आगरा। 18 मार्च को पूरा आगरा शहर सफेद कपड़ों मे लिपटे लोगों और पंचशील के झंडों से पटा हुआ था. यह नजारा शहर में किसी का भी ध्यान खिंचने के लिए काफी था. असल में ये तमाम लोग बाबासाहेब को याद करने के लिए इकट्ठा हुए थे. 18 मार्च 1956 को बाबासाहब डॉ. आम्बेडकर ने आगरा के रामलीला मैदान में बहुत ही महत्वपूर्ण भाषण दिया था. उस भाषण में बाबासाहेब ने समाज से अपनी अपेक्षा और थोड़ी निराशा जाहिर की थी. तब से हर वर्ष इस दिन आगरा में हजारों अम्बेडकरवादी इकट्ठा होकर जैसे बाबासाहेब की कही बात को पूरा करने का प्रण लेते हैं. रविवार 18 मार्च को भी आगरा में लालकिला के सामने रामलीला मैदान में विशाल बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचे थे. पूरा मैदान पंचशील के झंडों और गुब्बारों से पटा हुआ था. इस दिन को चेतना दिवस के रूप में मनाया जाता है.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाबासाहेब के पोते प्रकाश आंबेडकर थे. इस दौरान लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था. जगह जगह से आए लोगों से पूरा मैदान खचाखच भरा हुआ था. लोग गाजे-बाजे के साथ कार्यक्रम में पहुंचे थे. तो आयोजकों ने मंच पर बहुजन कलाकारों को भी जगह दी थी, जिन्होंने अम्बेडकरी आंदोलन के गाने गाएं. कार्यक्रम के दौरान ऐसा दर्जनों बार हुआ जब बाबासाहेब के नाम के नारे लगें. कार्यक्रम में महिलाओं की भागेदारी भी अच्छी खासी रही, तो इस मैदान में अम्बेडकरी साहित्य भी बिक रहा था.
इस मैदान की अहमियत इसलिए भी है, क्योंकि यहां एक बुद्ध विहार भी है, जिसमें बाबासाहेब ने खुद तथागत बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की थी. पिछले कई सालों से यहां अम्बेडकरवादियों का मेला लगता है. और सबसे बड़ी बात यह है कि लोग लाए नहीं जाते, बल्कि खुद के पैसे खर्च कर पहुंचते हैं. और लोगों के पहुंचने का यह सिलसिला और धम्म की ओर आने वाले लोगों का कारवां साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है.

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