पुणे। देशभर में जातिवाद की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. दुख इस बात है कि जातिवाद पढ़ा-लिखा वर्ग फैला रहा है. पुणे से ऐसा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां मौसम विभाग की एक वैज्ञानिक ने अपनी महिला कुक के खिलाफ चौंकाने वाला मामला दर्ज कराया है. महिला वैज्ञानिक ने अपनी कुक पर जाति को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
उनका आरोप है कि कुक ने खुद को पहले ‘ब्राह्मण’ बताया था लेकिन बाद में जब पता लगाया गया तो वो ‘यादव’ निकली. कुक के अपनी जाति छुपा कर उनकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग में मौसम पूर्वानुमान की उप महाप्रबंधक डॉ मेधा विनायक ने इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
मेधा विनायक ने पुलिस को दिए अपने स्टेटमेंट में बताया है कि उन्हें अपने माता-पिता की स्मृति में पूजा के दौरान और गणेश त्योहार के दौरान विशेष अवसरों पर भोजन तैयार करने के लिए ब्राह्मण समुदाय की एक विवाहित कुक चाहिए थी. साल 2016 में महिला ने उनसे संपर्क किया और खुद को निर्मला कुलकर्णी बताया.
पहली मुलाकात के बाद मेधा विनायक जानकारी लेने के लिए निर्मला के घर पर भी गई और वहां भी उन्हें सबकुछ ठीक लगा और उन्होंने उसे काम पर रख लिया. लेकिन कुछ दिन बाद किसी ने उनसे बताया कि जिस महिला को उन्होंने काम पर रखा है वो ब्राह्मण नहीं है. जिसके बाद उन्होंने फिर से उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए उसके घर के आस-पास के लोगों से उसके बारे में पूछताछ की. पूछताछ के दौरान पता चला कि जिस महिला ने खुद को निर्मला कुलकर्णी बताकर पेश किया है उसका असली नाम निर्मला यादव है.
मेधा विनायक का आरोप ये भी है कि जब उसने कुक से उसकी असली जाति के बारे में पूछा तो उसने उनके साथ धक्का-मुक्की भी की. मेधा विनायक कि शिकायत पर सिंहगढ़ रोड पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 419 धारा 504 के लिए धारा 354 के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
जब कुक से इस बारे में पूछा गया कि आखिर उसने अपनी जाति के बारे में झूठ क्यों बोला तो उसने कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उस वक्त उसे नौकरी की जरूरत थी और नौकरी के लिए उसे झूठ बोलना पड़ा. मेधा विनायक को उसने ये भी बताया कि शादी के बारे में भी उसने झूठ बोला था. वो शादीशुदा नहीं है. उसके पति की मौत पहले ही हो चुकी है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।