पटना। आंकड़े बताते हैं कि बिहार का हर पाँचवाँ वोटर दलित है। ऐसे में इस चुनाव में दलित मतदाता सबके लिए अहम बने हुए हैं और हर दल उन्हें लुभाने की कोशिश में जुट गया है। इसके लिए सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक तमाम घोषणाएं कर रहे हैं। इसी बीच रविवार 5 अक्तूबर को नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव एक अहम कार्यक्रम में शामिल हुए। “अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद” नाम से पटना में आयोजित कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने दलित आदिवासी वर्ग की भागीदारी और सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के लिए 17 बिन्दुओं का “दलित-आदिवासी न्याय संकल्प” पेश किया।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को पटना स्थित वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित “आंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद” के मंच से ऐतिहासिक एलान किया। उन्होंने कहा कि यदि बिहार में हमारी सरकार बनी, तो एससी-एसटी एक्ट को बचाने के लिए आंदोलन में शामिल एक लाख से अधिक दलित-आदिवासी कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिये जाएंगे। साथ ही “इन सभी लोगों को ‘आंबेडकर सेनानी’ का दर्जा दिया जाएगा और उन्हें नकद पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र भी दिए जाएंगे।
तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि उनकी सरकार बनते ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अनुसूचित जाति, जनजाति और अतिपिछड़ा वर्ग के सामाजिक-शैक्षणिक मामलों की निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी बैठक हर तीन महीने में होगी। और अध्यक्षता मुख्यमंत्री खुद करेंगे। “दलित-आदिवासी वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए तेजस्वी यादव ने 5,000 करोड़ रुपये का ‘उद्यमिता कोष’ बनाने की भी घोषणा की। उनका कहना था कि इस वर्ग के युवाओं को ठेकेदारी और व्यापार के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाएगा।”
उच्च शिक्षा में नई पहल का वादा करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार बनने पर हम दलित-आदिवासी छात्रों को देश-विदेश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों- जैसे हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड- में पढ़ने का अवसर मुहैया कराएंगे। इसके लिए सरकार हर साल 200 छात्रों को विदेश भेजेगी। संविधान विरोधी ताकतों और भाजपा पर तीखा हमला करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि-
“ऐसा कोई माई का लाल नहीं जो बाबा साहेब के बनाए संविधान और आरक्षण को खत्म कर सके।” उच्च शिक्षा संस्थानों में NFS यानी नॉट फाउंड सुटेबल को खत्म करने की बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि सरकार बनते ही हर डिग्रीधारी को नौकरी दी जाएगी और आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाएगी।
तेजस्वी यादव का 17 सूत्रीय “दलित-आदिवासी न्याय संकल्प”
1. उच्चाधिकार समिति: मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एससी-एसटी और अतिपिछड़ा वर्ग के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास की निगरानी हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित होगी, जिसकी साल में चार बैठकें होंगी।
2. सरकारी सेवा में समानता: सरकारी नौकरियों और पदोन्नति में भेदभाव खत्म कर जाति सर्वे के अनुसार एससी-एसटी को समानुपातिक आरक्षण दिया जाएगा।
3. आरक्षण सीमा बढ़ाने की पहल: 50% आरक्षण सीमा को बढ़ाने के लिए विधानमंडल में कानून पारित कर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
4. बजट में हिस्सेदारी: आबादी के अनुपात में बजट आवंटन सुनिश्चित करने के लिए एससी-एसटी उपयोजना कानून लागू किया जाएगा।
5. शिक्षा में समान अवसर: डॉ. आंबेडकर शैक्षिक समावेश योजना के तहत सामाजिक और शैक्षिक खाई पाटने के लिए नीति, बजट और संसाधनों की गारंटी होगी।
6. विदेशी शिक्षा छात्रवृत्ति: हर साल एससी-एसटी समुदाय के 200 छात्रों को विदेशों की शीर्ष यूनिवर्सिटियों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी।
7. अत्याचार पर रोक: एससी-एसटी पर होने वाले अत्याचारों की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति बनाई जाएगी।
8. मनरेगा में प्राथमिकता: मनरेगा के तहत दलित-आदिवासी किसानों की जमीनों के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
9. उद्यमिता कोष: दलित-आदिवासी युवाओं में व्यवसाय और ठेकेदारी को बढ़ावा देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का उद्यमिता कोष बनाया जाएगा।
10. चयन प्रक्रिया में “Not Found Suitable” जैसी मनमानी व्यवस्था को अवैध घोषित किया जाएगा।
11. सभी भूमिहीन दलित-आदिवासियों को ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डिसमिल और शहरी क्षेत्रों में 3 डिसमिल जमीन दी जाएगी।
12. शिक्षा अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों की आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा एससी-एसटी और पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए निर्धारित होगा।
13. ठेकों में आरक्षण: ₹25 करोड़ तक के सरकारी ठेकों और सप्लाई कार्यों में एससी-एसटी व पिछड़ा वर्ग को 50% आरक्षण दिया जाएगा।
14. निजी कॉलेजों में आरक्षण: संविधान की धारा 15(5) के तहत सभी निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाएगा।
15. आरक्षण के सही क्रियान्वयन और निगरानी के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन होगा। सूची में बदलाव केवल विधानमंडल की मंजूरी से ही संभव होगा।
16. हर विभाग में संबंधित मंत्री की अध्यक्षता में एससी-एसटी संस्थाओं के साथ वार्षिक समीक्षा बैठक होगी।
17. आंबेडकर सेनानी सम्मान: 2018 के एससी-एसटी एक्ट आंदोलन में गिरफ्तार एक लाख से अधिक दलितों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे, और उन्हें “आंबेडकर सेनानी” का दर्जा, सम्मान राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।

मानवाधिकार और एंटी कॉस्ट आंदोलन से जुड़े गुड्डू कश्यप साल 2023 से ‘दलित दस्तक’ के साथ सक्रिय हैं। बिहार और झारखंड की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखते हैं।