किया और आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।
Hi