Monday, June 30, 2025
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दलित उत्पीड़न की घटनाओं में अब आप खुद ऑनलाइन कर सकेंगे शिकायत, ये है वेबसाइट का पता

भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य किसी भी कानून के तहत अनुसूचित जाति के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और निगरानी करना है। ऐसे में दलित समाज के लोग अनुसुचित जाति एवं जनजाति आयोग की ओर आशा की नजर से देखते हैं। उन्हें लगता है कि अगर कोई जातीय आधार पर या किसी भी कारण से उनके साथ अन्याय करता है तो यह आयोग उन्हें न्याय दिलवाएगा। दरअसल इस आयोग का काम भी यही है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो अनुसूचित जाति आय़ोग की भूमिका से यह वर्ग बहुत खुश नहीं रहा है। तमाम लोग आयोग पर सत्ता के दबाव में न्याय नहीं मिलने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं आयोग का दावा रहता है कि वह पीड़ितों के पक्ष में खड़ा रहता है। हालांकि इसका कोई ऑनलाइन लेखा-जोखा नहीं होने के कारण गलती किसकी है, यह सामने नहीं आ पा रहा था।

लेकिन अब अनुसूचित जाति आयोग के हाल ही में बने अध्यक्ष विजय सांपला ने अंबेडकर जयंती पर एक बड़ी पहल की है। दलित समाज के लोगों की इस लंबी मांग को मानते हुए एक शिकायत पोर्टल लांच किया गया है। बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की 130वीं जयंती पर संचार एवं आईटी और कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला, आयोग के सदस्यों और सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रतन लाला कटारिया की उपस्थिति में यह पोर्टल लांच किया।

 खास बात यह है कि इस पोर्टल के जरिए अनुसूचित जाति का कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से से अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायतों के अंत में ई-फाइलिंग की सुविधा भी है, और किसी शिकायत की वर्तमान स्थिति क्या है, उसे भी देखा जा सकेगा। इस पोर्टल के माध्यम के जरिए आप दस्तावेज़ और ऑडियो / वीडियो फ़ाइलों को भी अपलोड कर सकते हैं। पोर्टल के लांचिंग के दौरान आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का उद्देश्य इस पोर्टल के माध्यम से विशेष रूप से अनुसूचित जाति की आबादी की शिकायतों और उसके निवारण को व्यवस्थित करना है। सांपला ने 24 फरवरी 2021 को अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन का पद संभाला, जिसके बाद वो खासे सक्रिय है।

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2 COMMENTS

  1. अनुसूचित जाति आयोग से पहली बार कुछ न्याय की उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।सांपला जी अगर प्रभावी रूप से काम कर सके तो कुछ न्याय दिला सकेंगे।वैसे अब तक आयोग की लगाम सत्ता धारी पार्टी के हाथों में ही रही है।आयोग बिना दांत का शेर रहा है।इसमें लोगों की आस्था कम है।आयोग के कर्मचारी अधिकांश सवर्ण समाज के हैं,वे मशीनरी को काम नहीं करने देते।देखते हैं कि यह पोर्टल कितना कारगर होता है।

  2. पोर्टल अच्छा है, पोर्टल शिकायत पर कार्याहवाही होती है

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