देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जिसे आप जेएनयू के नाम से जानते हैं, वहां के प्रोफेसर विवेक कुमार के नेतृत्व में एक ऐसा काम हुआ है, जिसकी चर्चा दुनिया भर के शिक्षा जगत में हो रही है। बीते दिनों प्रो. विवेक कुमार ने न सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की है, बल्कि कहीं न कहीं उनकी वजह से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम भी दुनिया भर के अकादमिक जगत में चर्चा में है।
जहां तक उनके व्यक्तिगत उपलब्धि की बात है तो वह सेज जर्नल्स के ‘साउथ ACN सर्वे जर्नल’ के ‘इंटरनेशनल एडवाइजरी बोर्ड’ के सदस्य का हिस्सा बने हैं। अकादमिक जगत में यह उपलब्धि काफी महत्वपूर्ण है। तो वहीं रिसर्च गेट अकादमिक वेबसाइट पर फरवरी महीने के दूसरे हफ्ते में प्रो. विवेक के लेख को समाजशास्त्र विभाग के अन्य प्रोफेसर्स से ज्यादा पढ़ा गया। भारत के साथ प्रोफेसर विवेक के लेख को यूएसए, यूके, जर्मनी, फ्रांस, आयरलैंड, ताइवान, सिंगापुर, फिलीपींस, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनीशिया आदि देशो में भी पढ़ा गया। प्रोफेसर विवेक कुमार वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल साइंस सेंटर में समाजशास्त्र विभाग के हेड हैं।
उनके नेतृत्व में जेएनयू के समाजशास्त्र विभाग ने अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि हासिल की है। जेएनयू के समाजशास्त्र विभाग को विश्व के तमाम विश्वविद्यालयों में मौजूद समाजशास्त्र विभाग में 107वां स्थान मिला है। इसको लेकर दुनिया के अकादमिक जगत में न सिर्फ जेएनयू के समाजशास्त्र विभाग की चर्चा तेज हुई है, बल्कि विभागाध्यक्ष होने के कारण प्रो. विवेक कुमार को भी सराहा जा रहा है।
7 मार्च को फेसबुक पर दी गई एक सूचना में प्रोफेसर विवेक ने यह बात साझा की। उन्होंने लिखा- सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम/ स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (जेएनयू) के दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के समाजशास्त्र विभाग के बीच विश्व में 107वां स्थान बनाया है। यह अमेरिका की क्यूएस रैंकिंग के अनुसार है। यह दिलचस्प है कि SOAS, द यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ़ील्ड, ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन, यूनिवर्सिट डे मोंटेरेल, वाशिंगटन विश्वविद्यालय आदि जेएनयू पीछे हैं।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।