लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लेकर कई बार बहस होती रहती है लेकिन आजतक संसद में यह बिल पास नहीं हो पाया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने इस बार अपने मैनिफेस्टो में कहा था कि अगर वो सत्ता में आती है तो महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखेगी. महिलाओं के लिए लोकसभा में 33 प्रतिशत सीट आरक्षण को लेकर सभी पार्टियां बात तो करती हैं लेकिन असलियत में इस आरक्षण को लेकर गंभीर नज़र नहीं आती हैं. इस बार एनडीए को बहुमत मिला है और बीजेपी के पास एक मौका है कि अपने वादे को निभाये. अक्सर तमाम दल महिलाओं को 33 फीसदी टिकट देने की बात करते हैं लेकिन वक्त आने पर मुकर जाते हैं. लेकिन 17वीं लोकसभा के चुनाव में एक ऐसी पार्टी जिसने 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिया था वो है बीजू जनता दल.
17वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा 78 महिलाएं संसद पहुंची हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड है. इनमें से सात सांसद ओडिशा से भी हैं. जिनमें से 5 सांसद बीजू जनता दल यानि (BJD) से हैं जबकि दो महिला सांसद भाजपा से. बीजेडी की इन सांसदों में अब तक की सबसे कम उम्र की सांसद चंद्राणी मुर्मू भी शामिल हैं. मुर्मू की उम्र अभी केवल 25 साल और 11 महीने है. मुर्मू ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं. आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ने ओडिशा की केन्झार लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चुनाव से पहले कहा था कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी 33 प्रतिशत सीट महिलाओं को देगी. उन्होंने अपना वादा निभाया और 21 सीटों में से 7 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को लड़ाया. इन सात में से पांच उम्मीदवारों ने जीत भी हासिल की. बीजेपी ने छह महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था.
जीतने वाली इन सांसदों में प्रमिला बिसोयी (आसका, बीजद), मंजुलता मंडल (भद्रक, बीजद), राजश्री मलिक (जगतसिंहपुर, बीजद), शर्मिष्ठा सेठी (जाजपुर, बीजद) चंद्राणी मुर्मू (क्योंझर, बीजद), अपराजिता सडांगी (भुवनेश्वर, बीजेपी) और संगीता कुमारी सिंहदेव (बलंगिरी, बीजेपी) शामिल हैं. इन चुनावों में पूरे देश से सिर्फ 14 प्रतिशत के करीब महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंच रही हैं, वहीं ओडिशा से 33 प्रतिशत महिलाओं ने जीत हासिल की है. ओडिशा के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं एक साथ लोकसभा पहुंच रही हैं. जीती सांसदों में केवल प्रमिला बिसोयी को छोड़कर सभी पढ़ी लिखी हैं. कोई ग्रेजुएट है तो कोई पोस्ट ग्रेजुएट. इसके अलावा किसी भी सांसद के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस नहीं है.
केन्झार से जीती मुर्मू ओडिशा की सबसे कम उम्र की सांसद होने के साथ-साथ देश की भी सबसे कम्र उम्र की सांसद हैं. राजनीति में चंद्राणी का ज्यादा अनुभव नहीं है. 2017 में चंद्राणी ने भुवनेश्वर से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की. डिग्री मिलने के बाद जब चंद्राणी नौकरी ढूंढ रही थी तभी उन्हें बीजद की ओर से टिकट की पेशकश कर दी गयी. चंद्राणी इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थीं. उन्होंने पार्टी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और चुनाव मैदान में उतर गईं. उन्होंने जीत हासिल की और सबसे कम उम्र की सांसद बन गईं.
चंद्राणी के परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं है. चंद्राणी के माता-पिता सरकारी नौकरी करते हैं. चंद्राणी ने चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार अनंत नायक को करीब 66200 मतों के अंतर से हराया है. अनंत नायक बीजेपी के टिकट से क्योंझर से दो बार सांसद रह चुके हैं. सबसे पहले उन्होंने 1999 में जीत हासिल की थी. फिर 2004 में भी जीत हासिल कर वह लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 2009 और 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
चंद्राणी की बात करें तो उनके पास न खुद की गाड़ी है, न घर और न ही ज्यादा बैंक बैलेंस. चुनावी हलफ़नामे में बताई संपत्ति के अनुसार चंद्राणी मुर्मू के पास सिर्फ 20000 कैश है. उनके पास दो बैंक अकाउंट है. उनमें से एक में 287 रुपए हैं और दूसरे में 293 रुपए हैं. चंद्राणी का किसी कंपनी में कोई शेयर नहीं है, और न ही कोई सेविंग्स. चंद्राणी के पास कोई लाइफ इंश्योकरेंस पॉलिसी भी नहीं है. चंद्राणी के पास 100 ग्राम के करीब गोल्ड है जो उनके माता पिता ने उन्हें दिया है. चंद्राणी के पास चुनाव का अनुभव भी नहीं है. चंद्राणी ने अपने चुनाव कैंपेन के बारे में कहा, ‘इस कैंपेन के दौरान लोगों से बहुत सारा प्यार मिला. जीत के बाद अब मैं अपने क्षेत्र के लोगों के लिए खूब काम करुंगी. उनकी समस्याओं का समाधान करने की पूरी कोशिश करुंगी.
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डॉ. पूजा राय पेशे से शिक्षिका हैं। स्त्री मुद्दों पर लगातार लेखन के जरिय सक्रिय हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘आधी आबादी का दर्द’ खासी लोकप्रिय हुई थी।