लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) समुदाय से आने वाले युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के क्षेत्र में सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सरकार ने कुल 70 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है, जिसका लाभ सीधे तौर पर वंचित तबकों के युवाओं को मिलेगा। 8 जुलाई 2025 को इस बारे में खबर सामने आई है।
यह पूरी योजना उत्तर प्रदेश स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (UPSRLM) के तहत लागू की जा रही है और इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में बसे SC/ST युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है। इस योजना के ज़रिए उन्हें न केवल वित्तीय सहायता मिलेगी, बल्कि व्यावसायिक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और ज़रूरी संसाधनों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह पहल सीधे राज्य ग्राम विकास विभाग (Rural Development Department) के अंतर्गत आती है।
केंद्र-राज्य की साझेदारी में योजना को मिली मंज़ूरी
योजना के लिए कुल 70 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता में केंद्र सरकार का हिस्सा 60 प्रतिशत जबकि राज्य सरकार का हिस्सा 40 प्रतिशत होगा। कुल 70 करोड़ रुपये में से 47.64 करोड़ केंद्र सरकार और 31.73 करोड़ राज्य सरकार जारी करेगी। इस तरह यह योजना केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। UPSRLM के अंतर्गत आने वाली यह योजना विशेष रूप से उन युवाओं को लक्षित कर रही है जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं और जिन्हें कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी और तकनीकी मदद की आवश्यकता है।
क्या मिलेगा इस योजना के अंतर्गत?
इस योजना के तहत लाभार्थी युवाओं को सूक्ष्म उद्यम (micro enterprises) शुरू करने के लिए ज़रूरी सहायता मिलेगी। इसके लिए पहले उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, फिर उनके प्रस्तावित व्यवसाय के आधार पर उन्हें प्रारंभिक पूंजी दी जाएगी। यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ लागू की जाएगी और जिला स्तरीय समितियां इस पर निगरानी रखेंगी।
इस योजना के ज़रिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की संभावनाओं को मजबूत करना चाहती है ताकि वंचित समुदायों के लोग केवल रोज़गार की तलाश में पलायन न करें, बल्कि अपने गांव-घर में ही रोज़गार और आय के नए स्रोत बना सकें।
सरकार की मंशा और सामाजिक प्रभाव
राज्य सरकार का दावा है कि यह योजना सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके ज़रिए समाज के उस वर्ग को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है, जो सदियों से हाशिए पर रहा है। यह कदम दलित और आदिवासी युवाओं को सिर्फ नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनाने की दिशा में बढ़ाया गया एक प्रयास है।
हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नीति विश्लेषकों का मानना है कि योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसके क्रियान्वयन में कितनी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। पहले भी ऐसी योजनाओं की घोषणाएं हुई हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर वे योजनाएं या तो अटकी रह गईं या फिर उनका लाभ लक्षित वर्ग तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाया। देखना यह होगा कि ज़मीनी स्तर पर यह योजना कितनी तेज़ी और प्रभावी ढंग से लागू होती है, और क्या वाकई इससे उन लाखों युवाओं की तकदीर बदलेगी, जिनके पास अब तक अवसर नहीं थे।

राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।