सहारनपुर। रासुका के तहत बंद भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की रिहाई के लिए उसके समर्थकों ने अलग ही तरीका अपनाया है. बार-बार सरकार से गुहार लगाकर परेशान समर्थक अब नोटों पर रावण की रिहाई की मांग कर रहे हैं. वैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के मुताबिक नोटों पर कुछ भी लिखना अपराध है, लेकिन इसके बावजूद ये कार्यकर्ता सौ-सौ के नोटों पर रिहाई के संदेश लिख रहे हैं.
कार्यकर्ताओं की ओर से नोट पर रिहाई संदेश लिखकर बाजारों में चलाए जा रहे हैं. ऐसे ही एक सौ रुपये के नोट पर लिखा है कि एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद रावण को रिहा करो. देखा-देखी सभी कार्यकर्ता दस, बीस, पचास और सौ के नोट पर संदेश लिखकर नोटों को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से किसी भी नोट पर कुछ लिखने की मनाही है. रावण पिछले काफी वक्त से सहारनपुर जेल में बंद हैं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।
कानून अपने हाथ में मत लेना चाहिए दुश्मन अभी सत्ता में है इनकी नाक में दम करों किसी और रास्ते से 2019 में बहुजन समाज की सरकार बनाओ कांशीराम जी का अन्तिम उद्देश्य