यूपी में बीजेपी के अंदर दलित-दलित खेला जा रहा है. योगी के दलित बनाम मोदी के दलित. पहले बीजेपी के 4 दलित सांसदों ने सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पीएम मोदी को चिट्ठी लिख दी. रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार ने तो बकायदा योगी पर छूआछूत और डांटकर भगा देने का आरोप लगाया. छोटेलाल खरवार ने तो यहां तक कि उच्च जाति के अधिकारियों द्वारा बात न सुनने का भी आरोप लगाया.
पहले जब छोटेलाल खरवार ने आरोप लगाया तो लगा कि ये ऐसे ही है, लेकिन एक के बाद लगातार 4 दलित सांसदों ने सीएम योगी के ख़िलाफ मोर्चा दिया. यहां तक के सिकंद्राबाद के सांसद बाबूलाल चौधरी ने भी सीएम योगी के खिलाफ शिकायती पत्र लिख दिया. लगातार बीजेपी सांसदों के सामने आते चिट्ठियों से सवाल उठने लगा कि आखिर जब बड़े से बड़े नेता बीजेपी आलाकमान के डर से मुंह नहीं खोलते हैं, वहां ये सांसद लगातार चिट्ठी लिखे जा रहे हैं. इस मामले में साजिश की बू आने लगी. मामला तब और साफ हो गया जब योगी के समर्थन में 5 दलित सांसद आ गए. इन सांसदों ने ना सिर्फ योगी के अच्छे व्यवहार की गवाही दी, बल्कि अपने क्षेत्रों में काम और बजट पास करना भी बताया.
दलित सांसदों को लेकर रस्साकसी के बीच एक और पात्र हैं, जिनके ज़िक्र के बगैर यह मामला पूरा नहीं होता. दरअसल वो शख्स हैं ओमप्रकाश राजभर. राजभर को योगी विरोधी खेमे का समर्थन है. सब जानते हैं राजभर हमेशा योगी के खिलाफ बयानबाज़ी करते रहते हैं. भ्रष्टाचार से लेकर कानून व्यवस्था को लेकर राजभर हमेशा योगी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. सोचिए कि एक कैबिनेट मंत्री अपनी ही सरकार को सबसे भ्रष्ट बता रहा है. मेरे हिसाब से यह सब साजिश का हिस्सा लग रहा है.
साजिश इसलिए भी कि बीजेपी अभी तक योगी अपना नहीं मान पाई है. इसकी कई वजहें हैं. पहली कि योगी पर मोदी-शाह का वैसा कंट्रोल नहीं है, जैसा हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल, झारखंड सहित तमाम राज्यों के सीएम पर हैं. दूसरी ये कि यूपी में बीजेपी के समानांतर हिन्दु युवा वाहिनी का विस्तार हो रहा है. हियुवा योगी का अपना संगठन है. इसकी मजबूती बीजेपी को मुश्किल में डाल रही है, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ हियुवा ने चुनाव लड़ा था.
गोरखपुर हार से लेकर ये जीतनी घटनाए हो रही हैं उसके पीछे साफ वजह है कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता को कम किया जाए. योगी के पल पल की खबर दिखाने वाली मीडिया अचानक से यूं ही क्राइम और दूसरे मुद्दों को लेकर योगी के खिलाफ ऐसे ही नहीं है. दरअसल सीएम योगी की लोकप्रियता मोदी-शाह के लिए असहज वाली स्थिति है, मोदी-शाह को डर है कि यूपी कहीं योगीमय ना हो जाए.

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