
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने आदिवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार को ₹72 करोड़ से अधिक का वित्तीय प्रस्ताव भेजा है। यह प्रस्ताव वर्ष 2025–26 के लिए तैयार किया गया है, जिसमें राज्य के छह आदिवासी बहुल जिलों में शिक्षा, आवास, भूमि अधिकार और छात्र कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए सहायता मांगी गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव में ट्राइबल पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, आदिवासी छात्रों के लिए छात्रावासों का निर्माण, शैक्षणिक सुविधाओं का विस्तार और भूमि अधिकारों के क्रियान्वयन को प्राथमिकता दी गई है। सरकार का कहना है कि इन योजनाओं से आदिवासी छात्रों की शिक्षा में निरंतरता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा।
पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 1.5 लाख से अधिक आदिवासी छात्रों को पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का लाभ दिया जा चुका है। इसके अलावा राज्य में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) संचालित हैं और कई विद्यालय निर्माणाधीन भी हैं, जिनका उद्देश्य आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराना है। भूमि अधिकार के क्षेत्र में भी सरकार ने प्रगति का दावा किया है। वनाधिकार अधिनियम के तहत अब तक 23,430 से अधिक अधिकार दावों को मान्यता दी गई है और संबंधित परिवारों को भूमि के प्रमाण पत्र सौंपे गए हैं। सरकार का मानना है कि इससे आदिवासी समुदाय की आजीविका और सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
राज्य सरकार के अनुसार, यह प्रस्ताव केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद जमीन पर उतारा जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि आदिवासी विकास से जुड़ी योजनाओं को केवल कागजों तक सीमित न रखकर जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया जाएगा। आदिवासी समाज से जुड़े संगठनों का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव पूरी तरह मंजूर होकर सही तरीके से लागू होता है, तो यह उत्तर प्रदेश में आदिवासी शिक्षा, भूमि अधिकार और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

वीरेन्द्र कुमार साल 2000 से पत्रकारिता में हैं। दलित दस्तक में उप संपादक हैं। उनकी रुचि शिक्षा, राजनीति और खेल जैसे विषय हैं। कैमरे में भी वीरेन्द्र की समान रुचि है और कई बार वीडियो जर्नलिस्ट के तौर पर भी सक्रिय रहते हैं।

