नई दिल्ली। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद ने आज (11 अगस्त) सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुवाद के लिए 3 महीने का समय दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले हम दो मुख्य पक्षों को चुनेंगे, सभी पक्ष अपने कागजात तैयार रखें. बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लंबित चुनौतियों के साथ यूपी शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दायर हलफनामे पर विशेष पीठ सुनवाई करनी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि वे जिन दस्तावेज को आधार बना रहे हैं, उनका 12 सप्ताह के भीतर अंग्रेजी में अनुवाद करायें. ये दस्तावेज आठ भाषाओं में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि उच्च न्यायालय में मालिकाना हक के बाद का निर्णय करने के लिये दर्ज साक्ष्यों का अनुवाद 10 सप्ताह के भीतर पूरा कराएं.
रामलला विराजमान, हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत तमाम पक्षकारों हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के 30 सितंबर 2010 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था.
हिंदुस्तान के मुताबिक सर्वोच्च अदालत ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार की थीं और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. साथ ही कहा था कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे. इसके बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्शनार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की जिसका विरोध मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम ने की थी. लेकिन अदालत ने स्वामी की मांग को मुख्य मामले के साथ सुनवाई करने का निर्णय लिया.

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