नई दिल्ली। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोप में चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश के बाद दिल्ली में राजनीतिक दंगल छिड़ गया है. मामले को लेकर जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है, तो वहीं कांग्रेस और भाजपा अपनी नई रणनीति बनाने में जुट गई है.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी. केजरीवाल ने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि जीत अंत में सचाई की होती है.‘ वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब भाजपा और कांग्रेस इसे दिल्ली में अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाने के मौके के रूप में देख रही है. चुनाव आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजने के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर हमला बोलते हुए अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है. तो वहीं दोनों पार्टियां इन सीटों पर उप चुनाव के लिए रणनीति पर भी चर्चा करने लगी है.
हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने केजरीवाल का पक्ष लिया है. सोशल मीडिया में केजरीवाल के पक्ष में जारी बयान में बनर्जी ने लिखा- “एक संवैधानिक संस्था का इस्तेमाल ऐसे राजनीतिक विद्वेष के लिए नहीं किया जा सकता. विधायकों को सुनवाई के लिए चुनाव आयोग ने मौका भी नहीं दिया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और न्याय के प्रावधानों के विपरीत है.” तो वहीं इस बीच आम आदमी पार्टी ने बीजेपी शासित राज्यों में पार्लियामेंट्री सचिवों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या उनके खिलाफ भी यही कार्यवाही होगी.
फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को हाईकोर्ट में होनी है, लेकिन उससे पहले दिल्ली के सियासी गलियारों में राजनीतिक लड़ाई छिड़ चुकी है

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